17 यद्यपि अंजीर वृक्ष में फूल नहीं आए, अंगूर-लताओं में फल नहीं लगे, जैतून के फलों की फसल नहीं हुई, खेतों में भी अन्न नहीं उपजा, बाड़ों में भेड़-बकरी नहीं रही, और पशुशालाओं में गाय-बैल नहीं रहे,
17 अंजीर के वृक्ष चाहे अंजीर न उपजायें, अंगूर की बेलों पर चाहे अंगूर न लगें, वृक्षों के ऊपर चाहे जैतून न मिलें और चाहे ये खेत अन्न पैदा न करें, बाड़ों में चाहे एक भी भेड़ न रहे और पशुशाला पशुधन से खाली हों।
17 क्योंकि चाहे अंजीर के वृक्षों में फूल न लगें, और न दाखलताओं में फल लगें, जलपाई के वृक्ष से केवल धोखा पाया जाए और खेतों में अन्न न उपजे, भेड़शालाओं में भेड़-बकरियां न रहें, और न थानों में गाय बैल हों,
17 क्योंकि चाहे अंजीर के वृक्षों में फूल न लगें, और न दाखलताओं में फल लगें, जलपाई के वृक्ष से केवल धोखा पाया जाए और खेतों में अन्न न उपजे, भेड़शालाओं में भेड़–बकरियाँ न रहें, और न थानों में गाय बैल हों,
17 चाहे अंजीर के पेड़ में कलियां न खिलें और दाखलता में अंगूर न फलें, चाहे जैतून के पेड़ में फल न आएं और खेतों में कोई अन्न न उपजे, चाहे भेड़शाला में कोई भेड़ न हो और गौशाला में कोई पशु न हो,
17 क्योंकि चाहे अंजीर के वृक्षों में फूल न लगें, और न दाखलताओं में फल लगें, जैतून के वृक्ष से केवल धोखा पाया जाए और खेतों में अन्न न उपजे, भेड़शालाओं में भेड़-बकरियाँ न रहें, और न थानों में गाय बैल हों, (लूका 13:6)
वे तुम्हारी फसल और तुम्हारी खाने-पीने की वस्तुएं चटकर जाएंगे; वे तुम्हारे पुत्रों और पुत्रियों को निगल जाएंगे। वे तुम्हारी पशुशाला की भेड़-बकरियां और रेवड़ के गाय-बैल खा जाएंगे। वे तुम्हारे अंगूर-उद्यान के अंगूर, और अंजीर-कुंज के अंजीर साफ कर देंगे। जिन किलाबंद नगरों पर तुम्हें भरोसा है, उनको तलवार के बल पर खण्डहर बना देंगे।’
कब तक देश विलाप करता रहेगा? कब तक हमारे चरागाह की घास सूखती रहेगी? क्योंकि देशवासियों के दुष्कर्मों के कारण पशु और पक्षी भी नष्ट हो गए हैं: ये दुष्कर्मी कहते हैं, ‘प्रभु हमारा आचरण नहीं देखता है।’
स्वर्गिक सेनाओं का प्रभु यों कहता है, ‘मैं विनाशक-जीव को डांटूंगा, ताकि वह तुम्हारी भूमि की फसल को नष्ट न करे। मैं, स्वर्गिक सेनाओं का प्रभु यह कहता हूं: तुम्हारे अंगूर-उद्यान में अंगूर की भरपूर फसल होगी।