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यिर्मयाह 4:28 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

28 पृथ्‍वी इस देश के लिए विलाप करेगी; आकाश शोक से अंधकारमय हो जाएगा। जो मैंने कहा है, जो मैंने निश्‍चित किया है उसको पूरा करूंगा मैं इस कार्य के लिए नहीं पछताऊंगा, और न ही अपने वचन से मुंह मोड़ूंगा।’

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पवित्र बाइबल

28 अत: इस देश के लोग मेरे लोगों के लिये रोयेंगे। आकाश अँधकारपूर्ण होगा। मैंने कह दिया है, और बदलूँगा नहीं। मैंने एक निर्णय किया है, और मैं अपना विचार नहीं बदलूँगा।”

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Hindi Holy Bible

28 इस कारण पृथ्वी विलाप करेगी, और आकाश शोक का काला वस्त्र पहिनेगा; क्योंकि मैं ने ऐसा ही करने को ठाना और कहा भी है; मैं इस से नहीं पछताऊंगा और न अपने प्रण को छोड़ूंगा।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

28 इस कारण पृथ्वी विलाप करेगी, और आकाश शोक का काला वस्त्र पहिनेगा; क्योंकि मैं ने ऐसा ही करने की ठान लिया और कहा भी है; मैं इस से नहीं पछताऊँगा और न अपने प्रण को छोड़ूँगा।”

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सरल हिन्दी बाइबल

28 इसके लिए पृथ्वी विलाप करेगी तथा ऊपर आकाश काला पड़ जाएगा, इसलिये कि मैं यह कह चुका हूं और मैं निर्धारित कर चुका हूं, मैं न अपना विचार परिवर्तित करूंगा और न ही मैं पीछे हटूंगा.”

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

28 इस कारण पृथ्वी विलाप करेगी, और आकाश शोक का काला वस्त्र पहनेगा; क्योंकि मैंने ऐसा ही करने को ठाना और कहा भी है; मैं इससे नहीं पछताऊँगा और न अपने प्राण को छोड़ूँगा।”

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यिर्मयाह 4:28
34 क्रॉस रेफरेंस  

पृथ्‍वी शोक मना रही है, वह मुरझा रही है; दुनिया व्‍याकुल है, वह कुम्‍हला रही है, आकाश भी पृथ्‍वी के साथ क्षीण होता जा रहा है।


आकाश के तारा-गण बुझ जाएंगे! विस्‍तृत आकाश खर्रे के कागज की तरह लपेटा जाएगा। जैसे अंजीर वृक्ष से पत्ते झड़ते हैं, जैसे अंगूर की लता से पत्तियां गिरती हैं वैसे आकाश के तारे गिरेंगे!


उस दिन वे समुद्र के गर्जन की तरह इस्राएल पर गुर्राएंगे। यदि कोई व्यक्‍ति इस्राएल देश पर दृष्‍टिपात करेगा, तो वह वहाँ यह देखेगा : अन्‍धकार और संकट के बादल! काले बादलों से प्रकाश छिप जाएगा।


मैं ही आकाश को मानो शोक का काला वस्‍त्र पहिनाता हूं; और पश्‍चात्ताप के प्रतीक टाट-वस्‍त्रों को उसका आवरण बनाता हूं।’


उन्‍होंने उसको उजाड़ दिया; वह उजड़ कर मुझसे अपना रोना रो रहा है। सारा देश ही उजड़ गया है, परन्‍तु किसी के हृदय में इसका दु:ख नहीं है।


कब तक देश विलाप करता रहेगा? कब तक हमारे चरागाह की घास सूखती रहेगी? क्‍योंकि देशवासियों के दुष्‍कर्मों के कारण पशु और पक्षी भी नष्‍ट हो गए हैं: ये दुष्‍कर्मी कहते हैं, ‘प्रभु हमारा आचरण नहीं देखता है।’


‘यहूदा प्रदेश विलाप कर रहा है; उसके नगर के प्रवेश-द्वार गर्मी से मूर्छित पड़े हैं। उसके निवासी भूमि पर बैठकर शोक मना रहे हैं; यरूशलेम के रोने की आवाज आकाश तक पहुंच रही है।


देश व्‍यभिचारियों से भर गया है; शाप के कारण धरती शोक में डूबी है। निर्जन प्रदेश के विशाल चरागाह सूखे पड़े हैं; पुरोहित और नबी दुष्‍कर्म करने को मानो कमर कसे रहते हैं, उनकी वीरता केवल हिंसा के लिए होती है। प्रभु कहता है, ‘ये दोनों धर्म से गिर गए हैं, स्‍वयं मैंने अपने भवन में इनके दुष्‍कर्म देखे हैं!


जब तक प्रभु अपने हृदय के संकल्‍प को कार्य रूप में परिणत नहीं करेगा, और उसको पूर्ण नहीं कर लेगा, तब तक वह अपने क्रोध को शांत नहीं करेगा। अन्‍तिम दिनों में तुम्‍हें यह बात स्‍पष्‍ट समझ में आ जाएगी।


जब तक प्रभु अपने हृदय के संकल्‍प को कार्य रूप में परिणित नहीं कर लेगा, और उसको पूर्ण नहीं कर लेगा, तब तक वह अपने क्रोध को शान्‍त नहीं करेगा। अंतिम दिनों में यह बात स्‍पष्‍ट समझ में आ जाएगी।


‘बेबीलोन की शहरपनाह के विरुद्ध झण्‍डा गाड़ो। चौकसी मजबूत करो, पहरेदार नियुक्‍त करो। घात लगाने वाले सैनिक बैठाओ; क्‍योंकि जो कुछ प्रभु ने बेबीलोन के विनाश के लिए कहा था, जो उसने कसदी कौम के लिए योजना बनाई थी उसको पूरा किया है।


‘और तू, यिर्मयाह, इन लोगों के लिए प्रार्थना मत कर। तू इनके लिए क्षमा की प्रार्थना मत कर; मेरी दुहाई मत दे, और न इनके लिए मुझसे निवेदन कर; क्‍योंकि मैं इनके सम्‍बन्‍ध में तेरी प्रार्थना नहीं सुनूंगा।


जो प्रभु ने निश्‍चय किया था, उसने उसको पूरा किया, उसने अपनी धमकी पूरी की। जैसा उसने बहुत पहले आदेश दिया था, उस वचन के अनुसार उसने कार्य किया। उसने निर्दयतापूर्वक नगर का विध्‍वन्‍स कर दिया। ओ यरूशलेम! उसने तेरे शत्रुओं को तुझ पर हंसने और आनन्‍द मनाने का अवसर प्रदान किया; तेरे बैरियों की शक्‍ति को बढ़ाया।


देख, मैं-प्रभु ने यह कहा है, और यह अवश्‍य पुरा होगा। मैं अपने निश्‍चय को नहीं बदलूंगा। मैं तुझ पर तरस खा कर तुझे जीवित नहीं छोड़ूंगा, और न ही अपने निश्‍चय के लिए मैं पछताऊंगा। ओ यरूशलेम नगरी, तेरे आचरण और व्‍यवहार के अनुरूप मैं तेरा न्‍याय करूंगा।’ स्‍वामी-प्रभु की यही वाणी है।


क्‍या मैं उसका मूल्‍य चुकाकर अधोलोक के हाथ से उसे मुक्‍त करूं? क्‍या मैं उसे मृत्‍यु से छुड़ाऊं? ओ मृत्‍यु, तेरी महामारियां कहां हैं? ओ अधोलोक, कहां हैं तेरी संहार-शक्‍ति? मेरी आंखों में दया की भावना नहीं रही।


इस कारण देश मृत्‍यु-शोक मना रहा है, सब निवासी कष्‍ट से मुरझा गए हैं; वन-पशु, आकाश के पक्षी; समुद्र की मछलियाँ भी मर गई हैं।


खेत उजड़ गए, भूमि रो रही है। अन्न नष्‍ट हो गया, अंगूर की नई फसल बर्बाद हो गई। अंजीर का तेल सूख गया।


‘स्‍वर्गिक सेनाओं का प्रभु यों कहता है : जैसे तुम्‍हारे पूर्वजों ने अपने दुष्‍कर्मों से मेरे क्रोध को उभाड़ा था और मैंने तुम्‍हारा अनिष्‍ट करने का निश्‍चय किया था, और अपने निश्‍चय को नहीं बदला,


परमेश्‍वर मनुष्‍य नहीं है कि वह झूठ बोले, और न वह मनुष्‍य का पुत्र है कि पश्‍चात्ताप करे! जो उसने कहा, क्‍या वह उसको न करे? जो वह बोले, क्‍या वह उसको पूर्ण न करे?


दोपहर से लेकर तीन बजे तक समस्‍त पृथ्‍वी पर अँधेरा छाया रहा।


दोपहर होने पर समस्‍त पृथ्‍वी पर अंधेरा छा गया और तीन बजे तक बना रहा।


लगभग दोपहर का समय था। उस समय से तीसरे पहर तक सारे देश में अंधेरा छाया रहा।


परमेश्‍वर सब बातों में अपने मन की योजना पूरी करता है। अपने उद्देश्‍य के अनुसार उसने निर्धारित किया कि हम मसीह में विरासत प्राप्‍त करें और हम लोगों के कारण उसकी महिमा की स्‍तुति हो। हम लोगों ने तो सब से पहले मसीह पर भरोसा रखा था।


अपनी उस मंगलमय इच्‍छा के अनुसार, जो उसने मसीह में पहले से ही निर्धारित की, परमेश्‍वर समय पूरा होने पर ऐसा प्रबंध करेगा कि वह सब कुछ, जो स्‍वर्ग तथा पृथ्‍वी में है, मसीह की अध्‍यक्षता में संयुक्‍त कर देगा। उसने अपने संकल्‍प का यह रहस्‍य हम पर प्रकट किया है।


क्‍योंकि मसीह की नियुिक्‍त के समय प्रभु परमेश्‍वर ने शपथ खायी थी। जैसा कि धर्मग्रन्‍थ कहता है, “मैंने शपथ ली है और मेरी यह शपथ अपरिवर्तनीय है: तू सदा पुरोहित बना रहेगा।”


मैं देखता रहा : मेमने ने छठी मोहर खोली और एक भारी भूकम्‍प हुआ। सूर्य कम्‍बल की तरह काला हो उठा और पूरा चंद्रमा रक्‍त की तरह लाल।


इसके अतिरिक्‍त इस्राएल का महिमामय परमेश्‍वर झूठ नहीं बोलता, और न अपने वचन से मुँह मोड़ता है। वह मनुष्‍य नहीं है कि अपने वचन से मुँह मोड़े।’


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