इस भवन की ओर, जिसके विषय में तूने यह कहा था, “मेरा नाम वहाँ प्रतिष्ठित होगा” , तेरी आंखें दिन-रात खुली रहें। इस स्थान के संबंध में तेरा सेवक जो प्रार्थना कर रहा है, उसको तू सुन।
यहेजकेल 8:16 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) इसके बाद वह मुझे प्रभु-भवन के भीतरी आंगन में ले गया। वहां मैंने लगभग पच्चीस आदमी देखे, जो प्रभु-भवन के प्रवेश-द्वार के सामने, ड्योढ़ी और वेदी के बीच में खड़े थे। उनकी पीठ प्रभु के मन्दिर की ओर थी, और मुख पूर्व की ओर। वे पूर्व दिशा में सूर्य की पूजा कर रहे थे। पवित्र बाइबल तब वह मुझे मन्दिर के भीतरी आँगन में ले गया। उस स्थान पर मैंने पच्चीस व्यक्तियों को नीचे झुके हुए और पूजा करते देखा। वे बरामदे और वेदी के बीच थे, किन्तु वे गलत दिशा में मुँह किये खड़े थे! उनकी पीठ पवित्र स्थान की ओर थी! वे सूर्य की पूजा करने के लिये नीचे झुके थे! Hindi Holy Bible तब वह मुझे यहोवा के भवन के भीतरी आंगन में ले गया; और वहां यहोवा के भवन के द्वार के पास ओसारे और वेदी के बीच कोई पच्चीस पुरुष अपनी पीठ यहोवा के भवन की ओर और अपने मुख पूर्व की ओर किए हुए थे; और वे पूर्व दिशा की ओर सूर्य को दण्डवत कर रहे थे। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) तब वह मुझे यहोवा के भवन के भीतरी आँगन में ले गया; और वहाँ यहोवा के भवन के द्वार के पास ओसारे और वेदी के बीच कोई पच्चीस पुरुष अपनी पीठ यहोवा के भवन की ओर और अपने मुख पूर्व की ओर किए हुए थे; और वे पूर्व दिशा की ओर सूर्य को दण्डवत् कर रहे थे। सरल हिन्दी बाइबल तब वह मुझे याहवेह के भवन के भीतरी आंगन में ले आया, और वहां मंदिर के प्रवेश द्वार पर, मंडप और वेदी के बीच लगभग पच्चीस पुरुष थे. उनकी पीठ याहवेह के मंदिर की ओर और उनका मुंह पूर्व दिशा की ओर था, और वे पूर्व में सूर्य को दंडवत कर रहे थे. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 तब वह मुझे यहोवा के भवन के भीतरी आँगन में ले गया; और वहाँ यहोवा के भवन के द्वार के पास ओसारे और वेदी के बीच कोई पच्चीस पुरुष अपनी पीठ यहोवा के भवन की ओर और अपने मुख पूर्व की ओर किए हुए थे; और वे पूर्व दिशा की ओर सूर्य को दण्डवत् कर रहे थे। |
इस भवन की ओर, जिसके विषय में तूने यह कहा था, “मेरा नाम वहाँ प्रतिष्ठित होगा” , तेरी आंखें दिन-रात खुली रहें। इस स्थान के संबंध में तेरा सेवक जो प्रार्थना कर रहा है, उसको तू सुन।
उसने प्रभु के सम्मुख की कांस्य वेदी को मन्दिर के सामने से, अर्थात् अपनी नई वेदी और प्रभु-मन्दिर के बीच में से, हटा दिया और उसको अपनी वेदी के उत्तर की ओर रख दिया।
मनश्शे ने प्रभु के भवन के दो आंगनों में आकाश की सब प्राकृतिक शक्तियों की पूजा के लिए वेदियां बनाईं।
यहूदा प्रदेश के राजाओं ने प्रभु-भवन के प्रवेश-द्वार पर − अर्थात् राज-भवन के भण्डारी खोजा नतन-मेलेक के कमरे के समीप, जो ग्रीष्म-भवन कहलाता था − सूर्य देवता के लिए अश्व-मूर्तियां प्रतिष्ठित की थीं। राजा योशियाह ने उनको हटा दिया और सूर्य देवता के रथों को आग में भस्म कर दिया।
उसने पूजा-पाठ करने वाले पुरोहितों को निकाल दिया। इन्हें यहूदा प्रदेश के राजाओं ने अपने नगरों की, तथा यरूशलेम के चारों ओर पहाड़ी शिखरों की वेदियों पर सुगन्धित धूप-द्रव्य जलाने के लिए नियुक्त किया था। इनके अतिरिक्त योशियाह ने बअल देवता, सूर्य, चन्द्र, तथा नक्षत्रों को और आकाश की समस्त प्राकृतिक शक्तियों को सुगन्धित धूप-द्रव्य जलाने वालों को भी हटा दिया।
हमारे बाप-दादों ने प्रभु के विरुद्ध विश्वासघात किया था। उन्होंने उन्हीं कार्यों को किया था जो प्रभु परमेश्वर की दृष्टि में अनुचित थे। उन्होंने उसको छोड़ दिया था। वे प्रभु से विमुख हो गए थे। वे उसके निवास-स्थान से पीठ फेरकर चले गए थे।
राजा सुलेमान ने मध्यवर्ती आंगन को भी प्रभु की महिमा के लिए अर्पित किया। यह प्रभु के भवन के सम्मुख था। जो कांस्य वेदी सुलेमान ने बनाई थी, वह छोटी थी। उस पर अग्नि-बलि, अन्न-बलि और सहभागिता-बलि एक साथ चढ़ाना सम्भव न था। इसलिए राजा सुलेमान ने मध्यवर्ती आंगन में अग्नि-बलि और सहभागिता-बलि की चर्बी चढ़ाई।
वे काठ स्तम्भ से कहते हैं, “तू हमारा पिता है।” वे पत्थर से कहते हैं, “तूने ही हमें जन्म दिया है।” उन्होंने मेरी ओर अपना मुंह नहीं वरन् अपनी पीठ फेरी है। जब उन पर संकट के बादल मंडराते हैं, तब मुझसे कहते हैं, “उठ और हमें बचा।”
वे मेरी ओर उन्मुख नहीं हुए, बल्कि मुझ से विमुख हो गए। यद्यपि मैंने उन को बार-बार समझाया, तो भी उन्होंने मेरी वाणी नहीं सुनी, और मेरी शिक्षा स्वीकार नहीं की।
जो हम करते थे, करते हैं, और जो हमारे पूर्वजों ने, राजाओं ने, और हमारे उच्चाधिकारियों ने यहूदा प्रदेश के नगरों में, यरूशलेम की गलियों में किया था, वह करते रहेंगे। हम आकाश की रानी की मन्नतें मानेंगे, उसको धूप जलाएंगे, और उसको पेयबलि चढ़ाएंगे। उन दिनों में हम सुख-समृद्धि से रहते थे, पेट भर रोटी खाते थे, और हम पर कोई विपत्ति नहीं आई थी।
“आकाश की रानी” को वे देवी मानते हैं। उसको रोटी चढ़ाने के लिए पुत्र-पुत्रियां लकड़ी बीनते हैं, पिता चूल्हे में आग सुलगाता है, और मां आटा गूंधती है। वे दूसरे देवताओं को पेय-बलि चढ़ाते हैं। क्या इससे मेरा क्रोध नहीं भड़केगा?
उनकी हड्डियां सूर्य, चन्द्रमा और आकाश के तारागणों के सामने बिखरा दी जाएंगी; क्योंकि इनसे ही वे प्यार करते थे। इन की ही उन्होंने सेवा की थी, और इनका ही अनुसरण किया था। वे इन से ही शकुन विचारते थे, और इनकी ही पूजा करते थे। उनके इन्हीं दुष्कर्मों के कारण उनकी हड्डियां एकत्र नहीं की जाएंगी, और न वे पुन: गाड़ी जाएंगी। कूड़े के ढेर की तरह उनकी हड्डियों का ढेर जमीन पर पड़ा रहेगा।
जब वह गया तब मैंने देखा कि करूब प्रभु के भवन के दक्षिण में खड़े हैं, और एक बादल भीतरी आंगन में समा गया है।
आत्मा ने मुझे उठाया, और वह मुझे प्रभु के भवन के पूर्वी फाटक पर ले गया, जिसका मुंह पूर्व दिशा में है। वहां मैंने देखा कि फाटक के प्रवेश-द्वार पर पच्चीस पुरुष खड़े हैं, और उनमें याजन्याह बेन-अज्जूर और पलत्याह बेन-बनायाह भी हैं, जो लोगों के उच्चाधिकारी हैं।
स्वामी-प्रभु यों कहता है, ‘तूने मुझे भुला दिया, अपना मुंह मुझ से फेर लिया, और कीचड़ के समान मुझे फेंक दिया। अत: अब तू अपनी कामुकता और व्यभिचार के कुकर्म का फल भोग।’
जिस दिन उन्होंने अपने देवताओं की मूर्तियों के सामने अपने पुत्रों की बलि चढ़ाई, उसी दिन वे मेरे पवित्र स्थान में आईं, और उसको अशुद्ध कर दिया। ओ मानव-पुत्र, देख, उन्होंने मेरे भवन के भीतर क्या किया है।
वह मुझे दक्षिणी फाटक से मन्दिर के भीतरी आंगन में ले गया, और उसने दक्षिणी फाटक को नापा। उसकी भी वही नाप निकली जो अन्य फाटकों की थी।
वह मन्दिर के पूर्वी फाटक पर गया। वह उसकी सीढ़ी पर चढ़ा, और उसने ड्योढ़ी की लम्बाई नापी। फाटक की ड्योढ़ी की लम्बाई तीन मीटर निकली।
तब आत्मा ने मुझे उठा कर भीतरी आंगन में पहुंचा दिया। मैंने देखा कि प्रभु के तेज से भवन भर गया।
वे अपने घर की ड्योढ़ी मेरे गृह की ड्योढ़ी से, और अपने द्वार के खम्भे मेरे द्वार के खम्भों से लगा कर बनाते थे। मेरे गृह और उनके घर के मध्य केवल दीवार थी। उन्होंने अत्यन्त घृणित कार्य किए थे, और इन घृणित कार्यों से मेरे पवित्र नाम को अपवित्र कर दिया था। अत: मैंने अपने क्रोध में उनको पूर्णत: नष्ट कर दिया था।
यह प्रायश्चित की पाप-बलि है। पुरोहित बलिपशु के रक्त में से थोड़ा रक्त लेगा, और उसको मन्दिर की चौखट के खम्भों, वेदी के चारों कोनों के कगर पर तथा भीतरी आंगन के दरवाजों पर लगाएगा।
स्वामी-प्रभु यों कहता है : ‘भीतरी आंगन का पूर्व-मुखी फाटक सप्ताह के छ: दिन बन्द रहेगा, किन्तु वह सातवें दिन अर्थात् विश्राम-दिवस तथा नवचन्द्र-दिवस पर खुला रहेगा।
वे उसको खाली कर देंगे। ‘सारा देश और यरूशलेम नगर रक्तपात और हिंसात्मक कार्यों से भर गया है।
मन्दिर के आंगन और वेदी के मध्य खड़े होकर, रोते हुए प्रभु के सेवक, पुरोहित यह कहें : ‘हे प्रभु, अपने निज लोगों पर दया कर। अपनी मीरास को बदनाम मत कर। वे अन्य राष्ट्रों में कहावत न बनें। अन्य राष्ट्रों के लोग यह क्यों कहें, “कहां है उनका ईश्वर?” ’
उसने दूसरे देवताओं की पूजा की है, और उनकी अथवा सूर्य, चन्द्रमा या आकाश की सेना में से किसी की वन्दना की है, जिसकी आज्ञा मैंने नहीं दी है,
सावधान! ऐसा न हो कि जब तुम आकाश की ओर अपनी आंखें उठाओ और सूर्य, चन्द्रमा और तारों को, आकाश की समस्त सेना को देखो, तब उनकी ओर खिंच जाओ, और उनकी वन्दना करो, उनकी सेवा करो। तुम्हारे प्रभु परमेश्वर ने आकाश के नीचे की समस्त जातियों में उनको बांट दिया है।