11 यहूदा प्रदेश के राजाओं ने प्रभु-भवन के प्रवेश-द्वार पर − अर्थात् राज-भवन के भण्डारी खोजा नतन-मेलेक के कमरे के समीप, जो ग्रीष्म-भवन कहलाता था − सूर्य देवता के लिए अश्व-मूर्तियां प्रतिष्ठित की थीं। राजा योशियाह ने उनको हटा दिया और सूर्य देवता के रथों को आग में भस्म कर दिया।
11 बीते समय में यहूदा के राजाओं ने यहोवा के मन्दिर के द्वार के पास कुछ घोड़े और रथ रख छोड़े थे। यह नतन्मेलेख नामक महत्वपूर्ण अधिकारी के कमरे के पास था। घोड़े और रथ सूर्य देव के सम्मान के लिये थे। योशिय्याह ने घोड़ों को हटाया और रथ को जला दिया।
11 और जो घोड़े यहूदा के राजाओं ने सूर्य को अर्पण कर के, यहोवा के भवन के द्वार पर नतन्मेलेक नाम खोजे की बाहर की कोठरी में रखे थे, उन को उसने दूर किया, और सूर्य के रथों को आग में फूंक दिया।
11 जो घोड़े यहूदा के राजाओं ने सूर्य को अर्पण करके, यहोवा के भवन के द्वार पर नतन्मेलेक नामक खोजे की बाहर की कोठरी में रखे थे, उनको उसने दूर किया, और सूर्य के रथों को आग में फूँक दिया।
11 उसने याहवेह के भवन के द्वार के निकट से, अधिकारी नाथान-मेलेख के कमरे के पास से उन घोड़ों की मूर्तियों को, जिन्हें यहूदिया के राजाओं से सूरज को समर्पित किया हुआ था, आंगन के बाहर कर दिया. फिर उसने सूर्य रथों को आग में भस्म कर दिया.
11 जो घोड़े यहूदा के राजाओं ने सूर्य को अर्पण करके, यहोवा के भवन के द्वार पर नतन्मेलेक नामक खोजे की बाहर की कोठरी में रखे थे, उनको उसने दूर किया, और सूर्य के रथों को आग में फूँक दिया।
उसने पूजा-पाठ करने वाले पुरोहितों को निकाल दिया। इन्हें यहूदा प्रदेश के राजाओं ने अपने नगरों की, तथा यरूशलेम के चारों ओर पहाड़ी शिखरों की वेदियों पर सुगन्धित धूप-द्रव्य जलाने के लिए नियुक्त किया था। इनके अतिरिक्त योशियाह ने बअल देवता, सूर्य, चन्द्र, तथा नक्षत्रों को और आकाश की समस्त प्राकृतिक शक्तियों को सुगन्धित धूप-द्रव्य जलाने वालों को भी हटा दिया।
योशियाह की उपस्थिति में बअल देवता की वेदियां ध्वस्त कर दी गईं उनके ऊपर सूर्य की विशाल प्रतिमाएँ थीं। उनको उसने काट दिया। उसने अशेराह देवी के खम्भे के टुकड़े-टुकड़े कर दिए तथा गढ़ी एवं ढली मूर्तियाँ पीस कर बुकनी बना दीं, और उन लोगों की कबरों पर बिखेर दिया, जो उनकी पूजा करते थे।
इसके बाद वह मुझे प्रभु-भवन के भीतरी आंगन में ले गया। वहां मैंने लगभग पच्चीस आदमी देखे, जो प्रभु-भवन के प्रवेश-द्वार के सामने, ड्योढ़ी और वेदी के बीच में खड़े थे। उनकी पीठ प्रभु के मन्दिर की ओर थी, और मुख पूर्व की ओर। वे पूर्व दिशा में सूर्य की पूजा कर रहे थे।
सावधान! ऐसा न हो कि जब तुम आकाश की ओर अपनी आंखें उठाओ और सूर्य, चन्द्रमा और तारों को, आकाश की समस्त सेना को देखो, तब उनकी ओर खिंच जाओ, और उनकी वन्दना करो, उनकी सेवा करो। तुम्हारे प्रभु परमेश्वर ने आकाश के नीचे की समस्त जातियों में उनको बांट दिया है।