राजा सुलेमान ने एस्योन-गेबेर के बन्दरगाह में एक जहाजी बेड़ा बनाया। यह बन्दरगाह अकाबा की खाड़ी के तट पर स्थित एलोत नगर के समीप एदोम देश में था।
यहेजकेल 47:7 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) जब मैं लौट रहा था, तब मैंने देखा कि नदी के दोनों किनारों पर बहुत पेड़ हैं। पवित्र बाइबल जैसे मैं नदी के किनारे से वापस चला, मैंने पानी के दोनों ओर बहुत अधिक पेड़ देखे। Hindi Holy Bible लौट कर मैं ने क्या देखा, कि नदी के दोनों तीरों पर बहुत से वृक्ष हैं। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) लौटकर मैं ने क्या देखा, कि नदी के दोनों तटों पर बहुत से वृक्ष हैं। सरल हिन्दी बाइबल जब मैं वहां पहुंचा, तो मैंने नदी के दोनों तरफ बहुत सारे पेड़ देखे. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 लौटकर मैंने क्या देखा, कि नदी के दोनों तटों पर बहुत से वृक्ष हैं। (यहे. 47:12) |
राजा सुलेमान ने एस्योन-गेबेर के बन्दरगाह में एक जहाजी बेड़ा बनाया। यह बन्दरगाह अकाबा की खाड़ी के तट पर स्थित एलोत नगर के समीप एदोम देश में था।
उन्होंने एलियाह की चादर उठा ली, जो उनके ऊपर से नीचे गिर गई थी। वह यर्दन नदी की ओर लौटे, और उसके तट पर खड़े हो गए।
मूसा ने प्रभु की दुहाई दी। प्रभु ने मूसा को वृक्ष का एक लट्ठा दिखाया। उन्होंने उसको पानी में फेंक दिया और पानी मीठा हो गया। प्रभु ने वहाँ संविधि और न्याय-सिद्धान्त स्थापित किए। वहाँ उसने उन्हें कसौटी पर भी कसा।
लबानोन प्रदेश का वैभव तेरे पास आएगा: मेरे पवित्र स्थान की साज-सज्जा के लिए सनोवर, देवदार और चीड़ वृक्षों की इमारती लकड़ी तेरे पास आएगी। मैं उस स्थान को जहाँ मैं चरण रखता हूं, महिमा प्रदान करूंगा।
तेरे सब निवासी धार्मिक होंगे; वे सदा के लिए देश पर अधिकार करेंगे, जिससे मेरी महिमा हो। ये लोग मेरे पौधे की शाखाएँ हैं; इन्हें मैंने अपने हाथ से रचा है।
प्रभु ने मुझे इसलिए भेजा है कि मैं सियोन में शोक करनेवालों को राख नहीं, वरन् विजय-माला पहनाऊं; विलाप नहीं, बल्कि उनके मुख पर आनन्द का तेल मलूं, उन्हें निराशा की आत्मा नहीं, वरन् स्तुति की चादर ओढ़ाऊं, ताकि वे धार्मिकता के बांज वृक्ष कहलाएँ; वे प्रभु के पौधे कहलाएँ और उनसे प्रभु की महिमा हो।
नदी के दोनों किनारों पर अनेक प्रकार के पेड़ होंगे, जो आहार के लिए फल देंगे। उनके पत्ते कभी नहीं मुरझाएंगे, और न ही उनमें फल लगना बन्द होगा। किन्तु ये पेड़ हर महीने नए फल दिया करेंगे, क्योंकि उनको सींचनेवाला जल पवित्र-स्थान से निकला है! उनके फल आहार के, और पत्ते औषधि के काम आएंगे।’
नगर चौक के बीचों-बीच बहती हुई नदी के तट पर, दोनों ओर एक जीवन-वृक्ष था, जो बारह प्रकार के फल, हर महीने एक बार फल, देता था। उस पेड़ के पत्तों से राष्ट्रों की चिकित्सा होती है।