यहूदा प्रदेश मिस्र निवासियों के लिए ‘हौआ’ बन जाएगा। जो भी मिस्र निवासी उसका नाम सुनेगा, वह आतंकित हो जाएगा; क्योंकि सेनाओं के प्रभु ने मिस्र-निवासियों का विनाश करने का निश्चय किया है।
यहेजकेल 30:9 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) ‘उस दिन मैं अपने पास से सन्देश-वाहक दूत भेजूंगा। वे जलयानों पर चढ़कर कूश देश जाएंगे, और उसके निश्चिंत निवासियों को डराएंगे। वे मिस्र देश के विनाश को देखकर उस दिन भय से आतंकित हो उठेंगे। ‘देखो, विनाश का दिन आ रहा है। पवित्र बाइबल “‘उस समय मैं दूतों को भेजूँगा। वे जहाजों में कूश को बुरी खबरें पहुँचाने के लिये जाएंगे। कूश अब अपने को सुरक्षित समझता है। किन्तु कूश के लोग भय से तब काँप उठेंगे जब मिस्र दण्डित होगा। वह समय आ रहा है!’” Hindi Holy Bible उस समय मेरे साम्हने से दूत जहाज़ों पर चढ़ कर निडर निकलेंगे और कूशियों को डराएंगे; और उन पर ऐसा संकट पड़ेगा जैसा कि मिस्र के दण्ड के समय; क्योंकि देख, वह दिन आता है! पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) “उस समय मेरे सामने से दूत जहाजों पर चढ़कर निडर निकलेंगे और कूशियों को डराएँगे; और उन पर ऐसा संकट पड़ेगा जैसा कि मिस्र के दण्ड के समय; क्योंकि देख, वह दिन आता है! सरल हिन्दी बाइबल “ ‘उस दिन संदेशवाहक अपने को सुरक्षित समझते हुए मेरे पास से कूश को डराने के लिये पानी जहाजों में जाएंगे. मिस्र के विनाश के दिन वे पीड़ा से भर जाएंगे, क्योंकि इसका होना निश्चित है. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 “उस समय मेरे सामने से दूत जहाजों पर चढ़कर निडर निकलेंगे और कूशियों को डराएँगे; और उन पर ऐसा संकट पड़ेगा जैसा कि मिस्र के दण्ड के समय; क्योंकि देख, वह दिन आता है! |
यहूदा प्रदेश मिस्र निवासियों के लिए ‘हौआ’ बन जाएगा। जो भी मिस्र निवासी उसका नाम सुनेगा, वह आतंकित हो जाएगा; क्योंकि सेनाओं के प्रभु ने मिस्र-निवासियों का विनाश करने का निश्चय किया है।
तब प्रभु ने यह कहा, “जैसे मेरा सेवक यशायाह तीन वर्ष तक मिस्र देश और इथियोपिआ देश के विरुद्ध संकेत-चिह्न और चमत्कार स्वरूप नंगे बदन और नंगे पैर चलता-फिरता रहा,
तब समुद्र तट के निवासियों को अपनी आशा के केन्द्र इथियोपिआ और अहंकार के प्रतीक मिस्र देश के कारण हताश और लज्जित होना पड़ेगा।
जब यह खबर मिस्र देश में पहुँची, उसके निवासी सोर के पतन का समाचार सुन अत्यन्त व्यथित हुए।
ओ राग-रंग में डूबी हुई, निश्चिंत जीवन बितानेवाली, मेरी बात सुन! तू अपने हृदय में यह कहती है, ‘केवल मैं ही हूं, मुझे छोड़ दूसरी स्वामिनी है ही नहीं। मैं विधवा की तरह नहीं रहूंगी, और न मैं निस्संतान हूंगी।’
उनके गिरने की आवाज सुनकर पृथ्वी कांप उठेगी। उनके चीत्कार की आवाज लाल सागर तक सुनाई देगी।
प्रभु कहता है : ‘सुख-चैन से रहने वाले, निश्चिंत निवास करने वाले राष्ट्र पर आक्रमण करने के लिए उठो, और उसके विरुद्ध मोर्चाबन्दी करो। वे तम्बुओं में रहते हैं, उनके नगरों में न प्रवेश-द्वार हैं, और न फाटकों में अर्गलाएं हैं।
देख, मैं-प्रभु ने यह कहा है, और यह अवश्य पुरा होगा। मैं अपने निश्चय को नहीं बदलूंगा। मैं तुझ पर तरस खा कर तुझे जीवित नहीं छोड़ूंगा, और न ही अपने निश्चय के लिए मैं पछताऊंगा। ओ यरूशलेम नगरी, तेरे आचरण और व्यवहार के अनुरूप मैं तेरा न्याय करूंगा।’ स्वामी-प्रभु की यही वाणी है।
समुद्र-तटीय देशों के सामंत अपने सिंहासन से नीचे उतरेंगे। वे अपनी राजकीय पोशाक और कसीदा कढ़े वस्त्र उतार देंगे। वे डरते और थरथराते हुए शोकवस्त्र पहिनेंगे, और भूमि पर बैठेंगे। वे हर पल कांपते रहेंगे, और तेरे पतन पर आश्चर्य-चकित होंगे।
समुद्र-तटीय देशों के निवासी तेरा विनाश देखकर आतंक से स्तम्भित हो गए। उनके राजाओं के डर से रोएं खड़े हो गए। उनके मुख भय से सफेद पड़ गए।
जब मेरा कथन पूरा होगा, वह निस्सन्देह पूरा होगा, तब उनको पता चलेगा कि उन के मध्य में एक नबी हुआ था।
तू यह सोचेगा, “मैं ऐसे ग्रामीण देश पर आक्रमण करूंगा, जो शहरपनाह से नहीं घिरा है। मैं उन लोगों पर हमला करूंगा, जो निश्चिंत निवास करते हैं। वे ऐसे मकानों में रहते हैं, जिनके चारों ओर दीवार नहीं है, जिन के घरों में सांकल और नगर के प्रवेश-द्वारों में अर्गलाएं नहीं हैं।”
मैं मागोग नगर में तथा समुद्र तटीय नगरों में निश्चिंत निवास करनेवालों पर अग्नि की वर्षा करूंगा। तब उन्हें ज्ञात होगा कि मैं ही प्रभु हूं।
स्वामी-प्रभु ने अपनी पवित्रता की यह सौगन्ध खाई है : ‘तुम्हारे ऐसे दिन आएंगे, जब सैनिक तुम्हें कांटों से फांसकर ले जाएंगे, और जो शेष रह जाएंगी, उन्हें मछली के सदृश बंसी के कांटों में फंसाकर ले जाएंगे।
दर्शन के पूर्ण होने में कुछ देर है, पर वह अवश्य पूरा होगा, वह झूठा नहीं होगा। यदि उसके पूर्ण होने में देर हो, तो प्रतीक्षा कर। यह दर्शन अवश्य सिद्ध होगा, उसमें अधिक विलम्ब न होगा।’
यह वैभवपूर्ण नगरी है। इसे अपनी सुरक्षा पर विश्वास था। यह अपने हृदय में सोचती थी: ‘बस मैं ही हूं, मेरे समान कोई अन्य नगरी नहीं है।’ इसका कैसा विनाश हुआ! यह जंगली पशुओं की मांद बन गई। यहां से गुजरनेवाले थू-थू करते हैं, वे हाथों से उपेक्षा जताते हैं।
अत: वे पाँच पुरुष चले गए। वे लइश नगर में आए। उन्होंने उसमें रहने वाले लोगों को देखा कि वे सीदोनी जाति के समान निश्चिन्तता से निवास करते हैं। वे शान्तिपूर्वक तथा निश्चिन्त ढंग से रहते हैं। उन्हें पृथ्वी की किसी भी वस्तु का अभाव नहीं है। वे सीदोन देश से दूर रहते हैं। सीरिया देश से भी उनका सम्बन्ध नहीं है।