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सपन्याह 2:15 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

15 यह वैभवपूर्ण नगरी है। इसे अपनी सुरक्षा पर विश्‍वास था। यह अपने हृदय में सोचती थी: ‘बस मैं ही हूं, मेरे समान कोई अन्‍य नगरी नहीं है।’ इसका कैसा विनाश हुआ! यह जंगली पशुओं की मांद बन गई। यहां से गुजरनेवाले थू-थू करते हैं, वे हाथों से उपेक्षा जताते हैं।

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पवित्र बाइबल

15 नीनवे इन दिनों इतना अधिक घमण्डी है। यह ऐसा प्रसन्न नगर है। लोग समझते हैं कि वे सुरक्षित हैं। वे समझते हैं कि नीनवे संसार में सबसे बड़ा स्थान है। किन्तु वह नगर नष्ट किया जायेगा! यह एक सूना स्थान होगा, जहाँ केवल जंगली जानवर आराम करने जाते हैं। जब लोग उधर से गुजरेंगे और देखेंगे कि कितनी बुरी तरह नगर नष्ट किया गया है तब वे सीटियाँ बजाएंगे और सिर हिलायेंगे।

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Hindi Holy Bible

15 यह वही नगरी है, जो मगन रहती और निडर बैठी रहती थी, और सोचती थी कि मैं ही हूं, और मुझे छोड़ कोई है ही नहीं। परन्तु अब यह उजाड़ और वन पशुओं के बैठने का स्थान बन गया है, यहां तक कि जो कोई इसके पास हो कर चले, वह ताली बजाएगा और हाथ हिलाएगा।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

15 यह वही नगरी है, जो मगन रहती और निडर बैठी रहती थी, और सोचती थी कि मैं ही हूँ, और मुझे छोड़ कोई है ही नहीं। परन्तु अब यह उजाड़ और वनपशुओं के बैठने का स्थान बन गया है, यहाँ तक कि जो कोई इसके पास होकर चले, वह ताली बजाएगा और हाथ हिलाएगा।

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सरल हिन्दी बाइबल

15 यह उस चहल-पहल वाले शहर की स्थिति है जो कभी सुरक्षित हुआ करती थी. वह अपने आपसे कहती थी, “मैं ही हूं! और मुझे छोड़ कोई दूसरा नहीं है.” वह खंडहर मात्र रह गई है, वन-पशुओं का एक मांद! जो कोई इसके पास से गुज़रता है, वह इसकी खिल्ली उड़ाता और अपना मुक्का तानता है.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

15 यह वही नगरी है, जो मगन रहती और निडर बैठी रहती थी, और सोचती थी कि मैं ही हूँ, और मुझे छोड़ कोई है ही नहीं। परन्तु अब यह उजाड़ और वन-पशुओं के बैठने का स्थान बन गया है, यहाँ तक कि जो कोई इसके पास होकर चले, वह ताली बजाएगा और हाथ हिलाएगा।

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सपन्याह 2:15
27 क्रॉस रेफरेंस  

यदि तुम मेरे स्‍थान पर होते तो मैं भी तुम्‍हारी तरह बातें करता। मैं तुम्‍हारे विरुद्ध शब्‍द गढ़ता, और तुम पर सिर हिलाता।


लोग उस पर ताली बजाते हैं; वे उसको उसके स्‍थान से खदेड़ने के लिए सिसकाते हैं।’


अरे कोलाहल भरे नगर, जयजयकार करनेवाले नगर, आनन्‍द-उत्‍सव मनानेवाले नगर, तेरे मृतजन तलवार से नहीं मारे गए, और न युद्ध में मारे गए।


ओ आलसी स्‍त्रियो, कांपो! ओ आत्‍म-सन्‍तुष्‍ट महिलाओ, व्‍याकुल हो! पश्‍चात्ताप प्रकट करने के लिए अपने वस्‍त्र उतारो, और अपनी कमर में टाट वस्‍त्र लपेट लो।


राजमहल परित्‍यक्‍त हो जाएगा, आबाद नगर उजाड़ हो जाएगा। पहाड़ी और पहरेदार के बुर्ज सदा के लिए खोहें बन जाएंगे; जहाँ जंगली गधे मौज करेंगे, जहाँ पालतू पशु घास चरेंगे।


ओ आलसी स्‍त्रियो, उठो और मेरी बात सुनो! ओ आत्‍म-सन्‍तुष्‍ट महिलाओ, मेरे शब्‍दों पर ध्‍यान दो!


तूने अपनी दुष्‍टता के कारण स्‍वयं को सुरक्षित समझा था, तू कहती थी, ‘मुझे कोई नहीं देखता।’ तेरी बुद्धि और तेरे ज्ञान ने तुझे धोखा दिया। तूने अपने हृदय में यह कहा, ‘केवल मैं ही हूं, मुझे छोड़ दूसरी स्‍वामिनी है ही नहीं।’


अत: उन का देश उजाड़ हो गया, उसको देखकर अन्‍य राष्‍ट्रों के लोग सदा व्‍याकुल रहेंगे। उससे गुजरनेवाला राहगीर आश्‍चर्य करता है, और सिर हिलाता है।


यह नगर एक आतंकपूर्ण नगर बन जाएगा, जिस से लोग व्‍याकुल होंगे। यहां से गुजरनेवाले राहगीर इसके विनाश को देखकर डर से कांप उठेंगे; वे चकित होंगे और घबरा जाएंगे।


प्रभु के क्रोध के कारण वह कभी आबाद नहीं होगी; किन्‍तु सदा उजाड़ पड़ी रहेगी। बेबीलोन से गुजरने वाला उसको देखकर भय से कांप उठेगा, वह उसके घावों को देखकर व्‍याकुल हो जाएगा।


जो नगरी लोगों से भरी-पूरी थी, अब वह उजाड़ पड़ी है; वह विधवा के सदृश अकेली हो गई। जो कभी राष्‍ट्रों में महान थी, जो कभी नगरों में रानी थी, अब वह दासी बन गई, वह दूसरे राज्‍यों को कर चुकाती है।


प्रभु ने सियोन की पुत्री को अपने प्रकोप के मेघों से ढक दिया! उसने इस्राएल के वैभव को आकाश से पृथ्‍वी पर फेंक दिया! उसने अपने प्रकोप-दिवस पर अपने चरणों की चौकी को स्‍मरण न रखा।


मार्ग से गुजरनेवाले तुझे देखकर ताली बजाते हैं। वे यरूशलेम कि पुत्री को देखकर छी-छी करते और मुंह बनाकर यह कहते हैं : ‘क्‍या यह वही नगरी है, जिसको “विश्‍व का आनन्‍द” , “परम-सुन्‍दरी” कहा जाता था?”


विश्‍व की अन्‍य जातियों के व्‍यापारी तुझ पर ताना मार रहे हैं। ओ सोर, भयानक रूप से तेरा अन्‍त हुआ; अब तेरा कभी पुनर्निर्माण नहीं होगा।” ’


‘ओ मानव-सन्‍तान, तू सोर नगर-राज्‍य के शासक से यों कह : स्‍वामी-प्रभु यों कहता है : “तेरा हृदय अहंकार से भरा है। तू कहता है कि तू ईश्‍वर है, और समुद्र के मध्‍य में, देवताओं के दरबार में उच्‍चासन पर बैठता है। नहीं, तू ईश्‍वर नहीं, बल्‍कि केवल मनुष्‍य है। तू अपने को ईश्‍वर के सदृश बुद्धिमान समझता है।


ओ सोर नगर-राज्‍य के शासक, क्‍या तू अपने वधिकों के सामने दावा करेगा कि तू ईश्‍वर है? नहीं, जब तू अपने हत्‍यारों के हाथ में पड़ जाएगा, तब उनकी दृष्‍टि में ईश्‍वर नहीं, वरन् मनुष्‍य ठहरेगा।


तू उनसे यह कहना, स्‍वामी-प्रभु यों कहता है : “ओ मिस्र देश के राजा फरओ, ओ नील नदी की जलधाराओं में शयन करनेवाले महा जलचर! तू कहता है कि नील नदी तेरी है और तूने उसको बनाया है। सुन, मैं तेरे विरुद्ध हूं।


महाराज, मैं आपसे निवेदन करता हूं, आप मेरा यह परामर्श स्‍वीकार कीजिए: सद् आचरण कर अपने पाप के बन्‍धनों को तोड़ दीजिए। आप पीड़ितों के प्रति दया कर अधर्म से मुक्‍त हो जाइए। तब संभव है कि आपकी शांति के ये दिन लम्‍बे हो जाएं।”


तेरी चोट का कोई इलाज नहीं, तेरा घाव बहुत गहरा है। जो लोग तेरी खबर सुनते हैं, वे खुश होकर तुझ पर ताली पीटते हैं; क्‍योंकि तेरे निरन्‍तर अत्‍याचारों को किसने नहीं भोगा है?


वह भयानक और विकराल राष्‍ट्र है। उसके अपने न्‍याय-सिद्धान्‍त और अपनी मर्यादा है।


उधर से आने-जाने वाले लोग येशु की निन्‍दा करते और सिर हिलाते हुए


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