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यहेजकेल 28:5 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

तू बुद्धिमान व्‍यापारी है; तूने व्‍यापार से अपनी धन-सम्‍पत्ति बढ़ाई है। इस धन-सम्‍पत्ति के कारण तेरा हृदय घमण्‍ड से फूल उठा है।

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पवित्र बाइबल

अपनी तीव्र बुद्धि और व्यापार से तुमने अपनी सम्पत्ति बढ़ाई है, और अब तुम उस सम्पत्ति के कारण गर्वीले हो।

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Hindi Holy Bible

तू ने बड़ी बुद्धि से लेन-देन किया जिस से तेरा धन बढ़ा, और धन के कारण तेरा मन फूल उठा है।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

तू ने बड़ी बुद्धि से लेन–देन किया जिस से तेरा धन बढ़ा, और धन के कारण तेरा मन फूल उठा है।

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सरल हिन्दी बाइबल

व्यापार में अपनी निपुणता के द्वारा, तुमने अपनी संपत्ति बढ़ा ली है, और तुम्हारे धन के कारण तुम्हारा मन घमंडी हो गया है.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

तूने बड़ी बुद्धि से लेन-देन किया जिससे तेरा धन बढ़ा, और धन के कारण तेरा मन फूल उठा है।

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यहेजकेल 28:5
32 क्रॉस रेफरेंस  

तुमने निश्‍चय ही एदोमी सेना को पराजित किया है; पर तुम्‍हारा हृदय गर्व से फूल उठा है। अपनी अभूतपूर्व विजय से सन्‍तुष्‍ट हो, और घर में ही रहो। तुम अपने अनिष्‍ट को क्‍यों बुला रहे हो? इससे तुम्‍हारा पतन होगा, और तुम्‍हारे साथ समस्‍त यहूदा प्रदेश का भी।’


तुम सोचते हो, “मैंने एदोमी सेना को पराजित किया है।” इस कारण तुम्‍हारा हृदय गर्व से फूल उठा है। अपनी अभूतपूर्व विजय से सन्‍तुष्‍ट हो, और घर में ही रहो। तुम अपने अनिष्‍ट को क्‍यों बुला रहे हो? इससे तुम्‍हारा पतन होगा, और तुम्‍हारे साथ समस्‍त यहूदा प्रदेश का भी।’


“देखो, उस शक्‍तिमान को, जिसने परमेश्‍वर को अपना गढ़ नहीं बनाया, वरन् जिसने अपने धन-वैभव की प्रचुरता पर भरोसा किया, और अपनी धन-सम्‍पत्ति को अपना गढ़ माना।”


अत्‍याचार पर भरोसा मत करो, लूट-मार से न फूलो; यदि धन-सम्‍पत्ति की वृद्धि होती है, तो उस पर हृदय मत लगाओ।


परमेश्‍वर ने एक बार कहा, मैं ने दो बार यह सुना कि सामर्थ्य परमेश्‍वर का ही है।


अपनी धन-सम्‍पत्ति पर भरोसा करनेवाला सूखे पत्ते के समान झड़ जाता है; पर धार्मिक मनुष्‍य नए पत्ते के समान लहलहाता है।


यदि तुझे ऐसा मनुष्‍य मिले, जो स्‍वयं को अपनी दृष्‍टि में बुद्धिमान मानता है, तो उस मनुष्‍य से अधिक मूर्ख का भविष्‍य उज्‍ज्‍वल है।


अन्‍यथा मैं भरपेट खाने पर तेरी महिमा से इन्‍कार कर दूंगा, और गर्व से कहूंगा, ‘प्रभु है कौन?’ अथवा गरीब होने पर मैं चोरी करने लगूंगा; और यों तेरे पवित्र नाम को कलंकित करूंगा।


वे अनेक सागरों की यात्रा करते थे। शिहोर का अनाज, नील नदी की फसल उन्‍हें आय में प्राप्‍त होती थी। वे अनेक राष्‍ट्रों से व्‍यापार करते थे।


किसने सोर के विरुद्ध यह योजना बनाई थी? सोर, जिसने अनेक राज्‍यों की स्‍थापना की, जिसके व्‍यापारी सामन्‍त थे, जिसके व्‍यापारियों का समस्‍त पृथ्‍वी पर आदर किया जाता था।


धिक्‍कार है तुम्‍हें! तुम अपनी ही दृष्‍टि में स्‍वयं को बुद्धिमान और चतुर समझते हो।


‘ओ विश्‍वासघातिनी पुत्री, तू अपनी घाटियों पर अभिमान क्‍यों करती है? तुझे अपनी धन-सम्‍पत्ति पर बड़ा भरोसा था; तू कहती थी, “मुझ पर कौन हमला कर सकता है?”


तेरी बहिन सोदोम का केवल यही अधर्म था कि उसने और उसकी पुत्रियों ने घमण्‍ड किया। उन्‍होंने आवश्‍यकता से अधिक अनाज जमा किया, खाया-पीया, मौज-मजा किया लेकिन गरीबों और अभावग्रस्‍त अपने जाति-भाई-बहिनों की चिन्‍ता नहीं की।


तुझे अपने रूप का घमण्‍ड था; तूने अपने वैभव के कारण अपनी बुद्धि भ्रष्‍ट कर ली थी। अत: मैंने तुझको तेरे उच्‍चासन से उतार कर भूमि पर पटक दिया। मैंने तुझे राजाओं के सामने रखा कि वे तुझे देखें, और तेरा मजाक उड़ाएं।


‘ओ मानव-सन्‍तान, तू सोर नगर-राज्‍य के शासक से यों कह : स्‍वामी-प्रभु यों कहता है : “तेरा हृदय अहंकार से भरा है। तू कहता है कि तू ईश्‍वर है, और समुद्र के मध्‍य में, देवताओं के दरबार में उच्‍चासन पर बैठता है। नहीं, तू ईश्‍वर नहीं, बल्‍कि केवल मनुष्‍य है। तू अपने को ईश्‍वर के सदृश बुद्धिमान समझता है।


“जब दक्षिण देश का राजा उसकी सेना को पराजित कर देगा, तब उसका हृदय घमण्‍ड से फूल उठेगा। वह लाखों सैनिकों का वध करेगा, परन्‍तु वह उस पर प्रबल न होगा;


तब मैंने सोचा, “क्‍या यह बेबीलोन नगर महान नहीं है? मैंने इसको अपनी बड़ी ताकत से बनाया है ताकि यह मेरी राजधानी बने और इसके माध्‍यम से मेरे वैभव की चहुं ओर प्रशंसा हो।”


“अब मैं, नबूकदनेस्‍सर, स्‍वर्ग के राजा की स्‍तुति और महिमा करता हूं, उसके गुणों का गान करता हूं; क्‍योंकि उसके सब कार्य सच्‍चे, और प्रत्‍येक व्‍यवहार न्‍यायपूर्ण है। ‘जो मनुष्‍य घमण्‍ड से सिर ऊंचा करके चलता है, उसको वह नीचा कर सकता है।’


पर चरागाह में पहुंचते ही जब तुम्‍हारा गले तक पेट भर गया, जब तुम्‍हारा हृदय अहंकार से फूल उठा, तुम मुझे भूल गए।


सोर ने अपने लिए एक गढ़ बनाया है, उसने धूल-कणों के सदृश चांदी का ढेर लगाया है। उसने कच्‍ची सड़क के कीचड़ के सदृश सोना एकत्र किया है।


आपस में मेल-मिलाप का भाव बनाये रखें। घमण्‍डी न बनें, बल्‍कि दीन-दु:खियों से मिलते-जुलते रहें। अपने आप को बुद्धिमान् न समझें।


सावधान! ऐसा न हो कि तू अपने हृदय में कहे, “मैंने अपनी शक्‍ति से, अपने भुजबल से यह सम्‍पत्ति अर्जित की है।”


इस वर्तमान संसार के धनवानों से अनुरोध करो कि वे घमण्‍ड न करें और नश्‍वर धन-सम्‍पत्ति पर नहीं, बल्‍कि परमेश्‍वर पर भरोसा रखें, जो हमारे उपभोग की सब वस्‍तुएं पर्याप्‍त मात्रा में देता है।