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यशायाह 6:1 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

जिस वर्ष राजा उज्‍जियाह की मृत्‍यु हुई, मैंने यह दर्शन देखा : एक बहुत ऊंचे सिंहासन पर स्‍वामी बैठा है। उसकी राजसी पोशाक के छोर से मन्‍दिर भर गया है।

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पवित्र बाइबल

जिस वर्ष राजा उज्जिय्याह की मृत्यु हुई, मैंने अपने अद्भुत स्वामी के दर्शन किये। वह एक बहुत ऊँचे सिंहासन पर विराजमान था। उसके लम्वे चोगे से मन्दिर भर गया था।

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Hindi Holy Bible

जिस वर्ष उज्जिय्याह राजा मरा, मैं ने प्रभु को बहुत ही ऊंचे सिंहासन पर विराजमान देखा; और उसके वस्त्र के घेर से मन्दिर भर गया।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

जिस वर्ष उज्जिय्याह राजा मरा, मैं ने प्रभु को बहुत ही ऊँचे सिंहासन पर विराजमान देखा; और उसके वस्त्र के घेर से मन्दिर भर गया।

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सरल हिन्दी बाइबल

यशायाह का दर्शन है उस वर्ष जब राजा उज्जियाह की मृत्यु हुई, उस वर्ष मैंने प्रभु को ऊंचे सिंहासन पर बैठे देखा, उनके वस्त्र से मंदिर ढंक गया है.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

जिस वर्ष उज्जियाह राजा मरा, मैंने प्रभु को बहुत ही ऊँचे सिंहासन पर विराजमान देखा; और उसके वस्त्र के घेर से मन्दिर भर गया। (प्रका. 4:2,6, मत्ती 25:3, प्रका. 7:10)

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यशायाह 6:1
38 क्रॉस रेफरेंस  

मीकायाह ने आगे कहा, ‘अब प्रभु का वचन सुनिए। मैंने प्रभु को सिंहासन पर विराजमान देखा। उसके समीप स्‍वर्ग की समस्‍त सेना उसकी दाहिनी और बाईं ओर खड़ी थी।


अजर्याह अपने मृत पूर्वजों के साथ सो गया। उसको उसके पूर्वजों के साथ दाऊद-पुर में गाड़ा गया। उसका पुत्र योताम उसके स्‍थान पर राज्‍य करने लगा।


मीकायाह ने आगे कहा, ‘अब प्रभु का वचन सुनिए। मैंने प्रभु को सिंहासन पर विराजमान देखा। उसके समीप स्‍वर्ग की समस्‍त सेना उसकी दाहिनी तथा बाईं ओर खड़ी थी।


प्रभु, मैंने तेरे विषय में केवल कानों से सुना था, पर अब मेरी आँखें तुझे देखती हैं।


हे परमेश्‍वर, स्‍वर्ग पर अपनी महानता प्रकट कर, समस्‍त पृथ्‍वी पर तेरी महिमा व्‍याप्‍त हो!


हमारे प्रभु परमेश्‍वर के सदृश और कौन है? वह उच्‍च स्‍थान पर विराजमान है,


“शान्‍त हो, और जान लो कि मैं ही परमेश्‍वर हूँ। मैं राष्‍ट्रों में सर्वोच्‍च हूँ; मैं पृथ्‍वी पर सर्वोच्‍च हूँ।”


तत्‍पश्‍चात् मूसा, हारून, नादब, अबीहू तथा इस्राएली समाज के सत्तर धर्मवृद्ध ऊपर गए।


यशायाह बेन-आमोत्‍स का दर्शन : यह यहूदा प्रदेश तथा यरूशलेम नगर के सम्‍बन्‍ध में था। ये दर्शन यशायाह ने यहूदा प्रदेश के राजाओं उज्‍जियाह, योताम, आहाज और हिजकियाह के राज्‍य-काल में देखे थे।


उस दिन तुम यह कहोगे, “प्रभु को धन्‍यवाद दो, उसके नाम से प्रार्थना करो। राष्‍ट्रों में उसके महान कार्य प्रकट करो; यह घोषित करो कि उसका नाम महान है।


सर्वोच्‍च और महान परमेश्‍वर, जिसका नाम पवित्र है, जो अनन्‍तकाल तक जीवित है, यह कहता है : ‘मैं उच्‍च और पवित्र स्‍थान में निवास करता हूं, पर मैं उसके साथ भी विद्यमान रहता हूं जिसकी आत्‍मा विदीर्ण और विनम्र है। मैं उस विनम्र व्यक्‍ति की आत्‍मा को संजीव करता हूं, और उसके विदीर्ण हृदय को पुनर्जीवित।


प्रभु यों कहता है : ‘आकाश मेरा सिंहासन है और पृथ्‍वी मेरे चरणों की चौकी है! तब तुम मेरे लिए कैसा घर बनाओगे? वह स्‍थान कहाँ है, जहाँ मैं विश्राम कर सकता हूं?’


तीसवें वर्ष के चौथे महीने की पांचवीं तारीख को यह घटना घटी। उस समय कबार नदी के तट पर यहूदा प्रदेश से निष्‍कासित बन्‍दियों का शिविर था। मैं भी इन्‍हीं बन्‍दियों में था। तब स्‍वर्ग खुल गया, और मैंने परमेश्‍वर के दर्शन देखे।


मैंने आंखें ऊपर कीं और यह देखा: करूबों के सिर के ऊपर आकाशमण्‍डल है, और इस आकाशमण्‍डल में सिंहासन-सा कुछ है, जो नीलमणि के समान चमक रहा है।


उसी क्षण प्रभु का तेज करूबों के पास से भवन की ड्‍योढ़ी में चला गया, और सम्‍पूर्ण भवन बादल से ढक गया। आंगन प्रभु के तेज के प्रकाश से भर गया।


मेरे स्‍वामी का यह सेवक अपने स्‍वामी से बातें करने का साहस कैसे जुटा सकता है? स्‍वामी, मेरे शरीर में न तो शक्‍ति है और न प्राण ही।”


“मैंने दर्शन में देखा कि सिंहासन रखे गए, और एक प्राचीन युग-पुरुष विराजमान हुआ। उसका परिधान बर्फ के सदृश सफेद था; और सिर के केश शुद्ध ऊन के समान उज्‍ज्‍वल थे। उसका सिंहासन अग्‍निमय था; और सिंहासन के पहिए धधकती हुई ज्‍वालाएं।


मैं उससे पहेलियों में नहीं, वरन् स्‍पष्‍ट शब्‍दों में आमने-सामने बात करता हूं। वह मेरा, अपने प्रभु का, स्‍वरूप निहारता है। तब तुम मेरे सेवक मूसा के विरोध में बोलते समय क्‍यों नहीं डरे?’


“जब मानव-पुत्र अपनी महिमा में आएगा और सब स्‍वर्गदूत उस के साथ आएँगे, तब वह अपने महिमामय सिंहासन पर विराजमान होगा।


किसी ने कभी परमेश्‍वर को नहीं देखा; पर एकलौते पुत्र ने, जो स्‍वयं परमेश्‍वर है और जो पिता की गोद में है, उसको प्रकट किया है।


यशायाह ने यह इसलिए बताया कि उन्‍होंने स्‍वयं येशु की महिमा देखी थी और उनके विषय में यह कहा था।


जो अमरता का एकमात्र स्रोत है, जो अगम्‍य ज्‍योति में निवास करता है, जिसे न तो किसी मनुष्‍य ने कभी देखा है और न कोई देख सकता है। उसे सम्‍मान प्राप्‍त हो तथा उसका सामर्थ्य युगानुयुग बना रहे! आमेन!


परमेश्‍वर की महिमा और उसके सामर्थ्य के कारण मन्‍दिर धूएँ से भर गया था और कोई तब तक मन्‍दिर में प्रवेश नहीं कर सकता था, जब तक सात स्‍वर्गदूतों की सात विपत्तियाँ पूरी न हो जायें।


इसके बाद मैंने एक विशाल श्‍वेत सिंहासन और उस पर विराजमान व्यक्‍ति को देखा। पृथ्‍वी और आकाश उसके सामने लुप्‍त हो गये और उनका कहीं भी पता नहीं चला।


“जो विजय प्राप्‍त करता है, उसको मैं उसी तरह अपने साथ अपने सिंहासन पर विराजमान होने का अधिकार दूँगा, जिस तरह मैं विजय प्राप्‍त कर अपने पिता के साथ उसके सिंहासन पर विराजमन हूँ।


तब-तब चौबीस धर्मवृद्ध सिंहासन पर विराजमान को दण्‍डवत करते हैं, युग-युगों तक जीवित रहने वाले की आराधना करते और यह कहते हुए सिंहासन के सामने अपने मुकुट डाल देते हैं :


मैं तुरन्‍त आत्‍मा से आविष्‍ट हो गया। मैंने देखा कि स्‍वर्ग में एक सिंहासन रखा हुआ है और उस पर कोई विराजमान है,


जिसका रूप-रंग सूर्यकान्‍त एवं रुधिराख्‍य के सदृश है और सिंहासन के चारों ओर मरकतमणि-जैसा एक आभा-मण्‍डल है।


जब-जब प्राणी सिंहासन पर विराजमान, युग-युगों तक जीवित रहने वाले को महिमा, सम्‍मान और धन्‍यवाद देते हैं,


इसके बाद मैंने देखा कि जो सिंहासन पर विराजमान है, उसके दाहिने हाथ में एक लपेटी हुई पुस्‍तक है, जिस पर दोनों ओर लिखा हुआ है और जिसे सात मोहरें लगा कर बन्‍द कर दिया गया है।


तब मेमने ने पास आ कर सिंहासन पर बैठने वाले के दाहिने हाथ से पुस्‍तक ली।


और वे पहाड़ों और चट्टानों से बोल उठे : “हम पर गिर पड़ो और सिंहासन पर विराजमान की दृष्‍टि से और मेमने के क्रोध से हमें छिपा लो।”