स्वामी ने यह कहा, “ये लोग केवल मुंह से मेरी आराधना करते हैं, केवल ओंठों से मेरा सम्मान करते हैं; किन्तु इनका हृदय मुझसे दूर है। ये दूसरों के आदेश से मेरी भक्ति करते हैं; इनकी भक्ति रटी-रटाई, सीखी हुई है।
मरकुस 7:7 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) ये व्यर्थ ही मेरी उपासना करते हैं, क्योंकि ये मनुष्यों के बनाए हुए नियमों को ऐसे सिखाते हैं मानो वे धर्मसिद्धान्त हों।’ पवित्र बाइबल मेरे लिए उनकी उपासना व्यर्थ है, क्योंकि उनकी शिक्षा केवल लोगों द्वारा बनाए हुए सिद्धान्त हैं।’ Hindi Holy Bible और ये व्यर्थ मेरी उपासना करते हैं, क्योंकि मनुष्यों की आज्ञाओं को धर्मोपदेश करके सिखाते हैं। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) ये व्यर्थ मेरी उपासना करते हैं, क्योंकि मनुष्यों की आज्ञाओं को धर्मोपदेश करके सिखाते हैं।’ नवीन हिंदी बाइबल वे मनुष्यों के नियमों को धर्म-शिक्षा के रूप में सिखाकर व्यर्थ में मेरी उपासना करते हैं। सरल हिन्दी बाइबल मेरे प्रति उनकी उपासना व्यर्थ है. उनकी शिक्षाएं मात्र मनुष्य के मस्तिष्क की उपज हैं.’ इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 और ये व्यर्थ मेरी उपासना करते हैं, क्योंकि मनुष्यों की आज्ञाओं को धर्मोपदेश करके सिखाते हैं।’ (यशा. 29:13) |
स्वामी ने यह कहा, “ये लोग केवल मुंह से मेरी आराधना करते हैं, केवल ओंठों से मेरा सम्मान करते हैं; किन्तु इनका हृदय मुझसे दूर है। ये दूसरों के आदेश से मेरी भक्ति करते हैं; इनकी भक्ति रटी-रटाई, सीखी हुई है।
तुमने क्या यह नहीं कहा है, “परमेश्वर की सेवा करना व्यर्थ है। हमने उसके आदेशों का पालन किया, हम स्वर्गिक सेनाओं के प्रभु के सम्मुख शोक-संतप्त चलते रहे। हमें क्या लाभ हुआ?
ये व्यर्थ ही मेरी उपासना करते हैं; क्योंकि ये मनुष्यों के बनाए हुए नियमों को ऐसे सिखाते हैं, मानो वे धर्म-सिद्धान्त हों।’ ”
“प्रार्थना करते समय गैर-यहूदियों की तरह व्यर्थ बातों की रट नहीं लगाओ। वे समझते हैं कि लम्बी-लम्बी प्रार्थनाएँ करने से उनकी प्रार्थना सुनी जाएगी।
यदि मसीह नहीं जी उठे, तो हमारा संदेश सुनाना व्यर्थ है और आप लोगों का विश्वास करना भी व्यर्थ है।
मेरे प्रिय भाइयो और बहिनो! आप विश्वास में दृढ़ तथा अटल बने रहें। आप प्रभु के कार्य में निरंतर बढ़ते जाएं, और आप यह निश्चित जानिए कि प्रभु के लिए किया गया आप का परिश्रम व्यर्थ नहीं है।
‘जिन बातों का आदेश मैं तुम्हें देता हूँ, उन सब का तुम पालन करना; उनके अनुसार कार्य करना। तुम उनमें न कुछ जोड़ना, और न उनमें से कुछ घटाना।
ये सब मनुष्यों के आदेश हैं, मानवीय सिद्धांतों पर आधारित हैं और ऐसी वस्तुओं से सम्बन्ध रखते हैं, जो उपयोग में आने पर नष्ट हो जाती हैं।
निरर्थक विवादों, वंशावलियों, दलबन्दी और व्यवस्था सम्बन्धी झगड़ों से दूर रहो। यह सब अलाभकर और व्यर्थ है।
यदि कोई अपने को धर्मात्मा मानता है, किन्तु अपनी जीभ पर नियन्त्रण नहीं रखता, तो वह अपने आप को धोखा देता है और उसका धर्माचरण व्यर्थ है।
जो लोग इस पुस्तक की नबूवत की बातें सुनते हैं, मैं उन सब को यह चेतावनी देता हूँ, “यदि कोई इन में कुछ जोड़ेगा, तो परमेश्वर इस पुस्तक में लिखी हुई विपत्तियाँ उस पर ढा देगा
निस्सार देवी-देवताओं की मूर्तियों का अनुसरण मत करना। वे किसी को लाभ नहीं पहुँचा सकतीं और न बचा सकती हैं; क्योंकि वे निस्सार मूर्तियाँ हैं!