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भजन संहिता 10:3 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

दुर्जन अपनी अभिलाषा की डींग मारता है; वह स्‍वयं की प्रशंसा करता, पर प्रभु की निन्‍दा करता है।

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पवित्र बाइबल

दुष्ट जन उन वस्तुओं पर गर्व करते हैं, जिनकी उन्हें अभिलाषा है और लालची जन परमेश्वर को कोसते हैं। इस प्रकार दुष्ट दर्शाते हैं कि वे यहोवा से घृणा करते हैं।

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Hindi Holy Bible

क्योंकि दुष्ट अपनी अभिलाषा पर घमण्ड करता है, और लोभी परमेश्वर को त्याग देता है और उसका तिरस्कार करता है॥

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

क्योंकि दुष्‍ट अपनी अभिलाषा पर घमण्ड करता है, और लोभी परमेश्‍वर को त्याग देता है और उसका तिरस्कार करता है।

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नवीन हिंदी बाइबल

दुष्‍ट अपने मन की अभिलाषा पर घमंड करता है, और लोभी मनुष्य यहोवा को शाप देता और उसका तिरस्कार करता है।

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सरल हिन्दी बाइबल

दुर्जन की मनोकामना पूर्ण होती जाती है, तब वह इसका घमंड करता है; लालची पुरुष याहवेह की निंदा करता तथा उनसे अलग हो जाता है.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

क्योंकि दुष्ट अपनी अभिलाषा पर घमण्ड करता है, और लोभी यहोवा को त्याग देता है और उसका तिरस्कार करता है।

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भजन संहिता 10:3
40 क्रॉस रेफरेंस  

जो सेना पराजित हो गई है, उसी सेना के सदृश एक नई सेना तैयार कीजिए। पहले के समान घोड़े और रथ एकत्र कीजिए। हम इस बार इस्राएलियों से मैदान में युद्ध करेंगे, और उन्‍हें निश्‍चय ही पराजित करेंगे।’ बेन-हदद ने उनकी बात सुनी, और वैसा ही किया।


‘यदि मैंने सोना-चांदी का भरोसा किया होता, अथवा शुद्ध सोने को अपना आश्रय माना होता;


वे मेरे विरुद्ध अपना मुंह फाड़ते हैं; वे यह कहते हैं, “अहा! हमारी आंखों ने उसे देखा है।”


यद्यपि वह अपने जीवनकाल में स्‍वयं को सुखी मानता है; यद्यपि लोग उसकी प्रशंसा करते हैं, कि वह जीवन में सफल हुआ है;


जो अपनी सम्‍पत्ति पर भरोसा रखते हैं, और अपने अपार धन पर अहंकार करते हैं, तब क्‍यों मैं भयभीत होऊं?


तू झूठ बोलने वालों को नष्‍ट करता है। प्रभु, तू हत्‍यारों और धूर्तों से घृणा करता है।


अरे अत्‍याचारी, क्‍यों तू अपने कुकर्मों पर अहंकार करता है? परमेश्‍वर की करुणा सदा बनी रहती है।


वे निरन्‍तर धृष्‍ट वचन बोलते हैं; समस्‍त कुकर्मी डींग मारते हैं।


शत्रु ने कहा, “मैं पीछा करूंगा, मैं उन्‍हें पकड़ूंगा, मैं लूट के माल को बाटूंगा, उससे मेरे प्राण तृप्‍त होंगे। मैं अपनी तलवार खीचूंगा, मेरा हाथ उन्‍हें नष्‍ट करेगा।”


कानून का उल्‍लंघन करनेवाला मनुष्‍य ही दुर्जन की प्रशंसा करता है: पर कानून के माननेवाले व्यक्‍ति दुर्जन का विरोध करते हैं।


मैंने अपने निस्‍सार जीवन में यह देखा है: धार्मिक मनुष्‍य अपनी धार्मिकता में मरता है, किन्‍तु दुर्जन व्यक्‍ति दुष्‍कर्म करते हुए दीर्घायु प्राप्‍त करता है।


‘तूने किस की ओर व्‍यंग्‍य-बाण छोड़े थे? तूने किसको गाली दी थी? तूने किसके विरुद्ध आवाज उठाई थी? तूने अहंकार से किसको आंख दिखाई थी? क्‍या मुझे, इस्राएल के पवित्र परमेश्‍वर को?


मैं उसके लोभ के पाप के कारण उससे क्रुद्ध हुआ था; मैंने उसको मारा, मैंने उससे अपना मुंह छिपा लिया, मैं उससे नाराज था। किन्‍तु वह अपने हृदय के अनुसार अपने मार्ग पर चलता गया, और धर्म-भ्रष्‍ट बना रहा।


किन्‍तु तेरी आंखें किस लिए हैं? तेरे पास हृदय है ... पर किस लिए? अन्‍याय से लाभ कमाने के लिए, निर्दोष की हत्‍या करने के लिए, जनता पर अत्‍याचार और दमन करने के लिए?’


मैं तुम्‍हारे पहाड़ी शिखर के पूजा-गृहों को गिरा दूंगा, तुम्‍हारी धूप-वेदियों को नष्‍ट कर दूंगा। तुम्‍हारे देवताओं की ध्‍वस्‍त मूर्तियों पर तुम्‍हारे शव फेंकूंगा। मेरा प्राण तुमसे घृणा करेगा।


‘धिक्‍कार है तुझे! तू अपने परिवार के लिए पाप की कमाई करता है। तू पाप की पकड़ से बचने के लिए पहाड़ पर गुप्‍त निवास-स्‍थान बनाता है।


तब येशु ने लोगों से कहा, “सावधान! हर प्रकार के लोभ से बचो; क्‍योंकि किसी के पास कितनी ही सम्‍पत्ति क्‍यों न हो, उस सम्‍पत्ति की प्रचुरता में उस का जीवन नहीं है।”


और अपने प्राण से कहूँगा−ओ मेरे प्राण! तेरे पास बरसों के लिए बहुत-सी सम्‍पत्ति रखी है, इसलिए विश्राम कर, खा-पी और मौज उड़ा।’


वे हर प्रकार के अन्‍याय, दुष्‍टता, लोभ और बुराई से भर गये। वे ईष्‍र्या, हत्‍या, बैर, छल-कपट और दुर्भाव से परिपूर्ण हैं। वे चुगलखोर,


वे परमेश्‍वर का यह निर्णय जानते हैं कि ऐसे कुकर्म करने वालों का उचित दण्‍ड मृत्‍यु है। फिर भी वे न केवल स्‍वयं ये ही कार्य करते हैं, बल्‍कि ऐसे कुकर्म करने वालों की प्रशंसा भी करते हैं।


चोर, लोभी, शराबी, निन्‍दक और धोखेबाज परमेश्‍वर के राज्‍य के अधिकारी नहीं होंगे।


आप लोग यह निश्‍चित रूप से जान लें कि कोई व्‍यभिचारी, लम्‍पट अथवा लोभी-जो मूर्तिपूजक के बराबर है-मसीह और परमेश्‍वर के राज्‍य का अधिकारी नहीं होगा।


यदि कोई व्यक्‍ति इस शपथपूर्ण व्‍यवस्‍था के वचन सुनने के पश्‍चात् मन ही मन अपने को सौभाग्‍यशाली मानता है, और यह कहता है, “यद्यपि मैं अपने हृदय के हठ के अनुसार चलूंगा, तो भी मेरा कुशल-मंगल होगा” , तो ऐसा विचार गेहूं के साथ घुन को भी पीस डालता है।


‘प्रभु ने यह देखा कि उसके पुत्र-पुत्रियों ने उसे चिढ़ाया। अत: उसने उन्‍हें ठुकरा दिया।


इसलिए आप लोग अपने शरीर में इन बातों को निर्जीव करें जो संसार की हैं, अर्थात् व्‍यभिचार, अशुद्धता, कामुकता, विषयवासना और लोभ को जो मूर्तिपूजा के सदृश है।


तुम लोग जो यह कहते हो, “हम आज या कल अमुक नगर जायेंगे, एक वर्ष तक वहां रह कर व्‍यापार करेंगे और धन कमायेंगे”, मेरी बात सुनो।


किन्‍तु तुम अपनी धृष्‍ठता पर धृष्‍ठता करते हो। इस प्रकार का घमण्‍ड बुरा है।


तुम न तो संसार से प्रेम करो और न संसार की वस्‍तुओं से। जो संसार से प्रेम करता है, उस में पिता का प्रेम नहीं।


उसने अपनी माँ से कहा, ‘जो चांदी के ग्‍यारह सौ सिक्‍के तुम्‍हारे पास से चोरी चले गए थे, जिनके विषय में तुमने अपशब्‍द कहे थे, और मुझे भी सुनाकर कहा था, वे मेरे पास हैं। मैंने उन्‍हें चुराया था।’ उसकी माँ ने कहा, ‘मेरे पुत्र, प्रभु तुझे आशिष दे।’


शाऊल ने कहा, ‘प्रभु तुम्‍हें आशिष दे! तुमने मेरे प्रति सहानुभूति प्रकट की है।