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नीतिवचन 28:4 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

4 कानून का उल्‍लंघन करनेवाला मनुष्‍य ही दुर्जन की प्रशंसा करता है: पर कानून के माननेवाले व्यक्‍ति दुर्जन का विरोध करते हैं।

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पवित्र बाइबल

4 व्यवस्था के विधान को जो त्याग देते हैं, दुष्टों की प्रशंसा करते, किन्तु जो व्यवस्था के विधान को पालते उनका विरोध करते।

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Hindi Holy Bible

4 जो लोग व्यवस्था को छोड़ देते हैं, वे दुष्ट की प्रशंसा करते हैं, परन्तु व्यवस्था पर चलने वाले उन से लड़ते हैं।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

4 जो लोग व्यवस्था को छोड़ देते हैं, वे दुष्‍ट की प्रशंसा करते हैं, परन्तु व्यवस्था पर चलनेवाले उन का विरोध करते हैं।

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नवीन हिंदी बाइबल

4 जो लोग व्यवस्था को त्याग देते हैं वे दुष्‍टों की प्रशंसा करते हैं, परंतु जो व्यवस्था का पालन करते हैं वे उनका विरोध करते हैं।

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सरल हिन्दी बाइबल

4 कानून को नहीं मानने वाला व्यक्ति दुर्जनों की प्रशंसा करते नहीं थकते, किंतु वे, जो सामाजिक सुव्यवस्था का निर्वाह करते हैं, ऐसों का प्रतिरोध करते हैं.

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नीतिवचन 28:4
31 क्रॉस रेफरेंस  

एलियाह ने उत्तर दिया, ‘हाँ, मैं हूं। पर इस्राएल प्रदेश का संकट उत्‍पन्न करनेवाला मैं नहीं हूं। वरन् तुमने और तुम्‍हारे पितृ-कुल ने संकट उत्‍पन्न किया है; क्‍योंकि तुमने प्रभु की आज्ञाओं को त्‍याग दिया, और बअल देवता का अनुसरण किया।


एलियाह लोगों के समीप आए। एलियाह ने उनसे कहा, ‘तुम कब तक दो नावों में पैर रखे रहोगे? यदि प्रभु ही ईश्‍वर है, तो उसका अनुसरण करो। यदि बअल देवता ईश्‍वर है, तो उसका अनुसरण करो।’ लोगों ने एलियाह को उत्तर नहीं दिया।


उन्‍हीं दिनों में मैंने यहूदा प्रदेश में देखा कि किसान विश्राम-दिवस पर रस-कुण्‍डों में अंगूर को रौंद कर उसका रस निकालते हैं। वे विश्राम-दिवस पर खेतों से अनाज के पूले लाते और उनको गधों पर लादते हैं। इसी प्रकार वे अंगूर-रस, अंगूर के गुच्‍छे, अंजीर के फल आदि सब प्रकार के बोझ विश्राम-दिवस पर ढो-ढोकर यरूशलेम में लाते हैं। विश्राम-दिवस पर वे भोजन-सामग्री बेचते हैं। मैंने उनको चेतावनी दी।


महापुरोहित एल्‍याशीब के पुत्र योयादा का एक पुत्र होरोन-निवासी सनबल्‍लत का दामाद था। मैंने योयादा के पुत्र को यरूशलेम से निकाल दिया।


दुर्जन अपनी अभिलाषा की डींग मारता है; वह स्‍वयं की प्रशंसा करता, पर प्रभु की निन्‍दा करता है।


यद्यपि वह अपने जीवनकाल में स्‍वयं को सुखी मानता है; यद्यपि लोग उसकी प्रशंसा करते हैं, कि वह जीवन में सफल हुआ है;


इस देश में ऐसी भंयकर बात हुई है कि इसको देखकर दांतों तले अंगुली दबानी पड़ती है:


क्‍योंकि योहन ने उससे कहा था, “भाई की पत्‍नी को रखना आपके लिए उचित नहीं है।”


परन्‍तु येशु ने उन्‍हें उत्तर दिया, “अभी ऐसा ही होने दीजिए। यह हमारे लिए उचित है कि हम इसी तरह सब धार्मिकता को पूरा करें।” इस पर योहन ने येशु की बात मान ली।


बहुत से फरीसियों और सदूकियों को बपतिस्‍मा के लिए आते देख कर योहन ने उन से कहा, “साँप के बच्‍चो! किसने तुम लोगों को परमेश्‍वर के आने वाले कोप से भागने के लिए सचेत कर दिया?


जनता पुकार उठी, “यह मनुष्‍य की नहीं, किसी देवता की वाणी है!”


इस विषय पर पौलुस और बरनबास तथा उन लोगों के बीच तीव्र मतभेद और वाद-विवाद छिड़ गया, और यह निश्‍चय किया गया कि पौलुस तथा बरनबास, अन्‍ताकिया के कुछ लोगों के साथ, यरूशलेम जायेंगे और इस प्रश्‍न पर प्रेरितों तथा धर्मवृद्धों से परामर्श करेंगे।


किन्‍तु उन में कुछ लोग हठधर्मी थे और वे न केवल अविश्‍वासी बने रहे, बल्‍कि सभा में इस मार्ग की निन्‍दा भी करने लगे। इसलिए पौलुस ने उन से सम्‍बन्‍ध तोड़ लिया और अपने शिष्‍यों को वहाँ से हटा लिया। वह प्रतिदिन तुरन्नुस की पाठशाला में धर्म-चर्चा करने लगे।


वे परमेश्‍वर का यह निर्णय जानते हैं कि ऐसे कुकर्म करने वालों का उचित दण्‍ड मृत्‍यु है। फिर भी वे न केवल स्‍वयं ये ही कार्य करते हैं, बल्‍कि ऐसे कुकर्म करने वालों की प्रशंसा भी करते हैं।


जो व्‍यर्थ के काम लोग अन्‍धकार में करते हैं, उन में आप सम्‍मिलित न हों, वरन् उनकी बुराई प्रकट करें।


आप जानते हैं कि हमें कुछ समय पहले फिलिप्‍पी नगर में दुर्व्यवहार और अपमान सहना पड़ा था। फिर भी हमने अपने परमेश्‍वर पर भरोसा रख कर, घोर विरोध का सामना करते हुए, निर्भीकता से आप लोगों के बीच परमेश्‍वर के शुभ समाचार का प्रचार किया।


वे संसार के हैं और इसलिए वे संसार की बातें करते हैं और संसार उनकी सुनता है।


प्रिय भाइयो एवं बहिनो! हम जिस मुक्‍ति के सहभागी हैं, मैं उसके विषय में बड़ी उत्‍सुकता से आप लोगों को लिखना चाहता था, किन्‍तु अब मुझे आवश्‍यक प्रतीत हुआ कि इस पत्र द्वारा आप लोगों से यह अनुरोध करूँ कि आप उस विश्‍वास की रक्षा के लिए संघर्ष करें, जो सदा के लिए सन्‍तों को सौंपा गया है;


हमारे पर का पालन करें:

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