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न्यायियों 17:2 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

2 उसने अपनी माँ से कहा, ‘जो चांदी के ग्‍यारह सौ सिक्‍के तुम्‍हारे पास से चोरी चले गए थे, जिनके विषय में तुमने अपशब्‍द कहे थे, और मुझे भी सुनाकर कहा था, वे मेरे पास हैं। मैंने उन्‍हें चुराया था।’ उसकी माँ ने कहा, ‘मेरे पुत्र, प्रभु तुझे आशिष दे।’

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पवित्र बाइबल

2 मीका ने अपनी माँ से कहा, “क्या तुम्हें चाँदी के ग्यारह सौ सिक्के याद हैं जो तुमसे चुरा लिये गए थे। मैंने तुम्हें उसके बारे में शाप देते सुना। वह चाँदी मेरे पास है। मैंने उसे लिया है।” उसकी माँ ने कहा, “मेरे पुत्र, तुम्हें यहोवा आशीर्वाद दे।”

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Hindi Holy Bible

2 उसने अपनी माता से कहा, जो ग्यारह सौ टुकड़े चान्दी तुझ से ले लिए गए थे, जिनके विषय में तू ने मेरे सुनते भी शाप दिया था, वे मेरे पास हैं; मैं ने ही उन को ले लिया था। उसकी माता ने कहा, मेरे बेटे पर यहोवा की ओर से आशीष होए।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

2 उसने अपनी माता से कहा, “जो ग्यारह सौ टुकड़े चाँदी तुझ से ले लिए गए थे, जिनके विषय में तू ने मेरे सुनते भी शाप दिया था, वे मेरे पास हैं; मैं ने ही उनको ले लिया था।” उसकी माता ने कहा, “मेरे बेटे पर यहोवा की ओर से आशीष हो।”

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सरल हिन्दी बाइबल

2 उसने अपनी माता को बताया, “जो ग्यारह सौ चांदी के सिक्‍के मैंने आपसे लिए थे, जिनके कारण आपने मुझे सुनाकर शाप दिया था, देख लीजिए, वे मेरे पास हैं—उन्हें मैंने ही लिये थे.” उसकी माता ने कहा, “याहवेह मेरे पुत्र को आशीषित करें!”

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

2 उसने अपनी माता से कहा, “जो ग्यारह सौ टुकड़े चाँदी तुझ से ले लिए गए थे, जिनके विषय में तूने मेरे सुनते भी श्राप दिया था, वे मेरे पास हैं; मैंने ही उनको ले लिया था।” उसकी माता ने कहा, “मेरे बेटे पर यहोवा की ओर से आशीष हो।”

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न्यायियों 17:2
21 क्रॉस रेफरेंस  

उसने अब्राम को यह आशीर्वाद दिया : ‘आकाश और पृथ्‍वी का सृष्‍टिकर्ता सर्वोच्‍च परमेश्‍वर, अब्राम को आशिष दे।


तब मैंने उन्‍हें डांटा और उन्‍हें कटु शब्‍द कहे। मैंने कुछ को मारा-पीटा और उनके बाल नोचे। मैंने परमेश्‍वर के नाम पर उन्‍हें यह शपथ दी : ‘तुम गैर-यहूदी कौमों के पुत्रों से अपनी पुत्रियों का विवाह नहीं करोगे, और न अपना और न अपने पुत्रों का विवाह उनकी पुत्रियों से करोगे।


दुर्जन अपनी अभिलाषा की डींग मारता है; वह स्‍वयं की प्रशंसा करता, पर प्रभु की निन्‍दा करता है।


‘तू अपने प्रभु परमेश्‍वर का नाम व्‍यर्थ न लेना; क्‍योंकि जो व्यक्‍ति प्रभु का नाम व्‍यर्थ लेगा, उसे प्रभु निर्दोष घोषित नहीं करेगा।


जो पुत्र अपने माता-पिता के घर में चोरी करता है, और कहता है, “यह अपराध नहीं है” वह घर उजाड़नेवाले का साथी है।


‘उस मनुष्‍य को शाप लगे, जो प्रभु के काम में आलस्‍य करता है। शापित है वह मनुष्‍य जो प्रभु के आदेश का पालन नहीं करता, और अपनी तलवार को म्‍यान में रखता है, और रक्‍त नहीं बहाता।


तब पतरस अपने आप को कोसने और शपथ खा कर कहने लगा, “मैं उस मनुष्‍य को जानता तक नहीं।” ठीक उसी समय मुर्गे ने बाँग दी।


मैं तो यहां तक चाहता हूँ कि अपने उन भाई-बहिनों के कल्‍याण के लिए, जो शरीर के नाते मेरे सजातीय हैं, स्‍वयं ही शापग्रस्‍त हो जाऊं और मसीह से अलग हो जाऊं।


यदि आप लोगों में कोई “प्रभु” से प्रेम नहीं करता, वह “शापित” हो। प्रभु!आइए!


“अपने माता-पिता का अनादर करने वाला व्यक्‍ति शापित है।” सब लोग प्रत्‍युत्तर में कहेंगे, “ऐसा ही हो!”


क्‍योंकि जो व्यक्‍ति उसका स्‍वागत करता है, वह उसके दुष्‍ट कर्मों में सहभागी होता है।


एफ्रइम पहाड़ी प्रदेश में एक मनुष्‍य रहता था। उसका नाम मीकाह था।


मीकाह ने चांदी के ग्‍यारह सौ सिक्‍के अपनी माँ को लौटा दिए। उसकी माँ ने कहा, ‘मैं अपने हाथ से अपने पुत्र के लिए चांदी के ये सिक्‍के प्रभु को चढ़ाने का संकल्‍प करती हूँ, ताकि इनसे एक मूर्ति, चांदी की ढली-गढ़ी प्रतिमा बनाई जाए। इसलिए, पुत्र, अब मैं चांदी के ये सिक्‍के तुझे वापस करती हूँ।’


प्रभु का दूत यह कहता है : “मेरोज नगर को शाप दो! उसके निवासियों को निश्‍चय ही शाप दो! क्‍योंकि वे प्रभु की सहायता करने, शक्‍तिशाली शत्रु के विरुद्ध प्रभु की सहायता करने नहीं आए।”


बोअज ने कहा, ‘मेरी पुत्री, प्रभु तुम्‍हें आशिष दे। तुमने अपनी सास के लिये करुणामय कार्य किया था। अब तुम्‍हारा यह कार्य उससे श्रेष्‍ठ है; क्‍योंकि तुमने विवाह के लिए किसी जवान पुरुष को, धनी अथवा गरीब को, नहीं चुना।


शाऊल ने उस दिन उतावली में एक मन्नत मानी। उसने अपने सैनिकों को एक महाशपथ दी। उसने कहा, ‘सन्‍ध्‍या के पूर्व, तथा जब तक मैं अपने शत्रुओं से बदला न ले लूँ, उसके पहले भोजन करने वाला व्यक्‍ति अभिशप्‍त होगा।’ अत: किसी भी सैनिक ने मुँह में दाना भी नहीं डाला।


एक सैनिक उससे बोला, ‘तुम्‍हारे पिता ने लोगों को कड़ी शपथ दी थी, और यह कहा था : “जो व्यक्‍ति आज भोजन करेगा, वह अभिशप्‍त होगा।” इसलिए सैनिक इतने थके-मांदे, अशक्‍त हैं।’


शमूएल शाऊल के पास आया। शाऊल ने उससे कहा, ‘प्रभु आपको आशिष दे! मैंने प्रभु के वचन के अनुसार कार्य किया है।’


शाऊल ने कहा, ‘प्रभु तुम्‍हें आशिष दे! तुमने मेरे प्रति सहानुभूति प्रकट की है।


अब, महाराज, मेरे स्‍वामी, अपने सेवक की यह बात ध्‍यान से सुनें : यदि प्रभु ने आपको मेरे विरुद्ध उकसाया है, तो प्रभु एक भेंट स्‍वीकार करे। परन्‍तु यदि उकसाने वाले मनुष्‍य हैं, तो वे प्रभु के सम्‍मुख अभिशप्‍त हों! उन्‍होंने मुझे आज निकाल दिया है जिससे मैं प्रभु की पैतृक-सम्‍पत्ति का हिस्‍सेदार न बनूं। उन्‍होंने मुझसे कहा, “जा, अन्‍य देशों के देवताओं की पूजा-आराधना कर!”


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