मरणासन्न व्यक्ति का आशीर्वाद मुझे मिलता था, निराश्रित विधवा का हृदय मेरी सहायता पाकर आनन्द से गाता था।
प्रेरितों के काम 6:1 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) उन दिनों जब शिष्यों की संख्या बढ़ती जा रही थी, तो यूनानी-भाषी शिष्यों ने इब्रानी-भाषी शिष्यों के विरुद्ध यह शिकायत की कि दैनिक दान-वितरण में उनकी विधवाओं की उपेक्षा हो रही है। पवित्र बाइबल उन्ही दिनों जब शिष्यों की संख्या बढ़ रही थी, तो यूनानी बोलने वाले और इब्रानी बोलने वाले यहूदियों में एक विवाद उठ खड़ा हुआ क्योंकि वस्तुओं के दैनिक वितरण में उनकी विधवाओं के साथ उपेक्षा बरती जा रही थी। Hindi Holy Bible उन दिनों में जब चेले बहुत होते जाते थे, तो यूनानी भाषा बोलने वाले इब्रानियों पर कुड़कुड़ाने लगे, कि प्रति दिन की सेवकाई में हमारी विधवाओं की सुधि नहीं ली जाती। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) उन दिनों में जब चेलों की संख्या बहुत बढ़ने लगी, तब यूनानी भाषा बोलनेवाले इब्रानी भाषा बोलनेवालों पर कुड़कुड़ाने लगे, कि प्रतिदिन की सेवकाई में हमारी विधवाओं की सुधि नहीं ली जाती। नवीन हिंदी बाइबल उन दिनों में जब शिष्यों की संख्या बढ़ने लगी, तो यूनानी बोलनेवाले यहूदी इब्रानी बोलनेवाले यहूदियों पर कुड़कुड़ाने लगे कि प्रतिदिन की सेवा में उनकी विधवाओं की सुधि नहीं ली जाती। सरल हिन्दी बाइबल उस समय, जब इस मत के शिष्यों की संख्या में बहुत वृद्धि हो रही थी, यूनानी भाषी यहूदी इब्री भाषी यहूदियों के विरुद्ध यह शिकायत लाए कि दैनिक भोजन बांटने में उनकी विधवाओं की उपेक्षा की जा रही थी. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 उन दिनों में जब चेलों की संख्या बहुत बढ़ने लगी, तब यूनानी भाषा बोलनेवाले इब्रानियों पर कुड़कुड़ाने लगे, कि प्रतिदिन की सेवकाई में हमारी विधवाओं की सुधि नहीं ली जाती। |
मरणासन्न व्यक्ति का आशीर्वाद मुझे मिलता था, निराश्रित विधवा का हृदय मेरी सहायता पाकर आनन्द से गाता था।
‘यदि मैंने किसी गरीब की इच्छा पूरी नहीं की, यदि मैंने किसी विधवा की आशापूर्ण आंखों को निराश किया,
जब आप युद्ध में विजय प्राप्त करते हैं, तब आपकी प्रजा स्वेच्छा से स्वयं को अर्पित करती है। आप पवित्रता से सुशोभित हैं। उषा कल के गर्भ से ओस की बूंद के सदृश तरुणाई आपको प्राप्त होती है।
देश में प्रचुर अन्न हो; पर्वतों के शिखर पर खेत लहलहाए। उनकी बालें लबानोन के वृक्षों के समान और नगर के निवासी घास के समान खिलें।
पर भलाई करना सीखो। न्याय के लिए प्रयत्न करो; अत्याचारी को सुधारो; अनाथ को न्याय दिलाओ, और विधवाओं का पक्ष लो।’
आगामी दिनों में याकूब राष्ट्र जड़ पकड़ेगा, इस्राएल देश पुष्पित होगा, उसमें शाखाएँ फूटेंगी, वह अपने फलों से समस्त संसार को भर देगा।
तब नगर में मेरी स्तुति के गान सुनाई देंगे; आनन्द मनानेवालों का शोर वहां सुनाई देगा। मैं उनकी आबादी बढ़ाऊंगा, और तब वे जनसंख्या में थोड़े न होंगे। मैं उनका गौरव दिन दूना - रात चौगुना बढ़ाऊंगा, और वे फिर तुच्छ न समझे जाएंगे।
तेरे निवासी अपने माता-पिता का आदर नहीं करते। तुझ में अस्थायी रूप से प्रवास करनेवाले विदेशियों पर अत्याचार होता है। अनाथ बच्चों और विधवाओं को न्याय नहीं मिलता है।
स्वर्गिक सेनाओं का प्रभु यों कहता है, ‘तब मैं अदालत में तुम्हारे सम्मुख उपस्थित होऊंगा। मैं इन सब लोगों के विरुद्ध तुरन्त साक्षी दूंगा: झाड़-फूंक करनेवाले ओझा, व्यभिचारी, झूठी शपथ खानेवाले, मजदूर की मजदूरी दबानेवाले, विधवाओं और अनाथों पर अत्याचार करनेवाले, प्रवासी के अधिकारों को छीननेवाले और मुझसे न डरनेवाले।
“ढोंगी शास्त्रियो और फरीसियो! धिक्कार है तुम्हें! तुम मनुष्यों के लिए स्वर्ग-राज्य का द्वार बन्द कर देते हो; न तो तुम स्वयं प्रवेश करते हो और न प्रवेश करने वालों को प्रवेश करने देते हो।
किन्तु उन में से कुछ कुप्रुस† तथा कुरेने के निवासी थे। जब वे अन्ताकिया पहुँचे, तब उन्होंने यूनानी भाषा-भाषियों को भी प्रभु येशु का शुभ-समाचार सुनाया।
और जब वह उन्हें मिले तो वह शाऊल को अन्ताकिया ले आये। वे दोनों पूरे एक वर्ष तक वहाँ की कलीसिया के साथ रहे और बहुत-से लोगों को शिक्षा देते रहे। सब से पहले अन्ताकिया में ही येशु के शिष्य ‘मसीही’ कहलाए।
शिष्यों ने निश्चय किया कि यहूदा प्रदेश में रहने वाले विश्वासी भाई-बहिनों की सहायता के लिए उन में से प्रत्येक अपने-अपने सामर्थ्य के अनुसार कुछ भेजेगा।
जिन्होंने पतरस की बातों को ग्रहण किया, उन्होंने बपतिस्मा लिया। उस दिन लगभग तीन हजार लोग शिष्यों में सम्मिलित हो गये।
वे अपनी चल-अचल सम्पत्ति बेच देते और उससे प्राप्त धनराशि हर एक की जरूरत के अनुसार सब को बांट देते थे।
वे परमेश्वर की स्तुति किया करते थे और सारी जनता उन्हें बहुत मानती थी। प्रभु प्रतिदिन उनके समुदाय में उन लोगों को मिला देता था, जो मुक्ति प्राप्त करते थे।
प्रेरितों के चरणों में अर्पित कर देते थे और प्रत्येक को उसकी आवश्यकता के अनुसार बाँट दिया जाता था।
जिन्होंने प्रेरितों का प्रवचन सुना था, उन में बहुतों ने विश्वास किया। विश्वास करनेवाले पुरुषों की संख्या अब लगभग पाँच हजार तक पहुँच गयी।
प्रभु में विश्वास करने वालों की संख्या बढ़ती गई : स्त्री-पुरुषों का एक विशाल समुदाय बन गया।
“क्या हमने तुम लोगों को कड़ा आदेश नहीं दिया था कि इस नाम से शिक्षा मत देना; परन्तु तुम लोगों ने सारा यरूशलेम अपनी शिक्षा से भर दिया है और उस मनुष्य की हत्या का दोष हमारे सिर पर मढ़ना चाहते हो?”
इसलिए बारह प्रेरितों ने शिष्यों की सभा बुला कर कहा, “यह उचित नहीं है कि हम खिलाने-पिलाने की सेवा के लिए परमेश्वर का वचन सुनाना छोड़ दें।
परमेश्वर का वचन फैलता गया। यरूशलेम में शिष्यों की संख्या बहुत अधिक बढ़ गई; और बहुत-से पुरोहितों ने इस विश्वास को स्वीकार कर लिया।
वह यूनानी-भाषी यहूदियों से बात-चीत और बहस किया करते थे, किन्तु वे लोग उन्हें मार डालना चाहते थे।
अत: पतरस उसी समय उनके साथ चल दिये। जब वह याफा पहुँचे, तो लोग उन्हें अटारी पर ले गये। वहां सब विधवाएं रोती हुई उनके चारों ओर आ खड़ी हुईं और वे कुरते और कपड़े उन्हें दिखाने लगीं, जिन्हें दोरकास ने उनके साथ रहते समय बनाए थे।
पतरस ने हाथ बढ़ा कर उसे उठाया और संतों तथा विधवाओं को बुला कर उसे जीता-जागता उनके सामने उपस्थित कर दिया।
आप लोग नहीं भुनभुनायें, जैसा कि उनमें से कुछ भुनभुनाये और विनाशक दूत ने उन्हें नष्ट कर दिया।
वे इब्रानी हैं? मैं भी हूँ! वे इस्राएली हैं? मैं भी हूँ! वे अब्राहम की सन्तान हैं? मैं भी हूँ!
‘जब तू तीसरे वर्ष, अर्थात् दशमांश वर्ष में, अपनी उपज का समस्त दशमांश लेवीय जन, प्रवासी, पितृहीन और विधवा को चुका देगा कि वे तेरे नगर में भर पेट भोजन करें
आठवें दिन मेरा खतना हुआ था। मैं इस्राएली, बिन्यामिन वंशीय और इब्रानियों की इब्रानी सन्तान हूँ। व्यवस्था-पालन की दृष्टि से मैं फरीसी था।
विधवाओं की सूची में उसी का नाम लिखा जाये, जो साठ वर्ष से कम की न हो और जो पतिव्रता पत्नी रह चुकी हो
पिता परमेश्वर की दृष्टि में शुद्ध और निर्मल धर्म यह है : विपत्ति में पड़े हुए अनाथों और विधवाओं की सहायता करना और अपने को संसार के दूषण से बचाये रखना।
क्या तुम समझते हो कि धर्मग्रन्थ अकारण कहता है कि परमेश्वर ने जिस आत्मा को हम में समाविष्ट किया, उस को वह बड़ी ममता से चाहता है?
भाइयो और बहिनो! एक दूसरे की शिकायत नहीं कीजिए, जिससे आप पर दोष न लगाया जाये। देखिए, न्यायकर्ता द्वार पर खड़े हैं।