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यशायाह 1:17 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

17 पर भलाई करना सीखो। न्‍याय के लिए प्रयत्‍न करो; अत्‍याचारी को सुधारो; अनाथ को न्‍याय दिलाओ, और विधवाओं का पक्ष लो।’

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पवित्र बाइबल

17 अच्छे काम करना सीखो। दूसरे लोगों के साथ न्याय करो। जो लोग दूसरों को सताते हैं, उन्हें दण्ड दो। अनाथ बच्चों के अधिकारों के लिए संघर्ष करो। जिन स्त्रियों के पति मर गये हैं, उन्हें न्याय दिलाने के लिए उनकी पैरवी करो।”

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Hindi Holy Bible

17 भलाई करना सीखो; यत्न से न्याय करो, उपद्रवी को सुधारो; अनाथ का न्याय चुकाओ, विधवा का मुकद्दमा लड़ो॥

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

17 भलाई करना सीखो; यत्न से न्याय करो, उपद्रवी को सुधारो; अनाथ का न्याय चुकाओ, विधवा का मुक़द्दमा लड़ो।”

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सरल हिन्दी बाइबल

17 अच्छा काम करना सीखो; दुखियों की सहायता करो. अनाथों की रक्षा करो; और विधवाओं को न्याय दिलवाओ.”

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

17 भलाई करना सीखो; यत्न से न्याय करो, उपद्रवी को सुधारो; अनाथ का न्याय चुकाओ, विधवा का मुकद्दमा लड़ो।”

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यशायाह 1:17
24 क्रॉस रेफरेंस  

बुराई को छोड़ों, और भलाई करो; शांति को खोजो, और उसका अनुसरण करो।


‘तू किसी प्रवासी के साथ न तो अन्‍याय करना और न उसका दमन ही करना, क्‍योंकि तुम भी मिस्र देश में प्रवासी थे।


प्रभु दुर्जन का मकान तहस-नहस कर देता है; किन्‍तु वह विधवा की सम्‍पत्ति की रक्षा करता है।


पशु-बलि की अपेक्षा धर्म और न्‍याय के कार्य करना प्रभु को अधिक पसन्‍द है।


न्‍याय के लिए अपना मुंह बन्‍द मत करना, वरन् धर्म से न्‍याय करना; दीन-दरिद्रों के अधिकार की रक्षा करना।”


तेरे शासक कानून के विरोधी हैं, वे चोरों के साथी हैं। वे-सब रिश्‍वत के लोभी हैं। वे उपहारों के पीछे दौड़ते हैं। वे अनाथों का न्‍याय नहीं करते, और न विधवाओं का मुकदमा उन तक पहुंच ही पाता है।


तुम इन अन्‍यायपूर्ण नियमों से गरीब को न्‍याय से वंचित करते हो; मेरी प्रजा के कमजोर वर्ग का हक मारते हो; तुम विधवाओं को लूटते हो; अनाथों को अपना शिकार बनाते हो।


प्रभु यों कहता है : ‘न्‍याय का पालन करो, और धर्म के कार्य करो; क्‍योंकि मेरी मुक्‍ति का आगमन समीप है, मेरा उद्धार शीघ्र प्रकट होगा।


जिस उपवास से मैं प्रसन्न होता हूं, वह यह है : दुर्जनता के बन्‍धकों से मनुष्‍य को मुक्‍त करना, व्यक्‍ति की गरदन से जूआ उतारना, अत्‍याचार की गुलामी में कैद इन्‍सान को स्‍वतन्‍त्र करना, वस्‍तुत: हर प्रकार की गुलामी से मनुष्‍य को स्‍वतंत्र करना।


प्रभु यह कहता है: न्‍याय और धर्म का आचरण करो; जो मनुष्‍य लूट लिया गया है, उसको अत्‍याचारी के हाथ से बचाओ। विदेशी, अनाथ और विधवा के साथ बुरा व्‍यवहार मत करो; उन पर अत्‍याचार मत करो; और न राजमहल के इस स्‍थान में किसी निर्दोष की हत्‍या करो।


मैंने बार-बार तुम्‍हारे पास अपने सेवक नबियों को भेजा, और उनके माध्‍यम से मैंने तुमसे कहा, “प्रत्‍येक व्यक्‍ति अपने बुरे आचरण को छोड़ दे, अपने व्‍यवहार को सुधारे, अन्‍य जाति के देवताओं का अनुसरण न करे, उनकी पूजा न करे। तब तुम इस देश में निश्‍चिन्‍त निवास करोगे, जो मैंने तुम्‍हारे पूर्वजों को, और तुम्‍हें दिया है।” लेकिन तुमने मेरी बातों पर ध्‍यान नहीं दिया, एक कान से सुन कर दूसरे कान से निकाल दिया।


तुमने मेरे विरुद्ध अनेक कुकर्म किए हैं। उन-सब को अपने से दूर करो; और तब अपने भीतर नया हृदय और नई आत्‍मा धारण करो। ‘ओ इस्राएल के कुल, तू क्‍यों मरना चाहता है?


तेरे निवासी अपने माता-पिता का आदर नहीं करते। तुझ में अस्‍थायी रूप से प्रवास करनेवाले विदेशियों पर अत्‍याचार होता है। अनाथ बच्‍चों और विधवाओं को न्‍याय नहीं मिलता है।


‘स्‍वामी-प्रभु यों कहता है : ओ इस्राएल के शासको, बहुत हुआ! अब शोषण और अत्‍याचार करना बन्‍द करो, और धर्म तथा न्‍याय से शासन करो। मेरे निज लोगों की भूमि लूटना बन्‍द करो।’ स्‍वामी-प्रभु की यह वाणी है।


महाराज, मैं आपसे निवेदन करता हूं, आप मेरा यह परामर्श स्‍वीकार कीजिए: सद् आचरण कर अपने पाप के बन्‍धनों को तोड़ दीजिए। आप पीड़ितों के प्रति दया कर अधर्म से मुक्‍त हो जाइए। तब संभव है कि आपकी शांति के ये दिन लम्‍बे हो जाएं।”


ओ मानव, प्रभु ने तुझे बताया है कि उचित क्‍या है, और वह तुझसे क्‍या चाहता है। यही न कि तू न्‍याय-सिद्धान्‍त का पालन करे करुणा से प्रेम करे, और नम्रतापूर्वक अपने परमेश्‍वर के मार्ग पर चले?


ओ देश के सब विनम्र लोगो, प्रभु के आज्ञाकारी लोगो, प्रभु को खोजो; धार्मिकता को, नम्रता को ढूंढ़ो। तब सम्‍भवत: तुम प्रभु के प्रकोप-दिवस पर सुरक्षित रह सको।


तुम्‍हें ये कार्य करने हैं : एक-दूसरे से सच बोलो। तुम न्‍यायालयों में सच्‍चाई से न्‍याय करो, और शान्‍ति की स्‍थापना करो।


तब लेवीय जन, क्‍योंकि तेरे साथ उसका कोई अंश अथवा पैतृक सम्‍पत्ति नहीं है, तथा प्रवासी, पितृहीन और विधवा, जो तेरे नगर के भीतर रहते हैं, आएंगे और उसको खाकर तृप्‍त होंगे। तेरे इस कार्य के करण तेरा प्रभु परमेश्‍वर तेरे सब काम-धन्‍धों पर आशिष देगा।


पिता परमेश्‍वर की दृष्‍टि में शुद्ध और निर्मल धर्म यह है : विपत्ति में पड़े हुए अनाथों और विधवाओं की सहायता करना और अपने को संसार के दूषण से बचाये रखना।


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