दाऊद समस्त धर्मसभा की ओर उन्मुख हुआ। उसने कहा, ‘अपने प्रभु परमेश्वर को धन्य कहो!’ तब धर्मसभा ने अपने पूर्वजों के प्रभु परमेश्वर को धन्य कहा। उन्होंने अपना सिर झुकाया, और प्रभु की आराधना की। उन्होंने राजा को साष्टांग प्रणाम किया।
प्रकाशितवाक्य 4:10 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) तब-तब चौबीस धर्मवृद्ध सिंहासन पर विराजमान को दण्डवत करते हैं, युग-युगों तक जीवित रहने वाले की आराधना करते और यह कहते हुए सिंहासन के सामने अपने मुकुट डाल देते हैं : पवित्र बाइबल वे चौबीसों प्राचीन उसके चरणों में गिरकर, उस सदा सर्वदा जीवित रहने वाले की उपासना करते हैं। वे सिंहासन के सामने अपने मुकुट डाल देते हैं और कहते हैं: Hindi Holy Bible तब चौबीसों प्राचीन सिंहासन पर बैठने वाले के साम्हने गिर पड़ेंगे, और उसे जो युगानुयुग जीवता है प्रणाम करेंगे; और अपने अपने मुकुट सिंहासन के साम्हने यह कहते हुए डाल देंगे। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) तब चौबीसों प्राचीन सिंहासन पर बैठनेवाले के सामने गिर पड़ेंगे, और उसे जो युगानुयुग जीवता है प्रणाम करेंगे; और वे अपने–अपने मुकुट सिंहासन के सामने यह कहते हुए डाल देंगे, नवीन हिंदी बाइबल तब-तब चौबीसों प्रवर उसके सामने जो सिंहासन पर विराजमान है, गिर पड़ते और जो युगानुयुग जीवित है उसे दंडवत् करते, और अपने मुकुट सिंहासन के सामने यह कहते हुए रख देते हैं : सरल हिन्दी बाइबल वे चौबीस प्राचीन भूमि पर गिरकर उनका, जो सिंहासन पर बैठे हैं, साष्टांग प्रणाम करते तथा उनकी आराधना करते हैं, जो सदा-सर्वदा जीवित हैं. वे यह कहते हुए अपने मुकुट उन्हें समर्पित कर देते हैं: इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 तब चौबीसों प्राचीन सिंहासन पर बैठनेवाले के सामने गिर पड़ेंगे, और उसे जो युगानुयुग जीविता है प्रणाम करेंगे; और अपने-अपने मुकुट सिंहासन के सामने यह कहते हुए डाल देंगे, (भज. 47:8) |
दाऊद समस्त धर्मसभा की ओर उन्मुख हुआ। उसने कहा, ‘अपने प्रभु परमेश्वर को धन्य कहो!’ तब धर्मसभा ने अपने पूर्वजों के प्रभु परमेश्वर को धन्य कहा। उन्होंने अपना सिर झुकाया, और प्रभु की आराधना की। उन्होंने राजा को साष्टांग प्रणाम किया।
जब इस्राएलियों ने देखा कि आकाश से आग गिरी और प्रभु के तेज से मन्दिर परिपूर्ण हो गया, तब उन्होंने फर्श की ओर सिर झुकाकर प्रभु की साष्टांग वन्दना की और उसकी स्तुति करते हुए यह गीत गाया, ‘क्योंकि प्रभु भला है, और उसकी करुणा सदा की है।’
तब अय्यूब उठा। उसने शोक प्रकट करने के लिए अपना अंगरखा फाड़ा और अपना सिर मुंड़ाया। वह भूमि पर गिरा, और उसने प्रभु की साष्टांग वन्दना की।
हे प्रभु, हमारी नहीं, हमारी नहीं, वरन् अपने नाम की महिमा कर! क्योंकि तू ही करुणा और सत्य से परिपूर्ण है।
परमेश्वर समस्त राज्यों पर राज्य करता है; परमेश्वर अपने पवित्र सिंहासन पर विराजता है।
आओ, हम उसके चरणों पर झुकें और उसकी आराधना करें; अपने निर्माता प्रभु के सम्मुख घुटने टेकें।
जिस वर्ष राजा उज्जियाह की मृत्यु हुई, मैंने यह दर्शन देखा : एक बहुत ऊंचे सिंहासन पर स्वामी बैठा है। उसकी राजसी पोशाक के छोर से मन्दिर भर गया है।
उसने अपना दाहिना और बायाँ हाथ आकाश की ओर उठाया, और मैंने उसको शाश्वत और जीवित परमेश्वर की शपथ लेते हुए सुना : “साढ़े तीन वर्ष तक यह दशा रहेगी। जब पवित्र लोगों का बल टूटते-टूटते समाप्त हो जाएगा, तब ये बातें पूरी होंगी।”
“सात वर्ष बीतने के बाद मैं नबूकदनेस्सर ने स्वर्ग की ओर दीनता से आंखें उठाईं, और मेरा विवेक लौट आया। मैंने सर्वोच्च परमेश्वर को धन्य कहा, जो सदा-सर्वदा जीवित है। मैंने इन शब्दों में उसकी महिमा और स्तुति की; “परमेश्वर का राज्य शाश्वत है; उसका शासन पीढ़ी से पीढ़ी बना रहता है।
घर में प्रवेश कर उन्होंने बालक को उसकी माता मरियम के साथ देखा और उसे साष्टांग प्रणाम किया। फिर अपना-अपना सन्दूक खोल कर उन्होंने उसे सोना, लोबान और गन्धरस की भेंट चढ़ायी।
मैं जो कुछ भी हूँ परमेश्वर की कृपा से हूँ और जो कृपा मुझे उससे मिली, वह व्यर्थ नहीं हुई। मैंने उन सबसे अधिक परिश्रम किया है-मैंने नहीं, बल्कि परमेश्वर की कृपा ने, जो मुझ में विद्यमान है।
जो युग-युगों तक जीता रहता है, जिसने स्वर्ग और उस में जो कुछ है, पृथ्वी और उस पर जो कुछ है एवं समुद्र और उस में जो कुछ है, उसकी सृष्टि की, उसकी शपथ खा कर स्वर्गदूत ने यह कहा, “अब और देर नहीं होगी।
चौबीस धर्मवृद्ध, जो परमेश्वर के सामने अपने आसनों पर विराजमान हैं, मुँह के बल गिर पड़े और यह कहते हुए परमेश्वर की आराधना करने लगे :
प्रभु! कौन तुझ पर श्रद्धा और तेरे नाम की स्तुति नहीं करेगा? क्योंकि तू ही पवित्र है। सभी राष्ट्र आ कर तेरी आराधना करेंगे, क्योंकि तेरे न्यायसंगत निर्णय प्रकट हो गये हैं।”
चार प्राणियों में से एक ने सात स्वर्गदूतों को सात सोने के प्याले दिये, जिन में युग-युगों तक जीवित रहने वाले परमेश्वर का क्रोध भरा हुआ था।
चौबीस धर्मवृद्ध और चार प्राणी मुँह के बल गिर पड़े और उन्होंने यह कहते हुए सिंहासन पर विराजमान परमेश्वर की आराधना की, “आमेन! प्रभु की स्तुति करो!”
मैं तुरन्त आत्मा से आविष्ट हो गया। मैंने देखा कि स्वर्ग में एक सिंहासन रखा हुआ है और उस पर कोई विराजमान है,
सिंहासन के चारों ओर चौबीस धर्मवृद्ध विराजमान हैं। वे उजले वस्त्र पहने हैं और उनके सिर पर सोने के मुकुट हैं।
जब-जब प्राणी सिंहासन पर विराजमान, युग-युगों तक जीवित रहने वाले को महिमा, सम्मान और धन्यवाद देते हैं,
जब मेमना पुस्तक ले चुका, तब चार प्राणी तथा चौबीस धर्मवृद्ध मेमने के सामने गिर पड़े। प्रत्येक धर्मवृद्ध के हाथ में वीणा थी और धूप से भरे स्वर्ण पात्र भी-ये सन्तों की प्रार्थनाएँ हैं।
तब सिंहासन, धर्मवृद्धों और चार प्राणियों के चारों ओर सब स्वर्गदूत खड़े हो गये। वे सब-के-सब सिंहासन के सामने मुँह के बल गिर पड़े और उन्होंने यह कहते हुए परमेश्वर की आराधना की :