याकूब ने यूसुफ से कहा, ‘अब मैं मर सकूँगा, क्योंकि मैंने तेरा मुख देख लिया कि तू अब तक जीवित है।’
नीतिवचन 13:12 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) जब आशा पूरी होने में विलम्ब होता है तब हृदय उदास हो जाता है; पर इच्छा की पूर्ति का अर्थ है : जीवन-वृक्ष! पवित्र बाइबल आशा हीनता मन को उदास करती है, किन्तु कामना की पूर्ति प्रसन्नता होती है। Hindi Holy Bible जब आशा पूरी होने में विलम्ब होता है, तो मन शिथिल होता है, परन्तु जब लालसा पूरी होती है, तब जीवन का वृक्ष लगता है। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) जब आशा पूरी होने में विलम्ब होता है, तो मन शिथिल होता है, परन्तु जब लालसा पूरी होती है, तब जीवन का वृक्ष लगता है। नवीन हिंदी बाइबल आशा में विलंब होने से मन उदास हो जाता है, परंतु इच्छा की पूर्ति होना जीवन के वृक्ष के समान है। सरल हिन्दी बाइबल आशा की वस्तु उपलब्ध न होने पर हृदय खिन्न हो जाता है, किंतु अभिलाषा की पूर्ति जीवन वृक्ष प्रमाणित होती है. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 जब आशा पूरी होने में विलम्ब होता है, तो मन निराश होता है, परन्तु जब लालसा पूरी होती है, तब जीवन का वृक्ष लगता है। |
याकूब ने यूसुफ से कहा, ‘अब मैं मर सकूँगा, क्योंकि मैंने तेरा मुख देख लिया कि तू अब तक जीवित है।’
सम्राट ने मुझसे पूछा, “तुम्हारा चेहरा उदास क्यों है? क्या बीमार हो? निस्सन्देह यह मानसिक पीड़ा ही है।’ मैं यह सुनकर बहुत डर गया।
हे प्रभु, अविलम्ब मुझे उत्तर दे, मेरी आत्मा मिटने पर है, अपना मुख मुझसे न छिपा अन्यथा मैं कबर में जानेवालों के समान मृत हो जाऊंगा।
परन्तु मैं अपनी धार्मिकता के कारण तेरे मुख का दर्शन करूंगा; जब मैं जागूंगा तब मेरे स्वरूप को देखकर सन्तुष्ट होऊंगा।
मैं पुकारते पुकारते थक गया; मेरा गला सूख गया। अपने परमेश्वर की प्रतीक्षा करते-करते मेरी आंखें धुंधली हो गई।
अचानक प्राप्त हुआ धन घर में टिकता नहीं; पर अपने परिश्रम से थोड़ा-थोड़ा धन एकत्र करनेवाला मनुष्य उसको और बढ़ाता है।
जो मनुष्य परमेश्वर के वचन को तुच्छ समझता है, वह स्वयं अपने विनाश का कारण बनता है! पर प्रभु की आज्ञाओं का आदर करनेवाला पुरस्कार पाएगा!
जब इच्छा पूर्ण हो जाती है तब मनुष्य को उसका स्वाद मधुर लगता है। पर दुराचार के मार्ग को छोड़ना मूर्ख को घृणित लगता है।
जो मनुष्य उसको थामे रहते हैं, उनके लिए वह जीवन का वृक्ष है। उसको कसकर पकड़े रहनेवाले लोग निस्सन्देह सुखी हैं।
‘ओ यरूशलेम की कन्याओ! मैं तुम्हें शपथ देती हूं! अगर तुम्हें मेरा प्रियतम मिले तो तुम उसे यह अवश्य बताना कि मैं प्रेम-ज्वर से पीड़ित हूं।’
इसी तरह तुम लोग अभी दु:खी हो, किन्तु मैं तुम्हें फिर देखूँगा और तुम्हारा मन आनन्दित होगा। तुम से तुम्हारा आनन्द कोई छीन नहीं सकेगा।
“जिसके कान हों, वह सुन ले कि आत्मा कलीसियओं से क्या कहता है। जो विजय प्राप्त करेगा, उसको मैं उस जीवन-वृक्ष का फल खाने के लिए दूंगा जो परमेश्वर की स्वर्ग-वाटिका के बीच में है।
नगर चौक के बीचों-बीच बहती हुई नदी के तट पर, दोनों ओर एक जीवन-वृक्ष था, जो बारह प्रकार के फल, हर महीने एक बार फल, देता था। उस पेड़ के पत्तों से राष्ट्रों की चिकित्सा होती है।