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नीतिवचन 13:12 - नवीन हिंदी बाइबल

12 आशा में विलंब होने से मन उदास हो जाता है, परंतु इच्छा की पूर्ति होना जीवन के वृक्ष के समान है।

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पवित्र बाइबल

12 आशा हीनता मन को उदास करती है, किन्तु कामना की पूर्ति प्रसन्नता होती है।

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Hindi Holy Bible

12 जब आशा पूरी होने में विलम्ब होता है, तो मन शिथिल होता है, परन्तु जब लालसा पूरी होती है, तब जीवन का वृक्ष लगता है।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

12 जब आशा पूरी होने में विलम्‍ब होता है तब हृदय उदास हो जाता है; पर इच्‍छा की पूर्ति का अर्थ है : जीवन-वृक्ष!

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

12 जब आशा पूरी होने में विलम्ब होता है, तो मन शिथिल होता है, परन्तु जब लालसा पूरी होती है, तब जीवन का वृक्ष लगता है।

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सरल हिन्दी बाइबल

12 आशा की वस्तु उपलब्ध न होने पर हृदय खिन्‍न हो जाता है, किंतु अभिलाषा की पूर्ति जीवन वृक्ष प्रमाणित होती है.

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नीतिवचन 13:12
20 क्रॉस रेफरेंस  

तब इस्राएल ने यूसुफ से कहा, “अब मैं चैन से मर सकता हूँ, क्योंकि मैंने तुझे देख लिया है कि तू अब भी जीवित है।”


हे यहोवा, मुझे शीघ्र उत्तर दे, क्योंकि मेरा प्राण निकलने ही पर है। मुझसे अपना मुँह न छिपा, ऐसा न हो कि मैं कब्र में पड़े हुओं के समान हो जाऊँ।


परंतु मैं धार्मिकता में तेरे मुख का दर्शन करूँगा; जब मैं जागूँगा तब तेरे स्वरूप को देखकर संतुष्‍ट होऊँगा।


मैं पुकारते-पुकारते थक गया हूँ, मेरा गला सूख गया है; अपने परमेश्‍वर की प्रतीक्षा करते-करते मेरी आँखें धुँधला गई हैं।


धर्मी मनुष्य का फल जीवन का वृक्ष है, और जो आत्माओं को जीत लेता है वह बुद्धिमान है।


छल से कमाया गया धन घटता जाता है, पर परिश्रम करके जमा किया गया धन बढ़ता जाता है।


जो शिक्षा को तुच्छ जानता है, वह नष्‍ट हो जाता है; परंतु आज्ञा का आदर करनेवाले को अच्छा फल मिलता है।


इच्छा का पूरा होना तो प्राण को सुखद लगता है, परंतु बुराई से हटना मूर्खों को बुरा लगता है।


जो उसे ग्रहण करते हैं, उनके लिए वह जीवन का वृक्ष है; और जो उसे थामे रहते हैं, वे धन्य हैं।


इसी प्रकार अभी तो तुम्हें शोक है; परंतु मैं तुमसे फिर मिलूँगा, तब तुम्हारा हृदय आनंदित होगा और तुम्हारे उस आनंद को तुमसे कोई भी नहीं छीनेगा।


“जिसके पास कान हों वह सुन ले कि आत्मा कलीसियाओं से क्या कहता है : जो जय पाए उसे मैं जीवन के वृक्ष में से, जो परमेश्‍वर के स्वर्गलोक में है, खाने को दूँगा।


वह सड़क के बीचों-बीच बहती थी। नदी के इस ओर और उस ओर जीवन का वृक्ष था, जिसमें बारह प्रकार के फल लगते थे, और वह हर महीने फलता था, और उस वृक्ष की पत्तियों से जाति-जाति के लोग स्वस्थ होते थे।


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