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निर्गमन 30:1 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

‘धूप जलाने के लिए एक वेदी बनाना। तू उसको बबूल की लकड़ी का बनाना।

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पवित्र बाइबल

परमेश्वर ने मूसा से कहा, “बबूल की लकड़ी की एक वेदी बनाओ। तुम इस वेदी का उपयोग धूप जलाने के लिए करोगे।

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Hindi Holy Bible

फिर धूप जलाने के लिये बबूल की लकड़ी की वेदी बनाना।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

“फिर धूप जलाने के लिये बबूल की लकड़ी की वेदी बनाना।

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नवीन हिंदी बाइबल

“तू धूप जलाने के लिए बबूल की लकड़ी की एक वेदी बनवाना।

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सरल हिन्दी बाइबल

“धूप जलाने के लिए बबूल की लकड़ी की एक वेदी बनाना.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

“फिर धूप जलाने के लिये बबूल की लकड़ी की वेदी बनाना।

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निर्गमन 30:1
21 क्रॉस रेफरेंस  

यह पवित्र अन्‍तर्गृह नौ मीटर चाड़ा, नौ मीटर लम्‍बा और नौ मीटर ऊंचा था। उसने पवित्र अन्‍तर्गृह को शुद्ध सोने से मढ़ा। उसने देवदार की लकड़ी की एक वेदी भी बनाई।


उसने पवित्र अन्‍तर्गृह की सम्‍पूर्ण वेदी को भी सोने से मढ़ा। उसने सम्‍पूर्ण भवन को शुद्ध सोने से मढ़ कर भवन का निर्माण-कार्य पूर्ण किया।


सुलेमान ने प्रभु के भवन की ये वस्‍तुएं भी बनाई थीं : स्‍वर्ण वेदी और स्‍वर्ण मेज, जिस पर ‘प्रभु-भेंट की रोटी’ रखी जाती थी;


शुद्ध सोने की धूप-वेदी का सोना। दाउद ने प्रभु की विधान-मंजूषा के ऊपर पंख फैलाए हुए करूबों के स्‍वर्ण-रथ के नमूने में लगने वाले सोने की मात्रा भी निर्धारित की।


हारून और उसके पुत्र अग्‍नि-बलि की वेदी और धूप-वेदी पर बलि चढ़ाया करते थे। इनके अतिरिक्‍त वे परमपवित्र स्‍थान के सब कार्य करते थे। वे इस्राएली समाज की ओर से प्रायश्‍चित के लिए बलि भी चढाते थे। इस प्रकार वे उन सब कार्यों को करते थे जिनका आदेश परमेश्‍वर के सेवक मूसा ने उन्‍हें दिया था।


किन्‍तु जब वह शक्‍तिशाली हो गया, तब उसका हृदय घमण्‍ड से भर गया। उसका हृदय प्रभु परमेश्‍वर के प्रति निष्‍कपट नहीं रहा। एक दिन उसने प्रभु के मन्‍दिर में धूप-वेदी पर धूप जलाने के लिए प्रवेश किया।


हारून वर्ष में एक बार उसके सींगों पर प्रायश्‍चित्त करेगा। तुम्‍हारी पीढ़ी से पीढ़ी, वर्ष में एक बार, प्रायश्‍चित्त की पाप-बलि के रक्‍त से उस पर प्रायश्‍चित्त किया जाए। यह वेदी प्रभु के लिए परम पवित्र है।’


उसकी लम्‍बाई पैंतालीस सेंटीमीटर होगी। वह वर्गाकार होगी। उसकी ऊंचाई नब्‍बे सेंटीमीटर होगी। उसके सींग उसी टुकड़े से बनाए जाएंगे।


मेज और उसके पात्र, शुद्ध सोने से बना दीपाधार तथा उसके सब पात्र, धूप-वेदी,


धूपवेदी उसके डण्‍डे, अभ्‍यंजन-तेल, सुगन्‍धित धूप-द्रव्‍य, निवास-स्‍थान के प्रवेश-द्वार के लिए परदा;


स्‍वर्ण वेदी, अभ्‍यंजन तेल, सुगन्‍धित धूप-द्रव्‍य, तम्‍बू के प्रवेश-द्वार के लिए परदा,


तू सुगन्‍धित धूप-द्रव्‍य की स्‍वर्ण वेदी को साक्षी-मंजूषा के सम्‍मुख रखना। तू निवास-स्‍थान के प्रवेश-द्वार पर परदा लगाना।


वह लकड़ी की वेदी के समान था। वह डेढ़ मीटर ऊंचा, एक मीटर लम्‍बा और एक मीटर चौड़ा था। उसके कोने, उसका आधार और उसके अलंग लकड़ी के थे। उसने मुझसे कहा, ‘यह प्रभु के सम्‍मुख की मेज है।’


वह रक्‍त का कुछ अंश प्रभु के सम्‍मुख मिलन-शिविर में स्‍थित वेदी के सींगों पर लगाएगा। वह शेष रक्‍त को अग्‍नि-बलि की वेदी, जो मिलन-शिविर के द्वार पर है, की आधार-पीठिका में उण्‍डेल देगा।


तत्‍पश्‍चात् पुरोहित रक्‍त का कुछ अंश मिलन-शिविर में स्‍थित सुगन्‍धित धूप की वेदी के सींगों पर, प्रभु के सम्‍मुख लगाएगा। वह बछड़े का शेष रक्‍त मिलन-शिविर के द्वार पर अग्‍नि-बलि की वेदी की आधार-पीठिका में उण्‍डेल देगा।


उन्‍हें यह दायित्‍व सौंपा गया था : वे मंजूषा, मेज, दीपाधार, वेदियों, पवित्र-स्‍थान की अन्‍य वस्‍तुओं जिनको पुरोहित के सेवा-कार्य में प्रयुक्‍त किया जाता है, और अन्‍त:पट से सम्‍बन्‍धित समस्‍त सेवा-कार्य करते थे।


वे स्‍वर्णवेदी पर नीला वस्‍त्र बिछाएंगे और उसको सूंस के चमड़े के आच्‍छादन से ढक देंगे। तत्‍पश्‍चात् वे उसमें डण्‍डे लगाएंगे।


वहाँ धूपदान की स्‍वर्णमय वेदी और विधान की स्‍वर्ण से मढ़ी हुई मंजूषा थी। मंजूषा में “मन्ना” से भरा हुआ स्‍वर्णमय पात्र था, हारून की छड़ी थी, जो पल्‍लवित हो उठी थी, और विधान की शिला-पट्टियां थीं


तब तक दूसरा स्‍वर्गदूत, सोने का धूपदान लिये आया, और वेदी के सामने खड़ा हो गया। उसे बहुत-सा धूप दिया गया, जिससे वह उसे सब सन्‍तों की प्रार्थनाओं के साथ सिंहासन के सामनेवाली स्‍वर्ण वेदी पर चढ़ाये।