तूने हृदय से पश्चात्ताप किया। तूने मेरे सम्मुख, अपने प्रभु के सम्मुख, स्वयं को विनम्र बनाया। तूने यह सुना कि मैंने इस स्थान के विरुद्ध, इसके निवासियों के विरुद्ध यह कहा है, कि मैं उनको घृणा और उपहास का पात्र बना दूंगा। तब तूने पश्चात्ताप प्रकट करने के लिए अपने वस्त्र फाड़े, और मेरे सम्मुख रोया। सुन, मैं-प्रभु, यह कहता हूँ : मैंने तेरी प्रार्थना सुनी।
राजा मनश्शे ने अपने उकसाने वाले कार्यों से प्रभु को चिढ़ाया था। इसलिए उस की क्रोधाग्नि यहूदा प्रदेश के प्रति भड़क उठी थी। प्रभु की यह महाक्रोधाग्नि राजा योशियाह के धार्मिक सुधारों के बावजूद नहीं बुझी।
‘हमारे दुष्कर्मों, हमारे बड़े-बड़े अधर्म के कामों के कारण हम पर विपत्तियां आईं, पर तूने हमारे अपराधों की तुलना में हमें कम ही दण्ड दिया, और हमारी कौम के कुछ लोगों को नष्ट होने से बचा लिया।
वे मिस्र देश से इस देश में आए। उन्होंने इस देश में प्रवेश किया, और इस पर अधिकार कर लिया। ‘किन्तु उन्होंने तेरी वाणी नहीं सुनी, और तेरी व्यवस्था के अनुसार आचरण नहीं किया। उन्होंने वे कार्य नहीं किये जिनको करने का आदेश तूने उनको दिया था। अत: तूने यह विपत्ति उन पर ढाही।
अत: मैंने उन पर क्रोध और प्रकोप उण्डेल दिया। मैंने यहूदा प्रदेश के नगरों और यरूशलेम के गली-कूचों को अपनी क्रोधाग्नि से भस्म कर दिया। वे उजाड़ और निर्जन हो गए, और आज तक वैसे ही उजाड़ और निर्जन पड़े हैं।
अत: मैंने अपनी क्रोधाग्नि उन पर उण्डेल दी। मैंने अपने क्रोध की ज्वाला से उनको भस्म कर दिया। मैंने उनके आचरण का प्रतिफल उन्हीं के सिर पर लौटा दिया।’ स्वामी-प्रभु की यही वाणी है।
अत: मैं उनसे क्रोधपूर्ण व्यवहार करूंगा। मैं उन पर दयादृष्टि नहीं करूंगा। मेरी आंखों से छिप कर वे भाग नहीं सकेंगे। वे ऊंचे स्वर से मुझे पुकारेंगे तो भी मैं उनकी दुहाई नहीं सुनूंगा।’
उन्होंने अपने हृदय को पत्थर बना लिया ताकि वे स्वर्गिक सेनाओं के प्रभु की व्यवस्था को न मानें, और न उसके सन्देश को सुनें, जो उसने अपने आत्मा के द्वारा प्राचीन काल के नबियों के माध्यम से दिए थे। अत: स्वर्गिक सेनाओं के प्रभु का भयंकर क्रोध उन पर भड़क उठा।
‘स्वर्गिक सेनाओं का प्रभु यों कहता है : जैसे तुम्हारे पूर्वजों ने अपने दुष्कर्मों से मेरे क्रोध को उभाड़ा था और मैंने तुम्हारा अनिष्ट करने का निश्चय किया था, और अपने निश्चय को नहीं बदला,
आपके पूर्वजों ने किस नबी पर अत्याचार नहीं किया? उन्होंने उन लोगों का वध किया, जिन्होंने पहले से ही धर्मात्मा के आगमन की घोषणा की थी। आप लोगों को स्वर्गदूतों के माध्यम से व्यवस्था प्राप्त हुई, किन्तु आपने उसका पालन नहीं किया और अब आप उस धर्मात्मा के पकड़वाने वाले तथा हत्यारे बन गये हैं।”