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जकर्याह 7:12 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

12 उन्‍होंने अपने हृदय को पत्‍थर बना लिया ताकि वे स्‍वर्गिक सेनाओं के प्रभु की व्‍यवस्‍था को न मानें, और न उसके सन्‍देश को सुनें, जो उसने अपने आत्‍मा के द्वारा प्राचीन काल के नबियों के माध्‍यम से दिए थे। अत: स्‍वर्गिक सेनाओं के प्रभु का भयंकर क्रोध उन पर भड़क उठा।

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पवित्र बाइबल

12 वे बङे हठी थे। उन्होंने परमेश्वर की व्यवस्था का पालन करना अस्वीकार कर दिया। अपनी आत्मशक्ति से सर्वशक्तिमान यहावा ने नबियों द्धारा अपने लोगों को सन्देश भेजे। किन्तु लोगों ने उसे नहीं सुना, अत: सर्वशक्तिमान यहोवा बहुत क्रारोधित हुआ।

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Hindi Holy Bible

12 वरन उन्होंने अपने हृदय को इसलिये बज्र सा बना लिया, कि वे उस व्यवस्था और उस वचनों को न मान सकें जिन्हें सेनाओं के यहोवा ने अपने आत्मा के द्वारा अगले भविष्यद्वक्ताओं से कहला भेजा था। इस कारण सेनाओं के यहोवा की ओर से उन पर बड़ा क्रोध भड़का।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

12 वरन् उन्होंने अपने हृदय को इसलिये पत्थर–सा बना लिया, कि वे उस व्यवस्था और उन वचनों को न मान सकें जिन्हें सेनाओं के यहोवा ने अपने आत्मा के द्वारा पूर्वकाल के भविष्यद्वक्‍ताओं से कहला भेजा था। इस कारण सेनाओं के यहोवा की ओर से उन पर बड़ा क्रोध भड़का।

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सरल हिन्दी बाइबल

12 उन्होंने अपना हृदय पत्थर के समान कठोर बना लिया और कानून की बातों या सर्वशक्तिमान याहवेह के उन वचनों को नहीं सुना जिसे उन्होंने अपनी आत्मा के द्वारा पहले के भविष्यवक्ताओं के ज़रिये भेजा था. इसलिये सर्वशक्तिमान याहवेह बहुत क्रोधित हुए.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

12 वरन् उन्होंने अपने हृदय को इसलिए पत्थर सा बना लिया, कि वे उस व्यवस्था और उन वचनों को न मान सके जिन्हें सेनाओं के यहोवा ने अपने आत्मा के द्वारा पूर्वकाल के भविष्यद्वक्ताओं से कहला भेजा था। इस कारण सेनाओं के यहोवा की ओर से उन पर बड़ा क्रोध भड़का।

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जकर्याह 7:12
34 क्रॉस रेफरेंस  

राजा नबूकदनेस्‍सर ने उसको परमेश्‍वर की शपथ दी थी कि वह उससे विद्रोह नहीं करेगा। तो भी उसने परमेश्‍वर की शपथ की उपेक्षा की और राजा नबूकदनेस्‍सर से विद्रोह किया। उसने इस्राएली राष्‍ट्र के प्रभु परमेश्‍वर के प्रति अपने हृदय को कठोर बना लिया था। हठ से उसकी गर्दन ऐंठ गई थी, और वह प्रभु से विमुख हो गया था।


किन्‍तु वे परमेश्‍वर के सन्‍देश-वाहकों का मजाक उड़ाते रहे। उन्‍होंने परमेश्‍वर के सन्‍देश को तुच्‍छ समझा; उसके नबियों की हंसी की। तब अन्‍त में प्रभु की क्रोधाग्‍नि अपने निज लोगों पर भड़क उठी; और उसको बुझाने का किसी में सामर्थ्य न था: कोई इलाज न रह गया।


परमेश्‍वर बुद्धिमान है, वह सर्वशक्‍तिमान है, किस मनुष्‍य ने हठ पूर्वक उसका विरोध किया, और सफलता प्रप्‍त की?


तू अनुशासन से घृणा करता, और मेरे वचनों को त्‍याग देता है।


फरओ का हृदय और हठीला हो गया। उसने मूसा और हारून की बात नहीं सुनी, जैसा प्रभु ने कहा था।


ओ हठीले लोगो! मेरी बात सुनो। तुम उद्धार से बहुत दूर हो।


ओ इस्राएल! मैं तुझे जानता था कि तू जिद्दी है, तेरी गर्दन लोहे की तरह कठोर है; तेरा माथा पीतल का बना है।


इन लोगों की समझ पर पत्‍थर पड़ गए हैं; इनके कान बहरे हैं, और आंखें अंधी! अत: ये अपने कानों से सुन नहीं सकते, और न आंखों से इन्‍हें दिखाई देता है। इनका हृदय समझ नहीं पाता है; अन्‍यथा ये पश्‍चात्ताप करते, और मैं इनको स्‍वस्‍थ कर देता।’


मैं तुम्‍हारी ‘नियति’ तलवार को निश्‍चित् करूंगा; तुम-सब को वध के लिए गर्दन झुकानी होगी; क्‍योंकि मैंने तुम्‍हें पुकारा, पर तुमने मुझे उत्तर नहीं दिया। जब मैं तुमसे बोला, तो तुमने नहीं सुना। किन्‍तु तुमने वही किया जो मेरी दृष्‍टि में बुरा था; तुमने उसको पसन्‍द किया, जो मुझे नापसन्‍द था।’


‘यिर्मयाह, यहूदा प्रदेश के पाप का विवरण लोहे की कलम से लिखा हुआ है! उनके अपराध का लेख उनके हृदय में हीरे की नोक से खुदा हुआ है! उनकी वेदियों के सींगों पर उनका अधर्म अंकित है।


किन्‍तु तुम्‍हारे पूर्वजों ने मेरी आज्ञा नहीं मानी; उन्‍होंने अकड़ कर अपनी गर्दन टेढ़ी कर ली। उन्‍होंने अपने कान बन्‍द कर लिये, जिससे वे मेरे वचन न सुनें और न किसी प्रकार का उपदेश ग्रहण करें।


‘हम आप-सब से पूछते हैं : क्‍या राजा हिजाकियाह ने नबी मीकायाह की इस कठोर नबूवत के कारण उन को मृत्‍यु-दण्‍ड दिया? कदापि नहीं; बल्‍कि वह प्रभु से डरा, और उसने प्रभु की कृपा के लिए विनती की। अत: प्रभु अपने निश्‍चय के लिए पछताया, और उसने यहूदा प्रदेश का अनिष्‍ट करने का जो निश्‍चय किया था, और जिसकी उसने घोषणा की थी, वह नहीं किया। किन्‍तु हम तो इस मनुष्‍य के साथ यह व्‍यवहार कर अपने ऊपर महा विपत्ति ला रहे हैं।’


आज मैंने प्रभु परमेश्‍वर का वचन तुम पर प्रकट कर दिया। किन्‍तु तुमने अपने प्रभु परमेश्‍वर की वाणी अनसुनी कर दी; जो बातें तुम्‍हें सुनाने के लिए उसने मुझे तुम्‍हारे पास भेजा है, उनको तुम नहीं मानते हो।


‘हे प्रभु, क्‍या तू सच्‍चाई को नहीं देखता? देख, तूने उनको मारा, किन्‍तु उन्‍हें पीड़ा का अनुभव ही नहीं हुआ! तूने उनका संहार किया, फिर भी उन्‍होंने इससे पाठ नहीं सीखा! उन्‍होंने अपना हृदय चट्टान से अधिक कठोर बना लिया, उन्‍होंने पश्‍चात्ताप करने से इन्‍कार कर दिया।’


इसलिए मैं-प्रभु स्‍वामी कहता हूं: इस स्‍थान पर, मनुष्‍य और पशु पर, मैदान के वृक्षों और भूमि की उपज पर मैं अपनी क्रोधाग्‍नि उण्‍डेलूंगा। वह सदा जलती रहेगी, और कभी न बुझेगी।’


मैं उनको एक हृदय और एक मन दूंगा, और उनके भीतर नयी आत्‍मा प्रतिष्‍ठित करूंगा। मैं उनका पत्‍थर का हृदय हटा दूंगा और उसके बदले में उनको सजीव हृदय दूंगा,


ओ मानव, इस इस्राएली कुल ने अपनी मूर्तियों के कारण मुझे त्‍याग दिया है, और यह मुझ से दूर हो गया है। जिस हृदय में इस्राएली कुल ने अपने देवताओं की मूर्तियां प्रतिष्‍ठित की हैं, उस हृदय को मैं अपने दण्‍ड से आतंकित करूंगा।


यह पीढ़ी धृष्‍ट और हठी है। मैं उन लोगों के पास तुझको भेज रहा हूं। तू उनसे यह कहना : “स्‍वामी-प्रभु यों कहता है।”


मैं तुम्‍हें एक नया हृदय दूंगा, और तुम्‍हारे भीतर एक नई आत्‍मा उत्‍पन्न करूंगा। मैं तुम्‍हारी देह से तुम्‍हारा पाषाण हृदय निकाल कर तुम्‍हें संवेदनशीलहृदय दूंगा


‘मैं–प्रभु तुम्‍हारे पूर्वजों से बहुत क्रुद्ध था।


जब यरूशलेम नगर, उसके आस-पास के नगर, उसका नेगेब और शफेलाह क्षेत्र आबाद और समृद्ध थे, तब क्‍या प्रभु ने प्राचीन काल के नबियों के द्वारा यह नहीं कहा था?’


क्‍योंकि इन लोगों की बुद्धि मारी गयी है। ये कानों से ऊंचा सुनने लगे हैं; इन्‍होंने अपनी आँखें बन्‍द कर ली हैं; जिससे कहीं ऐसा न हो कि ये आँखों से देखें, कानों से सुनें, बुद्धि से समझें और मेरी ओर लौट आएँ और मैं इन्‍हें स्‍वस्‍थ कर दूँ। ’


जिससे ‘वे देखते हुए भी नहीं देखें और सुनते हुए भी नहीं समझें। कहीं ऐसा न हो कि वे प्रभु की ओर लौट आएँ और क्षमा प्राप्‍त करें।’ ”


मार्ग के किनारे गिरे हुए बीज वे लोग हैं, जो वचन सुनते हैं, परन्‍तु कहीं ऐसा न हो कि वे विश्‍वास करें और मुक्‍ति प्राप्‍त कर लें; इसलिए शैतान आ कर उनके हृदय से वचन ले जाता है।


क्‍योंकि इन लोगों का मन मोटा हो गया है। ये कानों से ऊंचा सुनने लगे हैं। इन्‍होंने अपनी आँखें बन्‍द कर ली हैं। कहीं ऐसा न हो कि ये आँखों से देखें, कानों से सुनें, मन से समझें और मुझ-प्रभु की ओर अभिमुख हो जायें, और मैं इन्‍हें स्‍वस्‍थ कर दूँ।’


क्‍योंकि मनुष्‍य की इच्‍छा से कभी नबूवत मुखरित नहीं हुई, बल्‍कि पवित्र आत्‍मा से प्रेरित हो कर मनुष्‍य परमेश्‍वर की ओर से बोले।


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