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उत्पत्ति 47:9 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

याकूब ने फरओ को उत्तर दिया, ‘मेरे प्रवास की अवधि कुल एक सौ तीस वर्ष हुई है। मेरे जीवन के दिन थोड़े हैं और वे बुरे बीते हैं। अभी मैंने अपने जीवन के उतने दिन व्‍यतीत नहीं किए हैं जितने मेरे पूर्वजों ने अपने प्रवास काल में बिताए थे।’

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पवित्र बाइबल

याकूब ने फ़िरौन से कहा, “बहुत से कष्टों के साथ मेरा छोटा जीवन रहा। मैं केवल एक सौ तीस वर्ष जीवन बिताया हूँ। मेरे पिता और उनके पिता मुझसे अधिक उम्र तक जीवित रहे।”

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Hindi Holy Bible

याकूब ने फिरौन से कहा, मैं तो एक सौ तीस वर्ष परदेशी हो कर अपना जीवन बीता चुका हूं; मेरे जीवन के दिन थोड़े और दु:ख से भरे हुए भी थे, और मेरे बापदादे परदेशी हो कर जितने दिन तक जीवित रहे उतने दिन का मैं अभी नहीं हुआ।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

याक़ूब ने फ़िरौन से कहा, “मैं एक सौ तीस वर्ष परदेशी होकर अपना जीवन बिता चुका हूँ; मेरे जीवन के दिन थोड़े और दु:ख से भरे हुए भी थे, और मेरे बापदादे परदेशी होकर जितने दिन तक जीवित रहे उतने दिन का मैं अभी नहीं हुआ।”

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नवीन हिंदी बाइबल

याकूब ने फ़िरौन से कहा, “एक परदेशी के रूप में मैं एक सौ तीस वर्ष बिता चुका हूँ। मेरे जीवन के दिन थोड़े और कष्‍टदायक रहे हैं, और मेरी आयु के दिन अभी उतने नहीं हुए जितने मेरे पूर्वजों ने परदेशी होकर बिताए हैं।”

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सरल हिन्दी बाइबल

याकोब ने फ़रोह को बताया “मेरी तीर्थ यात्रा के वर्ष एक सौ तीस रहे हैं. मेरी आयु बहुत छोटी और कष्टभरी रही है और वह मेरे पूर्वजों सी लंबी नहीं रही है!”

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

याकूब ने फ़िरौन से कहा, “मैं तो एक सौ तीस वर्ष परदेशी होकर अपना जीवन बिता चुका हूँ; मेरे जीवन के दिन थोड़े और दुःख से भरे हुए भी थे, और मेरे बापदादे परदेशी होकर जितने दिन तक जीवित रहे उतने दिन का मैं अभी नहीं हुआ।”

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उत्पत्ति 47:9
29 क्रॉस रेफरेंस  

अर्पक्षद के जन्‍म के पश्‍चात् शेम पांच सौ वर्ष तक जीवित रहा। उसको अन्‍य पुत्र-पुत्रियाँ भी उत्‍पन्न हुईं।


जब इसहाक की आयु एक सौ अस्‍सी वर्ष की हुई


याकूब सत्रह वर्ष तक मिस्र देश में जीवित रहे। इस प्रकार उनकी पूर्ण आयु एक सौ सैंतालीस वर्ष की हुई।


फरओ ने याकूब से पूछा: ‘आपकी उम्र कितने वर्ष की है?’


इस प्रकार मथूशेलह कुल नौ सौ उनहत्तर वर्ष जीवित रहा। तत्‍पश्‍चात् उसकी मृत्‍यु हुई।


यूसुफ की मृत्‍यु एक सौ दस वर्ष की अवस्‍था में हुई। उन्‍होंने उसके शव पर मसाले का संलेपन किया, और उसे मिस्र देश में ही एक शव-मंजूषा में रख दिया।


हम अपने पूर्वजों के समान तेरे सम्‍मुख विदेशी और प्रवासी हैं। पृथ्‍वी पर हमारी आयु छाया के समान है। हमारा यहां स्‍थायी निवास-स्‍थान नहीं है।


‘स्‍त्री से जन्‍मा मनुष्‍य अल्‍पायु होता है; उसका सारा जीवन दु:ख से भरा रहता है।


मैं पृथ्‍वी पर प्रवासी हूं; प्रभु, मुझ से अपनी आज्ञाएं न छिपा।


मेरे प्रवास के देश में तेरी संविधियां मेरे गीत बनी हैं।


“ हे प्रभु, मेरी प्रार्थना सुन, मेरी दुहाई पर ध्‍यान दे। मेरे आंसुओं के प्रति उदासीन न हो। मैं कुछ समय के लिए तेरा अतिथि हूँ; मैं अपने पूर्वजों के समान प्रवासी हूँ।


इससे पूर्व कि मैं प्रस्‍थान करूं और न रहूं, मुझ पर से अपनी दृष्‍टि हटा ले कि मैं प्रसन्न हो सकूं।”


तूने मेरे जीवन-काल को बित्ता भर बनाया है। मेरी आयु तेरे सम्‍मुख कुछ भी नहीं है। वस्‍तुत: प्रत्‍येक मनुष्‍य की स्‍थिति श्‍वास मात्र है। सेलाह


मैंने उनके साथ अपना विधान स्‍थापित किया कि मैं उनको कनान देश प्रदान करूंगा, जिसमें वे प्रवासी होकर निवास करते थे।


जब उन्‍होंने फरओ से बातचीत की तब मूसा की आयु अस्‍सी वर्ष और हारून की आयु तिरासी वर्ष की थी।


इसलिए हम सदा ही परमेश्‍वर पर भरोसा रखते हैं। हम यह जानते हैं कि हम जब तक इस शरीर में हैं, तब तक हम प्रभु से दूर, परदेश में निवास करते हैं;


जब मूसा की मृत्‍यु हुई तब उनकी आयु एक सौ बीस वर्ष थी। परन्‍तु न उनकी आंखें धुंधली पड़ी थीं और न उनके शरीर की स्‍फूर्ति कम हुई थी।


क्‍योंकि इस पृथ्‍वी पर हमारा कोई स्‍थायी नगर नहीं। हम तो भविष्‍य के नगर की खोज में लगे हुए हैं।


तुम नहीं जानते कि कल तुम्‍हारा क्‍या हाल होगा। तुम्‍हारा जीवन एक कुहरा मात्र है-वह एक क्षण दिखाई दे कर लुप्‍त हो जाता है।


इन घटनाओं के पश्‍चात् प्रभु के सेवक यहोशुअ बेन-नून की एक सौ दस वर्ष की उम्र में मृत्‍यु हुई।


प्रिय भाइयो एवं बहिनो, आप परदेशी और प्रवासी हैं, इसलिए मैं आप से अनुरोध करता हूँ कि आप अपनी शारीरिक वासनाओं का दमन करें, जो आत्‍मा के विरुद्ध संघर्ष करती हैं।