परमेश्वर ने कहा, ‘हम मनुष्य को अपने स्वरूप में, अपने सदृश बनाएँ, और समुद्र के जलचरों, आकाश के पक्षियों, पालतू पशुओं, धरती पर रेंगने वाले जन्तुओं और समस्त पृथ्वी पर मनुष्य का अधिकार हो।’
उत्पत्ति 3:22 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) प्रभु परमेश्वर ने कहा, ‘देखो, मनुष्य भले और बुरे को जानकर हममें से एक के समान बन गया है। अब कहीं ऐसा न हो कि वह हाथ बढ़ाकर जीवन के वृक्ष का फल तोड़ ले, और उसे खाकर अमर हो जाए।’ पवित्र बाइबल यहोवा परमेश्वर ने कहा, “देखो, पुरुष हमारे जैसा हो गया है। पुरुष अच्छाई और बुराई जानता है और अब पुरुष जीवन के पेड़ से भी फल ले सकता है। अगर पुरुष उस फल को खायेगा तो सदा ही जीवित रहेगा।” Hindi Holy Bible फिर यहोवा परमेश्वर ने कहा, मनुष्य भले बुरे का ज्ञान पाकर हम में से एक के समान हो गया है: इसलिये अब ऐसा न हो, कि वह हाथ बढ़ा कर जीवन के वृक्ष का फल भी तोड़ के खा ले और सदा जीवित रहे। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) फिर यहोवा परमेश्वर ने कहा, “मनुष्य भले बुरे का ज्ञान पाकर हम में से एक के समान हो गया है : इसलिये अब ऐसा न हो कि वह हाथ बढ़ाकर जीवन के वृक्ष का फल भी तोड़ के खा ले और सदा जीवित रहे।” नवीन हिंदी बाइबल फिर यहोवा परमेश्वर ने कहा, “देखो, मनुष्य भले और बुरे का ज्ञान पाकर हममें से एक के समान हो गया है। अब ऐसा न हो कि वह हाथ बढ़ाए और जीवन के वृक्ष का फल भी तोड़कर खा ले, और सदा जीवित रहे।” सरल हिन्दी बाइबल फिर याहवेह परमेश्वर ने सोचा, “आदम और हव्वा ने भले और बुरे के ज्ञान का फल तो खा लिया, अब वे जीवन के पेड़ से फल खाकर सदा जीवित न रह जाएं.” इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 फिर यहोवा परमेश्वर ने कहा, “मनुष्य भले बुरे का ज्ञान पाकर हम में से एक के समान हो गया है: इसलिए अब ऐसा न हो, कि वह हाथ बढ़ाकर जीवन के वृक्ष का फल भी तोड़कर खा ले और सदा जीवित रहे।” (प्रका. 2:7, प्रका. 22:2,14,19, उत्प. 3:24, प्रका. 2:7) |
परमेश्वर ने कहा, ‘हम मनुष्य को अपने स्वरूप में, अपने सदृश बनाएँ, और समुद्र के जलचरों, आकाश के पक्षियों, पालतू पशुओं, धरती पर रेंगने वाले जन्तुओं और समस्त पृथ्वी पर मनुष्य का अधिकार हो।’
प्रभु परमेश्वर ने समस्त वृक्षों को, जो देखने में सुन्दर थे, और आहार के लिए उत्तम हैं, भूमि से उगाया। उसने उद्यान के मध्य में जीवन का वृक्ष तथा भले-बुरे के ज्ञान का वृक्ष उगाया।
अत: प्रभु परमेश्वर ने मनुष्य को अदन के उद्यान से भेज दिया कि वह उस भूमि पर खेती करे, जिसमें से उसे बनाया गया था।
परमेश्वर जानता है कि जब तुम उसे खाओगे तब तुम्हारी आंखें खुल जाएंगी। तुम भले और बुरे को जानकर परमेश्वर के समान बन जाओगे।’
विनम्र व्यक्ति भोजन कर तृप्त होंगे, प्रभु को खोजने वाले प्रभु की स्तुति करेंगे। उनका हृदय सदा धड़कता रहे!
जो मनुष्य उसको थामे रहते हैं, उनके लिए वह जीवन का वृक्ष है। उसको कसकर पकड़े रहनेवाले लोग निस्सन्देह सुखी हैं।
ओ यरूशलेम नगरी, लबानोन की निवासिनी! देवदार के जंगलों में अपना घोंसला बनानेवाली! जब तुझमें गर्भवती स्त्री की पीड़ाएं उठेंगी, जब तुझ पर दु:ख का पहाड़ टूटेगा तब तू क्या दर्द से नहीं चीखेगी?’
“जिसके कान हों, वह सुन ले कि आत्मा कलीसियओं से क्या कहता है। जो विजय प्राप्त करेगा, उसको मैं उस जीवन-वृक्ष का फल खाने के लिए दूंगा जो परमेश्वर की स्वर्ग-वाटिका के बीच में है।
धन्य हैं वे, जो अपने आचरण-रूपी वस्त्र धोते हैं; वे जीवन-वृक्ष के अधिकारी होंगे और फाटकों से हो कर नगर में प्रवेश करेंगे।
नगर चौक के बीचों-बीच बहती हुई नदी के तट पर, दोनों ओर एक जीवन-वृक्ष था, जो बारह प्रकार के फल, हर महीने एक बार फल, देता था। उस पेड़ के पत्तों से राष्ट्रों की चिकित्सा होती है।