इब्रानियों 11:13 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) प्रतिज्ञा का फल पाये बिना ये सब विश्वास करते हुए मर गये। परन्तु उन्होंने उसको दूर से देखा और उसका स्वागत किया। वे अपने को पृथ्वी पर परदेशी तथा प्रवासी मानते थे। पवित्र बाइबल विश्वास को अपने मन में लिए हुए ये लोग मर गए। जिन वस्तुओं की प्रतिज्ञा दी गयी थी, उन्होंने वे वस्तुएँ नहीं पायीं। उन्होंने बस उन्हें दूर से ही देखा और उनका स्वागत किया तथा उन्होंने यह मान लिया कि वे इस धरती पर परदेसी और अनजाने हैं। Hindi Holy Bible ये सब विश्वास ही की दशा में मरे; और उन्होंने प्रतिज्ञा की हुई वस्तुएं नहीं पाईं; पर उन्हें दूर से देखकर आनन्दित हुए और मान लिया, कि हम पृथ्वी पर परदेशी और बाहरी हैं। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) ये सब विश्वास ही की दशा में मरे; और उन्होंने प्रतिज्ञा की हुई वस्तुएँ नहीं पाईं, पर उन्हें दूर से देखकर आनन्दित हुए और मान लिया कि हम पृथ्वी पर परदेशी और बाहरी हैं। नवीन हिंदी बाइबल ये सब विश्वास की दशा में मरे। इन्होंने प्रतिज्ञा की गई वस्तुओं को प्राप्त नहीं किया पर उन्हें दूर ही से देखकर उनका स्वागत किया और यह मान लिया कि हम पृथ्वी पर परदेशी और यात्री हैं। सरल हिन्दी बाइबल विश्वास की स्थिति में ही इन सब की मृत्यु हुई, यद्यपि उन्हें प्रतिज्ञा की हुई वस्तुएं प्राप्त नहीं हुई थी, परंतु उन्होंने उन तत्वों को दूर से पहचानकर इस अहसास के साथ उनका स्वागत किया कि वे स्वयं पृथ्वी पर परदेशी और बाहरी हैं. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 ये सब विश्वास ही की दशा में मरे; और उन्होंने प्रतिज्ञा की हुई वस्तुएँ नहीं पाईं; पर उन्हें दूर से देखकर आनन्दित हुए और मान लिया, कि हम पृथ्वी पर परदेशी और बाहरी हैं। (उत्प. 23:4, 1 इति. 29:15) |
‘मैं आप लोगों के मध्य प्रवासी के रूप में रहता हूँ। मुझे कब्रिस्तान के लिए अपने यहाँ भूमि दीजिए कि मैं अपनी पत्नी का शव गाड़कर उसे आंखों से दूर करूं।’
तब उन्होंने अन्तिम सांस ली। वह वृद्ध और दीर्घायु थे। उनका अच्छी पकी आयु में देहान्त हुआ और वह अपने मृत पूर्वजों में जाकर मिल गए।
याकूब ने फरओ को उत्तर दिया, ‘मेरे प्रवास की अवधि कुल एक सौ तीस वर्ष हुई है। मेरे जीवन के दिन थोड़े हैं और वे बुरे बीते हैं। अभी मैंने अपने जीवन के उतने दिन व्यतीत नहीं किए हैं जितने मेरे पूर्वजों ने अपने प्रवास काल में बिताए थे।’
तत्पश्चात् इस्राएल ने यूसुफ से कहा, ‘देख, मेरी मृत्यु निकट है। परन्तु परमेश्वर तुम लोगों के साथ रहेगा और तुमको तुम्हारे पूर्वजों के देश में वापस ले जाएगा।
जब तक राजदण्ड का स्वामी न आए तब तक राजदण्ड यहूदा से दूर न होगा, और न प्रशासक का दण्ड उसके पैरों के मध्य से अलग होगा। समस्त जातियाँ उसकी आज्ञा का पालन करेंगी।
ये इस्राएल के बारह कुल हैं। ये ही आशीर्वचन उनके पिता ने उच्चारे थे। उन्होंने प्रत्येक कुल को उसके उपयुक्त आशीर्वाद दिया था।
जब याकूब अपने पुत्रों को आज्ञा दे चुके, उन्होंने पलंग पर अपने पैर समेट लिये और अन्तिम सांस ली और यों अपने मृत पूर्वजों में जाकर मिल गए।
यूसुफ ने अपने भाइयों से कहा, ‘मेरी मृत्यु निकट है। किन्तु परमेश्वर तुम्हारी सुध लेगा, और तुम्हें इस देश से निकाल कर उस देश में ले जाएगा, जिसकी शपथ उसने अब्राहम, इसहाक और याकूब से खाई थी।’
किन्तु मैं जानता हूँ कि मेरा उद्धारकर्ता जीवित है; और वह अन्त में पृथ्वी पर खड़ा होगा।
“ हे प्रभु, मेरी प्रार्थना सुन, मेरी दुहाई पर ध्यान दे। मेरे आंसुओं के प्रति उदासीन न हो। मैं कुछ समय के लिए तेरा अतिथि हूँ; मैं अपने पूर्वजों के समान प्रवासी हूँ।
वह गर्भवती हुई। उसने एक पुत्र को जन्म दिया। मूसा ने कहा, ‘मैं विदेश में प्रवासी हूं’। इसलिए उन्होंने उसका नाम गेर्शोम रखा।
भूमि को स्थायी रूप से नहीं बेचा जाएगा; क्योंकि भूमि मेरी है। मेरे यहां तुम प्रवासी और अतिथि हो।
होबाब ने उनसे कहा, ‘मैं नहीं जाऊंगा। मैं अपने देश तथा अपने कुटुम्बियों के पास लौट जाऊंगा।’
मैं उसको देखता हूं, पर अभी नहीं; मैं उस पर दृष्टिपात करता हूं, किन्तु निकट से नहीं : याकूब में से एक तारे का उदय होगा, इस्राएल में से एक राजदण्ड उठेगा। वह मोआब देश के सीमान्तों को कुचलेगा, शेत के पुत्रों को धूल-धूसरित करेगा,
मैं तुम लोगों से सच कहता हूँ : तुम जो बातें देख रहे हो, उन्हें कितने ही नबी और धर्मात्मा देखना चाहते थे; परन्तु उन्होंने उन्हें नहीं देखा और तुम जो बातें सुन रहे हो, वे उन्हें सुनना चाहते थे, परन्तु उन्होंने उन्हें नहीं सुना।
यशायाह ने यह इसलिए बताया कि उन्होंने स्वयं येशु की महिमा देखी थी और उनके विषय में यह कहा था।
तुम्हारे पूर्वज अब्राहम यह जान कर उल्लसित हुए कि वह मेरा दिन देखेंगे और वह उसे देख कर आनन्दविभोर हुए।”
उन्हें पक्का निश्चय था कि परमेश्वर ने जिस बात की प्रतिज्ञा की है, वह उसे पूरा करने में समर्थ है।
इस आशा में हमारा उद्धार हुआ है। यदि कोई वह बात देखता है, जिसकी वह आशा करता है, तो यह आशा नहीं कही जा सकती। मनुष्य जिस वस्तु को देख रहा है, उसकी आशा क्यों करेगा?
इसलिए हमारी आंखें दृश्य पर नहीं, बल्कि अदृश्य वस्तुओं पर टिकी हुई हैं, क्योंकि जो वस्तुएं हम देखते हैं, वे अल्पकालिक हैं। अनदेखी वस्तुएं अनन्तकाल तक बनी रहती हैं।
इसलिए हम सदा ही परमेश्वर पर भरोसा रखते हैं। हम यह जानते हैं कि हम जब तक इस शरीर में हैं, तब तक हम प्रभु से दूर, परदेश में निवास करते हैं;
आप लोग अब परदेशी अथवा प्रवासी नहीं रहे, बल्कि सन्तों के सह-नागरिक तथा परमेश्वर के परिवार के सदस्य बन गये हैं।
जो इस तरह की बातें कहते हैं, वे यह स्पष्ट कर देते हैं कि वे स्वदेश की खोज में लगे हुए हैं।
जब परमेश्वर ने अब्राहम की परीक्षा ली, तब विश्वास के कारण अब्राहम ने इसहाक को अर्पित किया। वह अपने एकलौते पुत्र को बलि चढ़ाने को तैयार हो गये, यद्यपि उनसे यह प्रतिज्ञा की गयी थी
विश्वास के कारण उन्होंने मिस्र देश को छोड़ दिया। वह राजा फरओ के क्रोध से भयभीत नहीं हुए, बल्कि दृढ़ बने रहे, मानो वह अदृश्य परमेश्वर को देख रहे थे।
वे सब अपने विश्वास के कारण परमेश्वर के कृपापात्र समझे गये। फिर भी उन्हें प्रतिज्ञा का फल प्राप्त नहीं हुआ,
येशु मसीह के प्रेरित पतरस का यह पत्र परमेश्वर के उन बिखरे हुए कृपापात्रों के नाम है, जो पोंतुस, गलातिया, कप्पदूकिया, आसिया तथा बिथुनिया प्रदेशों में प्रवासियों की तरह रहते हैं;
यदि आप उसे “पिता” कह कर पुकारते हैं, जो पक्षपात किये बिना प्रत्येक मनुष्य का उसके कर्मों के अनुसार न्याय करता है, तो जब तक आप यहाँ परदेश में रहते हैं, तब तक उस पर श्रद्धा रखते हुए जीवन बितायें।
प्रिय भाइयो एवं बहिनो, आप परदेशी और प्रवासी हैं, इसलिए मैं आप से अनुरोध करता हूँ कि आप अपनी शारीरिक वासनाओं का दमन करें, जो आत्मा के विरुद्ध संघर्ष करती हैं।
इसी से हम जान जायेंगे कि हम सत्य की सन्तान हैं। और जब कभी हमारा अन्त:करण हम पर दोष लगायेगा, तो हम परमेश्वर के सामने अपने को आश्वासन दे सकेंगे;