परमेश्वर ने तुमसे पहले मुझे भेजा कि तुम्हारे वंश की पृथ्वी पर रक्षा की जाए, तुम्हारी अनेक सन्तान के प्राण बचाए जाएँ।
अय्यूब 5:20 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) अकाल में वह तुम्हें मृत्यु से बचाएगा, और युद्ध में तलवार के आघात से। पवित्र बाइबल अकाल के समय परमेश्वर तुझे मृत्यु से बचायेगा और परमेश्वर युद्ध में तेरी मृत्यु से रक्षा करेगा। Hindi Holy Bible अकाल में वह तुझे मुत्यु से, और युद्ध में तलवार की धार से बचा लेगा। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) अकाल में वह तुझे मृत्यु से, और युद्ध में तलवार की धार से बचा लेगा। सरल हिन्दी बाइबल अकाल की स्थिति में परमेश्वर तुम्हें मृत्यु से बचाएंगे, वैसे ही युद्ध में तलवार के प्रहार से. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 अकाल में वह तुझे मृत्यु से, और युद्ध में तलवार की धार से बचा लेगा। |
परमेश्वर ने तुमसे पहले मुझे भेजा कि तुम्हारे वंश की पृथ्वी पर रक्षा की जाए, तुम्हारी अनेक सन्तान के प्राण बचाए जाएँ।
कौवे सबेरे और शाम उनके पास मांस और रोटी पहुँचाया करते थे। वह घाटी की बरसाती नदी का पानी पीते थे।
यद्यपि सेना ने मुझे घेरा है, तोभी मेरा हृदय आतंकित न होगा; यद्यपि मेरे विरुद्ध युद्ध छिड़ा है; फिर भी मैं आश्वस्त रहूँगा।
निस्सन्देह मनुष्य स्वयं को छुड़ा नहीं सकता; वह परमेश्वर को अपने प्राण का मूल्य चुका नहीं सकता।
प्रभु धार्मिक मनुष्य को भूखा मरने नहीं देता; पर वह दुर्जन की लालसा पर पानी फेर देता है।
ये कार्य करनेवाला व्यक्ति उच्चस्थान पर निवास करेगा, उसके रक्षा-स्थान चट्टानी किले होंगे; उसे भोजन सदा मिलता रहेगा, उसे जल का अभाव कभी न होगा।
अत: राजा सिदकियाह ने आदेश दिया, और सिपाहियों ने यिर्मयाह को राजमहल के पहरे के आंगन में रख दिया। जब तक नगर में रोटी उपलब्ध रही, यिर्मयाह को रोटी वालों की गली से प्रति दिन एक रोटी मिलती रही। इस प्रकार यिर्मयाह राजमहल के पहरे के आंगन में रहने लगे।
मैं निस्सन्देह तुझे बचाऊंगा, और तू शत्रु की तलवार से नहीं मारा जाएगा। तूने मुझ पर भरोसा किया है, इसलिए तेरा प्राण बचा रहेगा। युद्ध की लूट के समान तू अपने जीवन को बचाएगा। मुझ-प्रभु की यह वाणी है।” ’
क्या मैं उसका मूल्य चुकाकर अधोलोक के हाथ से उसे मुक्त करूं? क्या मैं उसे मृत्यु से छुड़ाऊं? ओ मृत्यु, तेरी महामारियां कहां हैं? ओ अधोलोक, कहां हैं तेरी संहार-शक्ति? मेरी आंखों में दया की भावना नहीं रही।
यद्यपि अंजीर वृक्ष में फूल नहीं आए, अंगूर-लताओं में फल नहीं लगे, जैतून के फलों की फसल नहीं हुई, खेतों में भी अन्न नहीं उपजा, बाड़ों में भेड़-बकरी नहीं रही, और पशुशालाओं में गाय-बैल नहीं रहे,
तुम युद्धों की चर्चा सुनोगे और युद्धों के बारे में अफवाहें सुनोगे। पर देखो, इस से मत घबराना, क्योंकि ऐसा होना अनिवार्य है। परन्तु यही अन्त नहीं है।