यदि मेरे पैर सन्मार्ग से भटक गए थे और मेरा हृदय आंखों के बताए हुए कुमार्ग पर चला था; यदि मेरे हाथ किसी दुष्कर्म से कलंकित हुए
2 पतरस 2:14 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) उनकी आँखें व्यभिचार से भरी हैं और उन में कभी तृप्त न होनेवाली पाप की भूख बनी हुई है। वे दुर्बल आत्माओं को लुभाते हैं। उनका मन लोभ में प्रशििक्षत हो चुका है। यह अभिशप्त सन्तति पवित्र बाइबल ये सदा किसी ऐसी स्त्री की ताक में रहते हैं जिसके साथ व्यभिचार किया जा सके। इस प्रकार इनकी आँखें पाप करने से बाज़ नहीं आतीं। ये अस्थिर लोगों को पाप के लिए फुसला लेते हैं। इनके मन पूरी तरह लालच के आदी हैं। ये अभिशाप के पुत्र हैं। Hindi Holy Bible उन ही आंखों में व्यभिचार बसा हुआ है, और वे पाप किए बिना रूक नहीं सकते: वे चंचल मन वालों को फुसला लेते हैं; उन के मन को लोभ करने का अभ्यास हो गया है, वे सन्ताप के सन्तान हैं। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) उनकी आँखों में व्यभिचार बसा हुआ है, और वे पाप किए बिना रुक नहीं सकते। वे चंचल मनवालों को फुसला लेते हैं। उनके मन को लोभ करने का अभ्यास हो गया है; वे सन्ताप की सन्तान हैं। नवीन हिंदी बाइबल उनकी आँखें व्यभिचार से भरी हैं और वे पाप करने से नहीं रुकते। वे अस्थिर मनवालों को फुसला लेते हैं। उनका मन लोभ का आदी हो गया है, और वे शापित संतान हैं। सरल हिन्दी बाइबल इनकी आंखें व्यभिचार से भरी हुई हैं और ये पाप करने से नहीं चूकते. ये चंचल व्यक्तियों को लुभाते हैं, इनके हृदय में लालच भरा है, ये शापित संतान हैं. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 उनकी आँखों में व्यभिचार बसा हुआ है, और वे पाप किए बिना रुक नहीं सकते; वे चंचल मनवालों को फुसला लेते हैं; उनके मन को लोभ करने का अभ्यास हो गया है, वे सन्ताप की सन्तान हैं। |
यदि मेरे पैर सन्मार्ग से भटक गए थे और मेरा हृदय आंखों के बताए हुए कुमार्ग पर चला था; यदि मेरे हाथ किसी दुष्कर्म से कलंकित हुए
‘यदि मेरा हृदय पड़ोसी की पत्नी पर मोहित हो गया था; और मैं उसके द्वार पर घात में बैठता था
मेरे पुत्र, बुरी स्त्री के सौन्दर्य की कामना अपने हृदय में मत करना, उसके कटाक्ष के जाल में मत फंसना।
तुम अपने को धोओ; अपने को शुद्ध करो; मेरी आंखों के सामने से अपने कुकर्मों को दूर करो। तुम बुराई करना छोड़ दो,
प्रभु की तलवार स्वर्ग में रक्त से तृप्त हो चुकी, देखो, वह एदोम राष्ट्र को, उन लोगों को, जिनका संहार करने का उसने निश्चय किया है, दण्ड देने के लिए उतर रही है।
वहाँ न शिशु होगा, जो कुछ दिन जीवित रहकर असमय में मर जाएगा; और न ऐसे वृद्ध होंगे, जो पूर्ण आयु न भोगेंगे। प्रत्येक बालक शतायु होगा; जो व्यक्ति सौ वर्ष की उम्र के पहले मरेगा, वह शापित समझा जाएगा।
क्या हबशी अपनी काली त्वचा अथवा चीता अपने चित्ते बदल सकता है? तब तू कैसे अपना स्वभाव बदल कर सत्कर्म कर सकती है; क्योंकि तुझे तो दुष्कर्म करने की आदत है?
उनसे कह, स्वामी-प्रभु यों कहता है : धिक्कार है तुम्हें! तुम प्राणियों का शिकार करने के लिए ताबीज बनाती हो और बुरकों की सिलाई करती हो। तुम उनको सब लोगों की कलाइयों पर बान्धती, और हर एक कद के लोगों के सिरों पर ओढ़ाती हो। तुम मेरे निज लोगों के प्राणों का शिकार करती हो और अपनी जीविका के लिए दूसरे प्राणों को छोड़ देती हो। क्या यह उचित है?
साँप के बच्चो! तुम बुरे हो कर अच्छी बातें कैसे कह सकते हो? जो हृदय में भरा है, वही तो मुँह से बाहर आता है।
[“ढोंगी शास्त्रियो और फरीसियो! धिक्कार है तुम्हें! तुम विधवाओं की सम्पत्ति हड़प जाते हो और दिखावे के लिए लम्बी-लम्बी प्रार्थनाएँ करते हो। इस कारण तुम्हें अधिक दण्ड मिलेगा। ]
“तब राजा अपनी बायीं ओर के लोगों से कहेगा, ‘शापित लोगो! मुझ से दूर हो और उस अनन्त आग में जा पड़ो, जो शैतान और उसके दूतों के लिए तैयार की गयी है;
परन्तु मैं तुम से कहता हूँ : जो कोई बुरी इच्छा से किसी स्त्री पर दृष्टि डालता है, वह अपने मन में उसके साथ व्यभिचार कर चुका है।
क्योंकि झूठे मसीह तथा झूठे नबी प्रकट होंगे और ऐसे चिह्न तथा चमत्कार दिखाएँगे कि यदि सम्भव हो तो चुने हुए लोगों को बहका दें।
तुम लोग एक-दूसरे से सम्मान चाहते हो और उस सम्मान की खोज नहीं करते, जो एकमात्र परमेश्वर से प्राप्त होता है। तब तुम कैसे विश्वास कर सकते हो?
वे हमारे प्रभु मसीह की सेवा नहीं, बल्कि अपने पेट की पूजा करते हैं। वे चिकनी-चुपड़ी और खुशामद-भरी बातों से भोले-भाले लोगों को भुलावे में डालते हैं।
आप लोगों में फूट होना एक प्रकार से अनिवार्य है, जिससे यह स्पष्ट हो जाये कि आप में से कौन लोग खरे हैं।
हम सभी पहले उन विरोधियों में सम्मिलित थे, जब हम अपनी कुप्रवृत्तियों के वशीभूत हो कर अपने शरीर और मन की वासनाओं को तृप्त करते थे। हम दूसरों की तरह अपने स्वभाव के कारण परमेश्वर के कोप के पात्र थे।
इस प्रकार हम बालक नहीं बने रहेंगे और भ्रम में डालने के उद्देश्य से निर्मित धूर्त्त मनुष्यों के प्रत्येक सिद्धान्त के झोंके से विचलित हो कर बहकाये नहीं जायेंगे।
आप अपने को ऐसे लोगों द्वारा अपने पुरस्कार से वंचित न होने दें, जो तपस्या, स्वर्गदूतों की पूजा और अपने तथा-कथित दिव्य दृश्यों को अनुचित महत्व देते हैं। वे लोग अपनी सांसारिक बुद्धि के कारण घमण्ड से फूल जाते हैं
जो लोग अभी-अभी भ्रान्ति का जीवन बिताने वालों से अलग हुए हैं, वे उन्हें व्यर्थ शब्दाडम्बर और शरीर की घृणित वासनाओं द्वारा लुभाते हैं।
वे लोभ के कारण अपनी मनगढ़न्त बातों द्वारा आप से अनुचित लाभ उठायेंगे। उनकी दण्डाज्ञा का निर्णय बहुत पहले हो चुका है और वह उनका पीछा कर रहा है। उनका विनाश सोया हुआ नहीं है!
वह अपने सब पत्रों में ऐसा ही करते हैं, जहाँ वह इन बातों की चर्चा करते हैं। उन पत्रों में कुछ ऐसी बातें हैं, जो कठिनाई से समझ में आती हैं। आशििक्षत और चंचल लोग धर्मग्रन्थ की अन्य बातों की भाँति उनका भी गलत अर्थ लगाते और इस प्रकार अपना सत्यानश करते हैं।
संसार में जो शरीर की वासना, आँखों का लोभ और धन-सम्पत्ति का घमण्ड है, वह सब पिता से नहीं, बल्कि संसार से आता है।
धिक्कार इन लोगों को! ये काइन के मार्ग पर चल रहे हैं। ये तुच्छ लाभ के लिए बिलआम की तरह भटक गये और कोरह की तरह विद्रोह करने के कारण विनष्ट हो गये हैं।
तब वह विशालकाय पंखदार सर्प-वह पुराना साँप, जो दोष लगाने वाला शैतान कहलाता और सारे संसार को भटकाता है-अपने दूतों के साथ पृथ्वी पर पटक दिया गया।