यहोशाफट ने अपने पिता आसा के मार्ग का अनुसरण किया। उसने अपने पिता का मार्ग नहीं छोड़ा। उसने वही कार्य किया, जो प्रभु की दृष्टि में उचित था। फिर भी पहाड़ी शिखर की वेदियां नहीं तोड़ी गईं। लोग इन वेदियों पर बलि चढ़ाते और सुगन्धित धूप-द्रव्य जलाते रहे।
फिर भी प्रभु ने आप में कुछ अच्छाई पाई; क्योंकि आपने यहूदा प्रदेश में अशेराह देवी के पूजा-स्तम्भ नष्ट कर दिए, और परमेश्वर को खोजने में अपना मन लगाया है।’
पर्व के समाप्त होने के पश्चात् सब इस्राएली, जो उस समय यरूशलेम में उपस्थित थे, यहूदा प्रदेश के नगरों में गए। उन्होंने यहूदा और बिन्यामिन कुल-क्षेत्रों तथा एफ्रइम और मनश्शे गोत्र के क्षेत्रों में प्रतिष्ठित अशेराह देवी के पूजा-स्तम्भ, देवताओं की मूर्तियाँ, पहाड़ी शिखर की वेदियां तथा अन्य वेदियां ध्वस्त कर दीं। उन्होंने स्तम्भों के टुकड़े-टुकड़े कर दिए, मूर्तियों को काट दिया, मन्दिर और वेदियों को नष्ट कर दिया। तब इस्राएली राष्ट्र का प्रत्येक व्यक्ति अपने नगर को, अपने भूमि-क्षेत्र को लौट गया।
जो मनुष्य बुद्धिमान है, वह इन बातों को समझे। जो व्यक्ति समझदार है, वह इन बातों को जाने : कि प्रभु का मार्ग सीधा है, और धार्मिक जन उस पर चलते हैं। पर अपराधी लड़खड़ाकर गिरते हैं।
और कहा, “तू शैतान की संतान है! तू धूर्तता और कपट से कूट-कूट कर भरा हुआ है और हर प्रकार की धार्मिकता का शत्रु है! क्या तू प्रभु के सीधे मार्ग टेढ़े बनाने से बाज़ नहीं आयेगा?