स्त्री ने देखा कि आहार के लिए वृक्ष उत्तम है। वह आंखों को लुभाता है, और बुद्धिमान बनने के लिए वांछनीय है। अत: उसने उसका फल तोड़ा, और उस को खाया। उसने अपने पति को भी दिया, जो उसके साथ था, और उसने भी खाया।
1 यूहन्ना 2:16 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) संसार में जो शरीर की वासना, आँखों का लोभ और धन-सम्पत्ति का घमण्ड है, वह सब पिता से नहीं, बल्कि संसार से आता है। पवित्र बाइबल क्योंकि इस संसार की हर वस्तु: जो तुम्हारे पापपूर्ण स्वभाव को आकर्षित करती है, तुम्हारी आँखों को भाती है और इस संसार की प्रत्येक वह वस्तु, जिस पर लोग इतना गर्व करते हैं। परम पिता की ओर से नहीं है बल्कि वह तो सांसारिक है। Hindi Holy Bible क्योंकि जो कुछ संसार में है, अर्थात शरीर की अभिलाषा, और आंखों की अभिलाषा और जीविका का घमण्ड, वह पिता की ओर से नहीं, परन्तु संसार ही की ओर से है। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) क्योंकि जो कुछ संसार में है, अर्थात् शरीर की अभिलाषा और आँखों की अभिलाषा और जीविका का घमण्ड, वह पिता की ओर से नहीं परन्तु संसार ही की ओर से है। नवीन हिंदी बाइबल क्योंकि जो कुछ संसार में है, अर्थात् शरीर की अभिलाषा, आँखों की लालसा और धन-संपत्ति का घमंड, वह सब पिता की ओर से नहीं बल्कि संसार की ओर से है। सरल हिन्दी बाइबल वह सब, जो संसार में समाया हुआ है—शरीर की अभिलाषा, आंखों की लालसा तथा जीवनशैली का घमंड—पिता की ओर से नहीं परंतु संसार की ओर से है. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 क्योंकि जो कुछ संसार में है, अर्थात् शरीर की अभिलाषा, और आँखों की अभिलाषा और जीविका का घमण्ड, वह पिता की ओर से नहीं, परन्तु संसार ही की ओर से है। (रोम. 13:14, नीति. 27:20) |
स्त्री ने देखा कि आहार के लिए वृक्ष उत्तम है। वह आंखों को लुभाता है, और बुद्धिमान बनने के लिए वांछनीय है। अत: उसने उसका फल तोड़ा, और उस को खाया। उसने अपने पति को भी दिया, जो उसके साथ था, और उसने भी खाया।
तब ईश-पुत्रों ने मनुष्य की पुत्रियों को देखा कि वे सुन्दर हैं। उन्होंने उनमें से जिन कन्याओं को पसन्द किया, उनको पत्नी बना लिया।
‘मैंने अपनी आंखों के साथ समझौता किया है कि मैं किसी कुंवारी को बुरी नजर से नहीं देखूंगा।
जैसे अधोलोक और पाताल मनुष्यों के शवों से कभी तृप्त नहीं होते, वैसे ही मनुष्य की इच्छाएँ कभी तृप्त नहीं होतीं।
मेरे पुत्र, बुरी स्त्री के सौन्दर्य की कामना अपने हृदय में मत करना, उसके कटाक्ष के जाल में मत फंसना।
तब मैंने सोचा, “क्या यह बेबीलोन नगर महान नहीं है? मैंने इसको अपनी बड़ी ताकत से बनाया है ताकि यह मेरी राजधानी बने और इसके माध्यम से मेरे वैभव की चहुं ओर प्रशंसा हो।”
उस स्थान का नाम ‘किब्रोत-हत्तावा’ रखा गया; क्योंकि वहाँ उन्होंने उन लोगों को गाड़ा था, जो स्वादिष्ट भोजन के लिए लालायित थे।
जो कुली-कबारी इस्राएलियों के साथ थे, वे स्वादिष्ट भोजन के लिए लालायित थे। इस्राएली भी रोदन करने लगे। उन्होंने कहा, ‘कौन हमें खाने को मांस देगा?
फिर शैतान उनको एक अत्यन्त ऊंचे पहाड़ पर ले गया और संसार के सभी राज्य और उनका वैभव दिखला कर
परन्तु मैं तुम से कहता हूँ : जो कोई बुरी इच्छा से किसी स्त्री पर दृष्टि डालता है, वह अपने मन में उसके साथ व्यभिचार कर चुका है।
ये घटनाएँ उदाहरण स्वरूप हैं और हम को यह शिक्षा देती हैं कि हमें उनके समान बुरी चीजों का लालच नहीं करना चाहिए।
शारीरिक स्वभाव तो पवित्र आत्मा के विरुद्ध इच्छा करता है, और पवित्र आत्मा शारीरिक स्वभाव के विरुद्ध। ये दोनों एक दूसरे के विरोधी हैं। इसलिए आप जो चाहते हैं, वही नहीं कर पाते हैं।
जो लोग येशु मसीह के हैं, उन्होंने वासनाओं तथा कामनाओं सहित अपने शारीरिक स्वभाव को क्रूस पर चढ़ा दिया है।
हम सभी पहले उन विरोधियों में सम्मिलित थे, जब हम अपनी कुप्रवृत्तियों के वशीभूत हो कर अपने शरीर और मन की वासनाओं को तृप्त करते थे। हम दूसरों की तरह अपने स्वभाव के कारण परमेश्वर के कोप के पात्र थे।
वह हमें यह शिक्षा देती है कि अधार्मिकता तथा विषय-वासना त्याग कर हम इस युग-संसार में संयम, न्याय तथा भक्ति का जीवन बितायें
क्योंकि हम भी तो पहले नासमझ, अवज्ञाकारी, भटके हुए, हर प्रकार की वासनाओं और भोगों के वशीभूत थे। हम विद्वेष और ईष्र्या में जीवन बिताते थे। हम घृणित थे और एक दूसरे से बैर करते थे।
मैंने लूट में बाबुल देश का एक सुन्दर अंगरखा, दो किलो चांदी, और आधा किलो सोने की ईंट देखी थी। मैं उनको देखकर लालच में पड़ गया, और उनको चुरा लिया। ये वस्तुएँ मेरे तम्बू के भीतर भूमि में गड़ी हैं। सब वस्तुओं के नीचे चाँदी है।’
आप आज्ञाकारी सन्तान बन कर अपनी वासनाओं के अनुसार आचरण नहीं करें, जैसा कि पहले किया करते थे जब आप लोगों को ज्ञान नहीं मिला था।
प्रिय भाइयो एवं बहिनो, आप परदेशी और प्रवासी हैं, इसलिए मैं आप से अनुरोध करता हूँ कि आप अपनी शारीरिक वासनाओं का दमन करें, जो आत्मा के विरुद्ध संघर्ष करती हैं।
विशेष रूप से उन लोगों को, जो अशुद्ध वासनाओं के वशीभूत हो कर भोग-विलास में जीवन बिताते और प्रभुत्व को तुच्छ समझते हैं। वे उद्धत एवं घमण्डी हैं और स्वर्गिक सत्वों की निन्दा करने से नहीं डरते,
जो लोग अभी-अभी भ्रान्ति का जीवन बिताने वालों से अलग हुए हैं, वे उन्हें व्यर्थ शब्दाडम्बर और शरीर की घृणित वासनाओं द्वारा लुभाते हैं।