बनायाह बेन-यहोयादा ने राजा को उत्तर दिया, ‘ऐसा ही हो! हमारे स्वामी महाराज का परमेश्वर भी यह कहे: “तथास्तु!”
1 कुरिन्थियों 14:16 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) यदि आप आत्मा से आविष्ट होकर परमेश्वर की स्तुति करते हैं, तो वहाँ उपस्थित साधारण व्यक्ति आपका धन्यवाद सुनकर कैसे “आमेन” कह सकता है? वह यह भी नहीं जानता कि आप क्या कह रहे हैं। पवित्र बाइबल क्योंकि यदि तू केवल अपनी आत्मा से ही कोई आशीर्वाद दे तो वहाँ बैठा कोई व्यक्ति जो बस सुन रहा है, तेरे धन्यवाद पर “आमीन” कैसे कहेगा क्योंकि तू जो कह रहा है, उसे वह जानता ही नहीं। Hindi Holy Bible नहीं तो यदि तू आत्मा ही से धन्यवाद करेगा, तो फिर अज्ञानी तेरे धन्यवाद पर आमीन क्योंकर कहेगा? इसलिये कि वह तो नहीं जानता, कि तू क्या कहता है? पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) नहीं तो यदि तू आत्मा ही से धन्यवाद करेगा, तो फिर अज्ञानी तेरे धन्यवाद पर आमीन कैसे कहेगा? क्योंकि वह तो नहीं जानता कि तू क्या कहता है? नवीन हिंदी बाइबल नहीं तो यदि तू आत्मा से धन्यवाद करे तो वहाँ उपस्थित अनजान व्यक्ति तेरे धन्यवाद पर कैसे “आमीन” कहेगा, क्योंकि वह तो नहीं जानता कि तू क्या कहता है? सरल हिन्दी बाइबल यदि तुम सिर्फ आत्मा में स्तुति करते हो तो वहां उपस्थित अनजान व्यक्ति तुम्हारे धन्यवाद के अंत में “आमेन” कैसे कहेगा, क्योंकि उसे तो यह मालूम ही नहीं कि तुम कह क्या रहे हो? इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 नहीं तो यदि तू आत्मा ही से धन्यवाद करेगा, तो फिर अज्ञानी तेरे धन्यवाद पर आमीन क्यों कहेगा? इसलिए कि वह तो नहीं जानता, कि तू क्या कहता है? |
बनायाह बेन-यहोयादा ने राजा को उत्तर दिया, ‘ऐसा ही हो! हमारे स्वामी महाराज का परमेश्वर भी यह कहे: “तथास्तु!”
प्रभु, इस्राएल का परमेश्वर, अनादि काल से युग-युगान्त धन्य है!” ’ तब सब लोगों ने यह कहा, ‘आमेन!’ और प्रभु की स्तुति की।
फिर मैंने अपना पल्ला झाड़कर कहा, ‘जो व्यक्ति इस वचन का पालन नहीं करेगा, उसको परमेश्वर इसी प्रकार झाड़ेगा। परमेश्वर उस व्यक्ति को उसके मकान, और उसकी धन-सम्पत्ति से झाड़ देगा, और उसको सब वस्तुओं से वंचित कर देगा।’ आम-सभा में उपस्थित सब लोगों ने कहा, ‘आमेन, ऐसा ही हो!’ सभा ने परमेश्वर की स्तुति की। धनी यहूदियों और सरकारी अफसरों ने अपने वचन को पूरा किया।
एज्रा ने महान प्रभु परमेश्वर को धन्य कहा, और उसके उत्तर में सब लोग आकाश की ओर हाथ उठाकर बोले, ‘आमेन! आमेन!’ उन्होंने सिर झुकाया, और भूमि पर साष्टांग लेट कर प्रभु की वन्दना की।
प्रभु, इस्राएल का परमेश्वर अनादि काल से युग-युगान्त धन्य है! सब लोग यह कहें ‘आमेन!’ प्रभु की स्तुति करो!
ओ यिर्मयाह, तू उनसे यह कहना: यदि तुम मेरे इस विधान के अनुसार आचरण करोगे, तो मैं अपनी शपथ को पूरा करूँगा जो मैंने तुम्हारे पूर्वजों से खायी थी कि मैं उनको दूध और शहद की नदियों वाला देश दूंगा; देख, वह शपथ आज पूरी हुई।’ मैंने उत्तर दिया, ‘प्रभु आमेन’
‘आमेन! काश, प्रभु ऐसा ही करे। जो नबूवत तुमने की है, वह प्रभु सच प्रमाणित करे, और प्रभु अपने भवन के पवित्र पात्रों को तथा सब बन्दियों को बेबीलोन से यहां वापस लाए।
यह अभिशाप-दायक जल तुम्हारी अंतड़ियों में जाकर तुम्हारे पेट को फुलाए और तुम्हारी जांघ को सड़ाए।” तब स्त्री कहेगी, “ऐसा ही हो! ऐसा ही हो!”
येशु ने वे सात रोटियाँ और मछलियाँ लीं; परमेश्वर को धन्यवाद दिया, उनको तोड़ा और अपने शिष्यों को दिया और फिर शिष्यों ने लोगों को दिया।
मैंने तुम्हें जो-जो आदेश दिये हैं, उन सबका पालन करना उन्हें सिखाओ। देखो, मैं संसार के अन्त तक सदा तुम्हारे साथ हूँ।”
और हमें परीक्षा में न डाल, बल्कि बुराई से हमें बचा। [क्योंकि राज्य, सामर्थ्य और महिमा सदा तेरे हैं। आमेन।]
तब शिष्य बाहर जाकर सब जगह संदेश सुनाने लगे। प्रभु येशु उनके साथ कार्य करते रहे और साथ-साथ घटित होने वाले चिह्नों द्वारा शुभ समाचार को प्रमाणित करते रहे।] [(
येशु ने और भी अनेक कार्य किये हैं। यदि एक-एक कर उनका वर्णन किया जाता, तो मैं समझता हूँ कि जो पुस्तकें लिखी जातीं, वे संसार भर में भी नहीं समा पातीं।
यहूदी धर्मगुरु आश्चर्य में पड़ गये। उन्होंने कहा, “इसने कभी पढ़ा नहीं। तब इसे शास्त्र का ज्ञान कहाँ से प्राप्त हुआ?”
पतरस और योहन की निर्भीकता देख कर और यह जानकर कि वे अशििक्षत तथा साधारण मनुष्य हैं, धर्म-महासभा के सदस्य अचम्भे में पड़ गये। फिर, वे पहचान गये कि ये तो येशु के साथ रह चुके हैं;
और धन्यवाद की प्रार्थना करने के बाद उसे तोड़ा और कहा, “यह मेरी ही देह है, जो तुम्हारे लिए है। यह मेरी स्मृति में किया करो।”
क्योंकि यदि मैं अध्यात्म भाषा में प्रार्थना करता हूँ, तो मेरी आत्मा प्रार्थना करती हैं किन्तु मेरी बुद्धि निष्क्रिय है।
क्योंकि जो अध्यात्म भाषा में बोलता है, वह मनुष्यों से नहीं, बल्कि परमेश्वर से बोलता है। कोई भी उसे नहीं समझता : वह आत्मा से प्रेरित होकर रहस्यमय बातें करता है।
उन्हीं में परमेश्वर की समस्त प्रतिज्ञाओं की ‘हां’ विद्यमान है; इसलिए हम परमेश्वर की महिमा के लिए उन्हीं के द्वारा ‘आमेन’ कहते हैं।
इन बातों की साक्षी देने वाला यह कहता है, “मैं अवश्य शीघ्र ही आ रहा हूँ।” आमेन! हे प्रभु येशु! आइए!
“आमेन! हमारे परमेश्वर को युगानुयुग तक स्तुति, महिमा, प्रज्ञ, धन्यवाद, सम्मान, सामर्थ्य और शक्ति! आमेन!”