और फिर उन्होंने मुँह फेर लिया तुझसे था। तेरी शिक्षओं को उन्होंने फेंक दिया दूर तेरे नबियों को मार डाला उन्होंने था। ऐसे नबियों को जो सचेत करते थे लोगों को। जो जतन करते लोगों को मोड़ने का तेरी ओर। किन्तु हमारे पूर्वजों ने भयानक कार्य किये तेरे साथ।
सपन्याह 3:2 - पवित्र बाइबल तुम्हारे लोग मेरी एक नहीं सुनते! वे मेरी शिक्षा को स्वीकार नहीं करते। यरूशलेम यहोवा में विश्वास नहीं रखता। यरूशलेम अपने परमेश्वर तक को नहीं जानती। Hindi Holy Bible उसने मेरी नहीं सुनी, उसने ताड़ना से भी नहीं माना, उसने यहोवा पर भरोसा नहीं रखा, वह अपने परमेश्वर के समीप नहीं आई॥ पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) वह किसी की बात पर ध्यान नहीं देती, वह ताड़ना पाने पर भी नहीं सुधरी। वह प्रभु पर भरोसा नहीं करती। वह परमेश्वर की आराधना के लिए उसके मन्दिर में नहीं आती। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) उसने मेरी नहीं सुनी, उस ने ताड़ना से भी नहीं माना, उसने यहोवा पर भरोसा नहीं रखा, वह अपने परमेश्वर के समीप नहीं आई। सरल हिन्दी बाइबल वह न तो किसी की बात को मानता है. और न ही किसी के सुझाव को स्वीकार करता है. वह याहवेह पर भरोसा नहीं करता, वह अपने परमेश्वर के पास नहीं जाता. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 उसने मेरी नहीं सुनी, उसने ताड़ना से भी नहीं माना, उसने यहोवा पर भरोसा नहीं रखा, वह अपने परमेश्वर के समीप नहीं आई। |
और फिर उन्होंने मुँह फेर लिया तुझसे था। तेरी शिक्षओं को उन्होंने फेंक दिया दूर तेरे नबियों को मार डाला उन्होंने था। ऐसे नबियों को जो सचेत करते थे लोगों को। जो जतन करते लोगों को मोड़ने का तेरी ओर। किन्तु हमारे पूर्वजों ने भयानक कार्य किये तेरे साथ।
दुष्ट जन इतने अभिमानी होते हैं कि वे परमेश्वर का अनुसरण नहीं कर सकते। वे बुरी—बुरी योजनाएँ रचते हैं। वे ऐसे कर्म करते हैं, जैसे परमेश्वर का कोई अस्तित्व ही नहीं।
फिर जब मैं तुमको सुधारता हूँ, तब भला तुम मुझसे बैर क्यों रखते हो। तुम उन बातों की उपेक्षा क्यों करते हो जिन्हें मैं तुम्हें बताता हूँ?
किन्तु, मैं परमेश्वर के निकट आया। मेरे साथ परमेश्वर भला है, मैंने अपना सुरक्षास्थान अपने स्वामी यहोवा को बनाया है। हे परमेश्वर, मैं उन सभी बातों का बखान करूँगा जिनको तूने किया है।
क्यों? क्योंकि लोगों ने उस पर भरोसा नहीं रखा था, उन्हें भरोसा नहीं था, कि परमेश्वर उन्हें बचा सकता है।
यहोवा का भय मानना ज्ञान का आदि है किन्तु मूर्ख जन तो बुद्धि और अनुशासन को तुच्छ मानते हैं।
और तुम कहोगे, “हाय! अनुशासन से मैंने क्यों बैर किया क्यों मेरा मन सुधार की उपेक्षा करता रहा
परमेश्वर कहता है, “मैं तुम लोगों को दण्ड क्यों देता रहूँ मैंने तुम्हें दण्ड दिया किन्तु तुम नहीं बदले। तुम मेरे विरुद्ध विद्रोह करते ही रहे। अब हर सिर और हर हृदय रोगी है।
मेरा स्वामी कहता है, “ये लोग कहते हैं कि वे मुझे प्रेम करते हैं। अपने मुख के शब्दों से वे मेरे प्रति आदर व्यक्त करते हैं। किन्तु उनके मन मुझ से बहुत दूर है। वह आदर जिसे वे मेरे प्रति दिखाते हैं, बस कोरे मानव नियम हैं जिन्हें उन्होंने कंठ कर रखा हैं।
उन लोगों को धिक्कार है जो सहायता पाने के लिये मिस्र की ओर उतर रहे हैं। ये लोग घोड़े चाहते हैं। उनका विचार है, घोड़े उन्हें बचा लेंगे। लोगों को आशा है कि मिस्र के रथ और घुड़सवार सैनिक उन्हें बचा लेंगे। लोग सोचते हैं कि वे सुरक्षित इसलिये हैं कि वह एक विशाल सेना है। लोग इस्राएल के पवित्र (परमेश्वर) पर भरोसा नहीं रखते। लोग यहोवा से सहायता नहीं माँगते।
यहोवा पूर्व से आराम के लोगों को और पश्चिम से पलिश्तियों को लायेगा। वे शत्रु अपनी सेना से इस्राएल को हरा देंगे। किन्तु परमेश्वर इस्राएल से तब कुपित रहेगा। यहोवा तब भी लोगों को दण्ड देने को तत्पर रहेगा।
ये वे सब चीज़ें हैं जो तुम्हारे साथ होंगी, यह मेरी योजना का तुम्हारा हिस्सा है।” यह सन्देश यहोवा का है। “यह क्यों होगा क्योंकि तुम मुझे भूल गए, तुमने असत्य देवताओं पर विश्वास किया।
“यहूदा के लोगों, मैंने तुम्हारे लोगों को दण्ड दिया, किन्तु इसका कोई परिणाम न निकला। तुम तब लौट कर नहीं आए जब दण्डित किये गये। तुमने उन नबियों को तलवार के घाट उतारा जो तुम्हारे पास आए। तुम खूंखार सिंह की तरह थे और तुमने नबियों को मार डाला।”
“हे यहूदा, तुमने अपने को सुरक्षित समझा, किन्तु मैंने तुम्हें चेतावनी दी। मैंने तुम्हें चेतावनी दी, परन्तु तुमने सुनने से इन्कार किया तुमने यह तब से किया जब तुम युवती थी और यहूदा जब से तुम युवती थी, तुमने मेरी आज्ञा का पालन नहीं किया।
“उन लोगों को सहायता के लिये मेरे पास आना चाहिये था। लेकिन उन्होंने मुझसे अपना मुँह मोड़ा। मैंने उन लोगों को बार—बार शिक्षा देनी चाही किन्तु उन्होंने मेरी एक न सुनी। मैंने उन्हें सुधारना चाहा किन्तु उन्होंने अनसुनी की।
“इस्राएल के लोगों का परमेश्वर सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है: यिर्मयाह, जाओ यहूदा एवं यरूशलेम के लोगों को यह सन्देश दो: ‘लोगों, तुम्हें सबक सीखना चाहिये और मेरे सन्देश का पालन करना चाहिये।’ यह सन्देश यहोवा का है।
“अत: इस्राएल के लोगों का परमेश्वर सर्वशक्तिमान यहोवा यह कहता है: ‘मैंने कहा कि यहूदा और यरूशलेम के लिये बहुत सी बुरी घटनायें घटेंगी। मैं उन बुरी घटनाओं को शीघ्र ही घटित कराऊँगा। मैंने उन लोगों को समझाया, किन्तु उन्होंने मेरी एक न सुनी। मैंने उन्हें पुकारा, किन्तु उन्होंने उत्तर नहीं दिया।’”
हे यहोवा, मैं जानता हूँ कि तू लोगों में सच्चाई देखना चाहता है। तूने यहूदा के लोगों को चोट पहुँचाई, किन्तु उन्होंने किसी पीड़ा का अनुभव नहीं किया। तूने उन्हें नष्ट किया, किन्तु उन्होंने अपना सबक सीखने से इन्करा कर दिया। वे बहुत हठी हो गए। उन्होंने अपने पापों के लिये पछताने से इन्कार कर दिया।
“मनुष्य के पुत्र, यरूशलेम से बातें करो। उससे कहो कि वह पवित्र नहीं है। मैं उस देश पर क्रोधित हूँ इसलिये उस देश ने अपनी वर्षा नहीं पाई है।
तुमने मेरे विरुद्ध पाप किया और पाप से कलंकित हुई। मैंने तुम्हें नहलाना चाहा और तुम्हें स्वच्छ करना चाहा! किन्तु दाग छूटे नहीं। मैं तुमको फिर नहलाना नहीं चाहूँगा। जब तक मेरा तप्त क्रोध तुम्हारे प्रति समाप्त नहीं होता।
कुछ लोग यहोवा से विमुख हो गये। उन्होंने मेरा अनुसरण करना छोड़ दिया। उन लोगों ने यहोवा से सहायता मांगना भी बन्द कर दिया। अत: मैं उन लोगों को उस स्थान से हटाऊंगा।”
सम्पूर्ण पवित्र शास्त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है। यह लोगों को सत्य की शिक्षा देने, उनको सुधारने, उन्हें उनकी बुराइयाँ दर्शाने और धार्मिक जीवन के प्रशिक्षण में उपयोगी है।
तो फिर आओ, हम सच्चे हृदय, निश्चयपूर्ण विश्वास अपनी अपराधपूर्ण चेतना से हमें शुद्ध करने के लिए किए गए छिड़काव से युक्त अपने हृदयों को लेकर शुद्ध जल से धोए हुए अपने शरीरों के साथ परमेश्वर के निकट पहुँचते हैं।