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सपन्याह 3:2 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

2 वह किसी की बात पर ध्‍यान नहीं देती, वह ताड़ना पाने पर भी नहीं सुधरी। वह प्रभु पर भरोसा नहीं करती। वह परमेश्‍वर की आराधना के लिए उसके मन्‍दिर में नहीं आती।

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पवित्र बाइबल

2 तुम्हारे लोग मेरी एक नहीं सुनते! वे मेरी शिक्षा को स्वीकार नहीं करते। यरूशलेम यहोवा में विश्वास नहीं रखता। यरूशलेम अपने परमेश्वर तक को नहीं जानती।

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Hindi Holy Bible

2 उसने मेरी नहीं सुनी, उसने ताड़ना से भी नहीं माना, उसने यहोवा पर भरोसा नहीं रखा, वह अपने परमेश्वर के समीप नहीं आई॥

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

2 उसने मेरी नहीं सुनी, उस ने ताड़ना से भी नहीं माना, उसने यहोवा पर भरोसा नहीं रखा, वह अपने परमेश्‍वर के समीप नहीं आई।

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सरल हिन्दी बाइबल

2 वह न तो किसी की बात को मानता है. और न ही किसी के सुझाव को स्वीकार करता है. वह याहवेह पर भरोसा नहीं करता, वह अपने परमेश्वर के पास नहीं जाता.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

2 उसने मेरी नहीं सुनी, उसने ताड़ना से भी नहीं माना, उसने यहोवा पर भरोसा नहीं रखा, वह अपने परमेश्वर के समीप नहीं आई।

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सपन्याह 3:2
30 क्रॉस रेफरेंस  

‘फिर भी उन्‍होंने तेरे धर्म-नियमों का उल्‍लंघन किया; और उन्‍होंने तेरे प्रति विद्रोह किया। उन्‍होंने तेरी व्‍यवस्‍था को कूड़े में डाल दिया, और उन नबियों को मार डाला जो उन्‍हें सावधान करते थे, और तेरे पास लौटने का सन्‍देश देते थे। यों उन्‍होंने तेरी घोर निन्‍दा की।


अहंकारवश दुर्जन प्रभु को खोजता नहीं, उसका यह विचार है, “परमेश्‍वर है ही नहीं।”


तू अनुशासन से घृणा करता, और मेरे वचनों को त्‍याग देता है।


पर मेरे लिए परमेश्‍वर की निकटता उत्तम है; मैं ने प्रभु-स्‍वामी को अपना आश्रय स्‍थल माना है; प्रभु, मैं तेरे सब कार्यों का वर्णन करूंगा।


क्‍योंकि उन्‍होंने परमेश्‍वर पर विश्‍वास नहीं किया, उसकी मुक्‍तिप्रद शक्‍ति पर भरोसा नहीं किया।


प्रभु के प्रति भय-भाव ही बुद्धि का मूल है, जो मूर्ख हैं; वे ही बुद्धि और शिक्षा को तुच्‍छ समझते हैं।


और यह कहोगे: ‘काश! मैं अनुशासन से घृणा न करता; मेरा हृदय चेतावनियों को तुच्‍छ न समझता!


अब तुम्‍हारे किस अंग पर प्रहार किया जा सकता है? तुम्‍हारा कोई अंग भी मार से बचा नहीं, फिर भी तुम बार-बार विद्रोह करते हो! तुम्‍हारा सारा सिर घायल है, तुम्‍हारा सम्‍पूर्ण हृदय रोगी है।


स्‍वामी ने यह कहा, “ये लोग केवल मुंह से मेरी आराधना करते हैं, केवल ओंठों से मेरा सम्‍मान करते हैं; किन्‍तु इनका हृदय मुझसे दूर है। ये दूसरों के आदेश से मेरी भक्‍ति करते हैं; इनकी भक्‍ति रटी-रटाई, सीखी हुई है।


ओ इस्राएलियो, धिक्‍कार है तुम्‍हें! तुम मिस्र-देश से सहायता मांगने जाते हो; तुम उसकी अश्‍व-शक्‍ति का सहारा लेते हो। तुम्‍हें उसके रथों पर भरोसा है; क्‍योंकि उसके पास असंख्‍य रथ हैं। तुम्‍हें उसके घुड़सवारों पर विश्‍वास है; क्‍योंकि वे बहुत बलवान हैं। ओ इस्राएलियो, धिक्‍कार है तुम्‍हें! तुम इस्राएल के पवित्र परमेश्‍वर की ओर सहायता के लिए नहीं देखते; तुम प्रभु का मार्गदर्शन नहीं खोजते।


ओ याकूब, फिर भी तूने मेरी आराधना नहीं की। ओ इस्राएल, तू मुझसे ऊब गया।


पूर्व दिशा से सीरियाई सेना, पश्‍चिमी दिशा से पलिश्‍ती सेना इस्राएल पर आक्रमण करेंगी; वे मुंह फाड़कर इस्राएल को निगल जाएंगी। प्रभु का क्रोध इस विनाश के बाद भी शान्‍त नहीं होगा। विनाश के लिए उसका हाथ अब तक उठा हुआ है।


प्रभु कहता है, ‘जो मैंने तेरे लिए निश्‍चित् किया है, वह यही है, यही तेरी नियति है; क्‍योंकि तू मुझे भूल गई, तूने झूठ पर भरोसा किया।


‘मैंने व्‍यर्थ ही तुम्‍हारे बच्‍चों को मारा, वे मेरी ताड़ना से सुधरे नहीं; तुमने अपनी तलवार से अपने नबियों को चीर-फाड़ डाला, जैसे गरजता हुआ सिंह अपने शिकार को फाड़ता है!


जब तू सुख में डूबी थी, तब मैंने तुझे चेतावनी दी थी; पर तूने मेरी उपेक्षा कर कहा, “मैं तेरी बात नही सुनूंगी।” तू अपने बचपन से यही आचरण करती आयी है। तूने मेरी वाणी नहीं सुनी; तून मेरी आज्ञा का उल्‍लंघन किया।


वे मेरी ओर उन्‍मुख नहीं हुए, बल्‍कि मुझ से विमुख हो गए। यद्यपि मैंने उन को बार-बार समझाया, तो भी उन्‍होंने मेरी वाणी नहीं सुनी, और मेरी शिक्षा स्‍वीकार नहीं की।


‘इस्राएल का परमेश्‍वर, स्‍वर्गिक सेनाओं का प्रभु यों कहता है: जा, यहूदा प्रदेश की जनता और यरूशलेम नगर के निवासियों से यह कह: क्‍या तुम मेरी शिक्षाओं पर ध्‍यान नहीं दोगे? मेरे वचन को नहीं सुनोगे? मुझ-प्रभु की यह वाणी है।


अत: मैं, इस्राएल का परमेश्‍वर, स्‍वर्गिक सेनाओं का प्रभु परमेश्‍वर, यों कहता हूं : जिन विपत्तियों की घोषणा मैंने की थी, वे सब मैं यहूदा प्रदेश की जनता और यरूशलेम के निवासियों पर ला रहा हूं। मैंने इन लोगों को अपना सन्‍देश सुनाया था, लेकिन इन्‍होंने नहीं सुना। मैंने इन को पुकारा, किन्‍तु इन्‍होंने मेरी पुकार का उत्तर नहीं दिया।’


‘हे प्रभु, क्‍या तू सच्‍चाई को नहीं देखता? देख, तूने उनको मारा, किन्‍तु उन्‍हें पीड़ा का अनुभव ही नहीं हुआ! तूने उनका संहार किया, फिर भी उन्‍होंने इससे पाठ नहीं सीखा! उन्‍होंने अपना हृदय चट्टान से अधिक कठोर बना लिया, उन्‍होंने पश्‍चात्ताप करने से इन्‍कार कर दिया।’


‘ओ मानव, तू यरूशलेम से यह कह: तू परती भूमि है, जिस पर वर्षा नहीं हुई। प्रभु के कोप-दिवस पर तुझ पर वर्षा नहीं हुई।


ओ यरूशलेम नगरी! यह जंग तेरी कामुकता है, जो गन्‍दा मैल है। मैंने तुझसे यह अशुद्धता, यह कामुकता छुड़वाने की बार-बार कोशिश की; पर मैं अपने प्रयत्‍न में सफल नहीं हुआ! तू शुद्ध नहीं हुई। अत: अब, जब तक मैं तुझे दण्‍ड देकर अपना क्रोध शान्‍त न कर लूंगा, तब तक तू शुद्ध न होगी।


इन्‍होंने मेरा अनुसरण करना छोड़ दिया है। ये मुझ-प्रभु की खोज नहीं करते; ये मुझसे विमुख हो गए हैं; ये मेरी इच्‍छा जानने के लिए मेरे पास नहीं आते।’


पूरा धर्मग्रन्‍थ परमेश्‍वर की प्रेरणा से लिखा गया है। वह शिक्षा देने के लिए, भ्रान्‍त धारणाओं का खण्‍डन करने के लिए, जीवन के सुधार के लिए और सदाचरण का प्रशिक्षण देने के लिए उपयोगी है,


इसलिए हम अपने दोषी अंत:करण से शुद्ध होने के लिए हृदय पर छिड़काव कर और अपने शरीर को स्‍वच्‍छ जल से धो कर निष्‍कपट हृदय से तथा पूर्ण विश्‍वास के साथ परमेश्‍वर के पास आएं।


हमारे पर का पालन करें:

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