यहोवा को इस बात का दुःख हुआ, कि मैंने पृथ्वी पर मनुष्यों को क्यों बनाया? यहोवा इस बात से बहुत दुःखी हुआ।
निर्गमन 32:14 - पवित्र बाइबल इसलिए यहोवा ने लोगों के लिए अफ़सोस किया। यहोवा ने वह नहीं किया जो उसने कहा कि वह करेगा अर्थात् लोगों को नष्ट नहीं किया। Hindi Holy Bible तब यहोवा अपनी प्रजा की हानि करने से जो उस ने कहा था पछताया॥ पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) अत: अपने लोगों की जो हानि प्रभु करने वाला था, उसका विचार उसने छोड़ दिया। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) तब यहोवा अपनी प्रजा की हानि करने से जो उसने कहा था पछताया। नवीन हिंदी बाइबल तब यहोवा ने अपने लोगों पर विपत्ति भेजने की जो बात कही थी, उस विचार को बदल दिया। सरल हिन्दी बाइबल यह सुनकर याहवेह ने पछताया और अपने लोगों पर वह विपत्ति न लाई, जिसकी उन्होने धमकी दी थी. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 तब यहोवा अपनी प्रजा की हानि करने से जो उसने कहा था पछताया। |
यहोवा को इस बात का दुःख हुआ, कि मैंने पृथ्वी पर मनुष्यों को क्यों बनाया? यहोवा इस बात से बहुत दुःखी हुआ।
स्वर्गदूत ने अपनी भुजा यरूशलेम की ओर उसे नष्ट करने के लिये उठाई। किन्तु जो बुरी बातें हुई उनके लिये यहोवा बहुत दुःखी हुआ। यहोवा ने उस स्वर्गदूत से कहा जिसने लोगों को नष्ट किया, “बहुत हो चुका! अपनी भुजा नीचे करो।” यहोवा का स्वर्गदूत यबूसी अरौना के खलिहान के किनारे था।
परमेश्वर ने एक स्वर्गदूत को यरूशलेम को नष्ट करने के लिए भेजा। किन्तु जब स्वर्गदूत ने यरूशलेम को नष्ट करना आरम्भ किया तो यहोवा ने देखा और उसे दुख हुआ। इसलिये यहोवा ने इस्राएल को नष्ट न करने का निर्णय किया। यहोवा ने उस दूत से, जो नष्ट कर रहा था कहा, “रुक जाओ! यही पर्याप्त है!” यहोवा का दूत उस समय यबूसी ओर्नान की खलिहान के पास खड़ा था।
परमेश्वर उन लोगों को नष्ट करना चाहता था, किन्तु परमेश्वर के चुने दास मूसा ने उनको रोक दिया। परमेश्वर बहुत कुपित था किन्तु मूसा आड़े आया कि परमेश्वर उन लोगों का कहीं नाश न करे।
परमेश्वर ने सदा अपनी वाचा को याद रखा। परमेश्वर ने अपने महा प्रेम से उनको सदा ही सुख चैन दिया।
यदि तुझे मैंने सचमुच प्रसन्न किया है तो अपने निर्णय मुझे बता। तुझे मैं सचमुच जानना चाहता हूँ। तब मैं तुझे लगातार प्रसन्न रख सकता हूँ। याद रख कि ये सभी तेरे लोग हैं।”
किन्तु उस राष्ट्र के लोग अपने हृदय और जीवन को बदल सकते हैं। उस राष्ट्र के लोग बुरे काम करना छोड़ सकते हैं। तब मैं अपने इरादे को बदल दूँगा। मैं उस राष्ट्र पर विपत्ति ढाने की अपनी योजना का अनुसरण करना छोड़ सकता हूँ।
तुम लोगों को अपना जीवन बदलना चाहिये! तुम्हें अच्छे काम करना आरम्भ करना चाहिये। तुम्हें अपने यहोवा परमेश्वर की आज्ञा माननी चाहिये। यदि तुम ऐसा करोगे तो यहोवा अपना इरादा बदल देगा। यहोवा वे बुरी विपत्तियाँ नहीं लायेगा, जिनके घटित होने के बारे में उसने कहा।
“हिजकिय्याह यहूदा का राजा था और हिजकिय्याह ने मीकायाह को नहीं मारा। यहूदा के किसी व्यक्ति ने मीकायाह को नहीं मारा। तुम जानते हो हिजकिय्याह यहोवा का सम्मान करता था। वह यहोवा को प्रसन्न करना चाहता था। यहोवा कह चुका था कि वह यहूदा का बुरा करेगा। किन्तु हिजकिय्याह ने यहोवा से प्रार्थना की और यहोवा ने अपना इरादा बदल दिया। यहोवा ने वे बुरी विपत्तियाँ नहीं आने दीं। यदि हम लोग यिर्मयाह को चोट पहुँचायेंगे तो हम लोग अपने ऊपर अनेक विपत्तियाँ बुलाएंगे और वे विपत्तियाँ हम लोगों के अपने दोष के कारण होंगी।”
अरे वस्त्र नहीं, तुम अपने ही मन को फाड़ो। तुम लौट कर अपने परमेश्वर यहोवा के पास जाओ। वह दयालु और करूणापूर्ण है। उसको शीघ्र क्रोध नहीं आता है। उसका प्रेम महान है। सम्भव है जो क्रोध दण्ड उसने तुम्हारे लिये सोचा है, उसके लिये अपना मन बदल ले।
लोगों ने जो बातें की थी, उन्हें परमेश्वर ने देखा। परमेश्वर ने देखा कि लोगों ने बुरे कर्म करना बन्द कर दिया है। सो परमेश्वर ने अपना मन बदल लिया और जैसा करने की उसने योजना रची थी, वैसा नहीं किया। परमेश्वर ने लोगों को दण्ड नहीं दिया।
उसने यहोवा से शिकायत करते हुए कहा, “मैं जानता था कि ऐसा ही होगा! मैं तो अपने देश में था, और तूने ही मुझसे यहाँ आने को कहा था। उसी समय मुझे यह पता था कि तू इस पापी नगर के लोगों को क्षमा कर देगा। मैंने इसलिये तर्शीश भाग जाने की सोची थी। मैं जानता था कि तू एक दयालु परमेश्वर है! मैं जानता था कि तू करूणा दर्शाता है और लोगों को दण्ड देना नहीं चाहता! मुझे पता था कि तू करूणा से पूर्ण है! मुझे ज्ञान था कि यदि इन लोगों ने पाप करना छोड़ दिया तो तू इनके विनाश की अपनी योजनाओं को बदल देगा।
“मैं पर्वत पर पहली बार की तरह चालीस दिन और चालीस रात रुका रहा। यहोवा ने उस समय भी मेरी बातें सुनीं। यहोवा ने तुम लोगों को नष्ट न करने का निश्चय किया।
“यहोवा न्याय करेगा अपने जन का। वे उसके सेवक हैं, वह दयालु होगा। वह उसके बल को मिटा देगा वह उन सभी स्वतन्त्र और दासों को होता देखेगा असहाय।
इस्राएल के शत्रुओं ने कई बार लोगों के साथ बुरा किया। इसलिए इस्राएल के लोग सहायता के लिये चिल्लाते थे और हर बार यहोवा को लोगों के लिए दुःख होता था। हर बार वह शत्रुओं से लोगों की रक्षा के लिये एक न्यायाधीश भेजता था। इस प्रकार हर बार इस्राएल के लोग अपने शत्रुओं से बच जाते थे।
यहोवा ने कहा, “शाऊल ने मेरा अनुसरण करना छोड़ दिया है। इसलिए मुझे इसका अफसोस है कि मैंने उसे राजा बनाया। वह उन कामों को नहीं कर रहा है जिन्हें करने का आदेश मैं उसे देता हूँ।” शमूएल भड़क उठा और फिर उसने रात भर यहोवा की प्रार्थना की।