मेरा प्राण मानो चरबी और चिकने भोजन से तृप्त होगा, और मेरा मुँह जय जयकार करते हुए तेरी स्तुति करेगा।
सभोपदेशक 1:8 - नवीन हिंदी बाइबल सब बातें थकानेवाली हैं; मनुष्य इसका वर्णन नहीं कर सकता। न तो आँखें कभी देखने से और न कान कभी सुनने से तृप्त होते हैं। पवित्र बाइबल शब्द वस्तुओं का पूरा—पूरा वर्णन नहीं कर सकते। लेकिन लोग अपने विचार को व्यक्त नहीं कर पाते, सदा बोलते ही रहते हैं। शब्द हमारे कानों में बार—बार पड़ते हैं किन्तु उनसे हमारे कान कभी भी भरते नहीं हैं। हमारी आँखें भी, जो कुछ वे देखती हैं, उससे कभी अघाती नहीं हैं। Hindi Holy Bible सब बातें परिश्रम से भरी हैं; मनुष्य इसका वर्णन नहीं कर सकता; न तो आंखें देखने से तृप्त होती हैं, और न कान सुनने से भरते हैं। पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) सब बातें थकानेवाली हैं, मनुष्य उनका वर्णन नहीं कर सकता। आंखें देखकर भी तृप्त नहीं होतीं, और न कान सुनकर ही संतुष्ट होते हैं। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) सब बातें परिश्रम से भरी हैं; मनुष्य इसका वर्णन नहीं कर सकता; न तो आँखें देखने से तृप्त होती हैं, और न कान सुनने से भरते हैं। सरल हिन्दी बाइबल इतना थकाने वाला है सभी कुछ, कि मनुष्य के लिए इसका वर्णन संभव नहीं. आंखें देखने से तृप्त नहीं होतीं, और न कान सुनने से संतुष्ट. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 सब बातें परिश्रम से भरी हैं; मनुष्य इसका वर्णन नहीं कर सकता; न तो आँखें देखने से तृप्त होती हैं, और न कान सुनने से भरते हैं। |
मेरा प्राण मानो चरबी और चिकने भोजन से तृप्त होगा, और मेरा मुँह जय जयकार करते हुए तेरी स्तुति करेगा।
जैसे अधोलोक और विनाशलोक कभी तृप्त नहीं होते, वैसे ही मनुष्य की आँखें भी कभी तृप्त नहीं होतीं।
सब नदियाँ समुद्र में जा मिलती हैं, फिर भी समुद्र नहीं भरता। जिस स्थान से नदियाँ निकलती हैं, उसी स्थान को वे फिर लौट जाती हैं।
तब मैंने अपने हाथों द्वारा किए सब कार्यों पर विचार किया, और उस परिश्रम पर भी विचार किया जो मैंने उन्हें पूरा करने के लिए किया था; और देखो, वे सब व्यर्थ और वायु को पकड़ने के समान हैं, और संसार में उनसे कोई लाभ नहीं।
जिस मनुष्य से वह प्रसन्न होता है, उसे वह बुद्धि, ज्ञान और आनंद प्रदान करता है; परंतु पापी को वह धन का संचय करने और उसका ढेर लगाने का कार्य देता है कि उसे उस मनुष्य को दे जो परमेश्वर को प्रसन्न करता है। यह भी व्यर्थ और वायु को पकड़ने के समान है।
एक व्यक्ति है जिसका कोई नहीं है; उसका न तो कोई पुत्र है और न भाई, फिर भी उसके परिश्रम का अंत नहीं होता; और उसकी आँखें धन से संतुष्ट नहीं होतीं; और न वह यह सोचता है कि मैं किसके लिए परिश्रम करता हूँ और क्यों अपने को सुख से वंचित रखता हूँ? यह भी व्यर्थ और दुःखद कार्य है।