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रोमियों 6:23 - नवीन हिंदी बाइबल

क्योंकि पाप की मज़दूरी तो मृत्यु है, परंतु परमेश्‍वर का वरदान हमारे प्रभु मसीह यीशु में अनंत जीवन है।

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पवित्र बाइबल

क्योंकि पाप का मूल्य तो बस मृत्यु ही है जबकि हमारे प्रभु यीशु मसीह में अनन्त जीवन, परमेश्वर का सेंतमेतका वरदान है।

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Hindi Holy Bible

क्योंकि पाप की मजदूरी तो मृत्यु है, परन्तु परमेश्वर का वरदान हमारे प्रभु मसीह यीशु में अनन्त जीवन है॥

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

क्‍योंकि पाप का वेतन मृत्‍यु है, किन्‍तु परमेश्‍वर का वरदान है हमारे प्रभु येशु मसीह में शाश्‍वत जीवन।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

क्योंकि पाप की मजदूरी तो मृत्यु है, परन्तु परमेश्‍वर का वरदान हमारे प्रभु मसीह यीशु में अनन्त जीवन है।

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सरल हिन्दी बाइबल

क्योंकि पाप की मज़दूरी मृत्यु है, किंतु हमारे प्रभु येशु मसीह में परमेश्वर का वरदान अनंत जीवन है.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

क्योंकि पाप की मजदूरी तो मृत्यु है, परन्तु परमेश्वर का वरदान हमारे प्रभु मसीह यीशु में अनन्त जीवन है।

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रोमियों 6:23
41 क्रॉस रेफरेंस  

परंतु भले और बुरे के ज्ञान के वृक्ष का फल तू कभी न खाना, क्योंकि जिस दिन तू उसका फल खाएगा तू अवश्य मर जाएगा।”


तू तब तक अपने पसीने की रोटी खाया करेगा, जब तक कि मिट्टी में न मिल जाए, क्योंकि तू उसी में से निकाला गया है। तू तो मिट्टी है, और मिट्टी में फिर मिल जाएगा।”


जो धार्मिकता में स्थिर रहता है, वह जीवन की ओर जाता है; परंतु जो बुराई का पीछा करता है, वह मृत्यु की ओर बढ़ता है।


ये लोग अनंत दंड भोगेंगे, परंतु धर्मी अनंत जीवन में प्रवेश करेंगे।”


और मैं उन्हें अनंत जीवन देता हूँ; वे कभी भी नाश न होंगी और न कोई उन्हें मेरे हाथ से छीनेगा।


क्योंकि तूने उसे संपूर्ण मानव जाति पर अधिकार दिया है कि जिन्हें तूने उसे सौंपा है उन सब को वह अनंत जीवन दे;


जो पुत्र पर विश्‍वास करता है, अनंत जीवन उसका है। परंतु जो पुत्र की नहीं मानता, वह जीवन को नहीं देखेगा, बल्कि परमेश्‍वर का प्रकोप उस पर बना रहता है।


परंतु जो कोई उस जल में से पीएगा जो मैं उसे दूँगा, वह अनंत काल तक कभी प्यासा न होगा, बल्कि जो जल मैं उसे दूँगा, वह उसमें अनंत जीवन के लिए उमड़नेवाला जल का सोता बन जाएगा।”


अब काटनेवाले को मज़दूरी मिलती है और वह अनंत जीवन के लिए फल बटोरता है, ताकि बोनेवाला और काटनेवाला एक साथ मिलकर आनंद मनाएँ।


“मैं तुमसे सच-सच कहता हूँ कि जो मेरे वचन को सुनता और मेरे भेजनेवाले पर विश्‍वास करता है, अनंत जीवन उसका है, और उस पर दंड की आज्ञा नहीं होती, बल्कि वह मृत्यु में से निकलकर जीवन में प्रवेश कर चुका है।


नाश होनेवाले भोजन के लिए नहीं बल्कि अनंत जीवन तक रहनेवाले उस भोजन के लिए परिश्रम करो जो मनुष्य का पुत्र तुम्हें देगा, क्योंकि पिता परमेश्‍वर ने उसी पर मुहर लगाई है।”


क्योंकि मेरे पिताकी इच्छा यह है कि जो कोई पुत्र को देखे और उस पर विश्‍वास करे, वह अनंत जीवन पाए, और मैं उसे अंतिम दिन में जिला उठाऊँगा।”


शमौन पतरस ने उसे उत्तर दिया, “प्रभु, हम किसके पास जाएँगे? अनंत जीवन की बातें तो तेरे पास हैं,


यद्यपि वे परमेश्‍वर की विधि जानते हैं कि ऐसे कार्य करनेवाले मृत्यु के योग्य हैं, फिर भी न केवल वे उन्हें करते हैं बल्कि ऐसा करनेवालों का समर्थन भी करते हैं।


जो धीरज से भला कार्य करते हुए महिमा, आदर और अमरता को खोजते हैं उन्हें अनंत जीवन मिलेगा,


अतः जिस प्रकार एक मनुष्य के द्वारा पाप ने जगत में प्रवेश किया और पाप के द्वारा मृत्यु आई, और इस प्रकार मृत्यु सब मनुष्यों में फैल गई, क्योंकि सब ने पाप किया।


जब एक मनुष्य के अपराध के कारण मृत्यु ने उसी एक मनुष्य के द्वारा राज्य किया, तो जो बहुतायत से अनुग्रह और धार्मिकता का वरदान प्राप्‍त करते हैं, वे एक ही मनुष्य, अर्थात् यीशु मसीह के द्वारा जीवन में निश्‍चय ही राज्य करेंगे।


ताकि जिस प्रकार पाप ने मृत्यु में राज्य किया, उसी प्रकार अनुग्रह भी धार्मिकता से हमारे प्रभु यीशु मसीह के द्वारा अनंत जीवन के लिए राज्य करे।


क्या तुम नहीं जानते कि जिसकी आज्ञा मानने के लिए तुम अपने आपको दासों के समान सौंप देते हो, तो तुम उसी के दास बन जाते हो जिसकी तुम आज्ञा मानते हो—चाहे पाप के जिसका परिणाम मृत्यु है, या आज्ञाकारिता के जिसका परिणाम धार्मिकता है?


इसलिए जिन बातों से अब तुम लज्‍जित होते हो, उनसे तुम्हें उस समय क्या फल मिला? क्योंकि उन बातों का अंत तो मृत्यु है।


क्योंकि यदि तुम शरीर के अनुसार जीवन बिताते हो तो तुम्हें मरना ही है, परंतु यदि आत्मा के द्वारा देह के कार्यों को मार डालते हो तो जीवित रहोगे।


क्योंकि मुझे निश्‍चय है कि न तो मृत्यु और न जीवन, न स्वर्गदूत न प्रधानताएँ, न वर्तमान न भविष्य, न शक्‍तियाँ,


न ऊँचाई न गहराई, और न ही सृष्‍टि की कोई वस्तु हमें परमेश्‍वर के प्रेम से जो हमारे प्रभु मसीह यीशु में है, अलग कर सकेगी।


क्योंकि शरीर पर मन लगाना तो मृत्यु है, परंतु आत्मा पर मन लगाना जीवन और शांति है।


परंतु जितने व्यवस्था के कार्यों पर निर्भर रहते हैं, वे शाप के अधीन हैं, क्योंकि लिखा है : शापित है वह जो व्यवस्था की पुस्तक में लिखी हुई सब बातों का पालन नहीं करता।


उस अनंत जीवन की आशा में जिसकी प्रतिज्ञा परमेश्‍वर ने, जो झूठ नहीं बोल सकता, सनातन काल से की है,


फिर अभिलाषा गर्भवती होकर पाप को जन्म देती है, और पाप बढ़कर मृत्यु को उत्पन्‍न‍ करता है।


जो प्रतिज्ञा उसने स्वयं हमसे की है वह अनंत जीवन है।


परंतु डरपोकों, अविश्‍वासियों, घृणितों, हत्यारों, व्यभिचारियों, जादू-टोना करनेवालों, मूर्तिपूजकों और सब झूठों का भाग आग और गंधक से जलती हुई झील में होगा, जो दूसरी मृत्यु है।”