पुत्र का सम्मान करो, ऐसा न हो कि वह क्रोध करे, और तुम मार्ग ही में नष्ट हो जाओ, क्योंकि क्षण भर में उसका क्रोध भड़कने पर है। क्या ही धन्य हैं वे सब जो उसकी शरण में आते हैं।
यूहन्ना 9:35 - नवीन हिंदी बाइबल जब यीशु ने सुना कि उन्होंने उसे बाहर निकाल दिया है, तो उसने उससे मिलकर कहा,“क्या तू मनुष्यके पुत्र पर विश्वास करता है?” पवित्र बाइबल यीशु ने सुना कि यहूदी नेताओं ने उसे धकेल कर बाहर निकाल दिया है तो उससे मिलकर उसने कहा, “क्या तू मनुष्य के पुत्र में विश्वास करता है?” Hindi Holy Bible यीशु ने सुना, कि उन्होंने उसे बाहर निकाल दिया है; और जब उसे भेंट हुई तो कहा, कि क्या तू परमेश्वर के पुत्र पर विश्वास करता है? पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) येशु ने सुना कि फरीसियों ने उसे बाहर निकाल दिया है; इसलिए मिलने पर उन्होंने उससे कहा, “क्या तुम मानव-पुत्र में विश्वास करते हो?” पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) यीशु ने सुना कि उन्होंने उसे बाहर निकाल दिया है, और जब उससे भेंट हुई तो कहा, “क्या तू परमेश्वर के पुत्र पर विश्वास करता है?” सरल हिन्दी बाइबल जब मसीह येशु ने यह सुना कि यहूदियों ने उस व्यक्ति को सभागृह से बाहर निकाल दिया है तो उससे मिलने पर उन्होंने प्रश्न किया, “क्या तुम मनुष्य के पुत्र में विश्वास करते हो?” इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 यीशु ने सुना, कि उन्होंने उसे बाहर निकाल दिया है; और जब उससे भेंट हुई तो कहा, “क्या तू परमेश्वर के पुत्र पर विश्वास करता है?” |
पुत्र का सम्मान करो, ऐसा न हो कि वह क्रोध करे, और तुम मार्ग ही में नष्ट हो जाओ, क्योंकि क्षण भर में उसका क्रोध भड़कने पर है। क्या ही धन्य हैं वे सब जो उसकी शरण में आते हैं।
मैं यहोवा के वचन का प्रचार करूँगा : उसने मुझसे कहा, “तू मेरा पुत्र है, आज तू मुझसे उत्पन्न हुआ है।
तब परखनेवाले ने पास आकर उससे कहा, “यदि तू परमेश्वर का पुत्र है, तो कह दे, कि ये पत्थर रोटियाँ बन जाएँ।”
परमेश्वर को किसी ने कभी नहीं देखा; परमेश्वर अर्थात् एकलौता पुत्र जो पिता की गोद में है, उसी ने उसे प्रकट किया।
तो जिसे पिता ने पवित्र किया और जगत में भेजा, उसे तुम कहते हो, ‘तू परमेश्वर की निंदा कर रहा है।’ क्योंकि मैंने कहा, ‘मैं परमेश्वर का पुत्र हूँ’?
उसने उससे कहा, “हाँ प्रभु, मैं तो विश्वास कर चुकी हूँ कि तू परमेश्वर का पुत्र मसीह है जो जगत में आनेवाला था।”
परंतु ये इसलिए लिखे गए हैं, ताकि तुम विश्वास करो कि यीशु ही परमेश्वर का पुत्र मसीह है, और विश्वास करके उसके नाम से जीवन पाओ।
जो पुत्र पर विश्वास करता है, अनंत जीवन उसका है। परंतु जो पुत्र की नहीं मानता, वह जीवन को नहीं देखेगा, बल्कि परमेश्वर का प्रकोप उस पर बना रहता है।
इन बातों के बाद यीशु उससे मंदिर-परिसर में मिला और कहा,“देख, तू ठीक हो गया है। फिर से पाप मत करना, कहीं ऐसा न हो कि तेरे साथ इससे भी बुरा कुछ हो जाए।”
उसके माता-पिता ने ये बातें इसलिए कहीं क्योंकि वे यहूदियों से डरते थे; क्योंकि यहूदी पहले ही एकमत हो चुके थे कि यदि कोई यीशु को मसीह मानेगा तो वह आराधनालय से बाहर निकाल दिया जाएगा।
इस पर उन्होंने उससे कहा, “तू तो पूर्ण रूप से पापों में जन्मा है, और क्या तू हमें सिखाता है?” और उन्होंने उसे बाहर निकाल दिया।
मार्ग में चलते-चलते वे एक स्थान पर पहुँचे जहाँ पानी था, और खोजे ने कहा, “देख, यहाँ पानी है। अब मेरे बपतिस्मा लेने में क्या रुकावट है?”
[फिलिप्पुस ने कहा, “यदि तू पूरे मन से विश्वास करता है, तो ले सकता है।” उसने उत्तर दिया, “मैं विश्वास करता हूँ कि यीशु मसीह परमेश्वर का पुत्र है।”]
और पवित्रता के आत्मा के अनुसार मृतकों में से जी उठने के द्वारा सामर्थ्य के साथ परमेश्वर का पुत्र प्रमाणित हुआ,
फिर यशायाह बड़े साहस से कहता है : जो मुझे ढूँढ़ते नहीं थे, उन्होंने मुझे पा लिया, और जो मुझे पूछते नहीं थे, उन पर मैं प्रकट हो गया।
जो कोई यह मान लेता है कि यीशु परमेश्वर का पुत्र है, परमेश्वर उसमें बना रहता है और वह परमेश्वर में।
जो परमेश्वर के पुत्र पर विश्वास करता है, वह स्वयं में यह साक्षी रखता है। जो परमेश्वर पर विश्वास नहीं करता उसने उसे झूठा ठहरा दिया है, क्योंकि उसने उस साक्षी पर विश्वास नहीं किया जो परमेश्वर ने अपने पुत्र के विषय में दी है।
मैंने तुम्हें, जो परमेश्वर के पुत्र के नाम पर विश्वास करते हो, ये बातें इसलिए लिखीं कि तुम जानो कि अनंत जीवन तुम्हारा है।
हम जानते हैं कि परमेश्वर का पुत्र आया, और उसने हमें समझ दी है कि हम उस सत्य को जानें; और हम सत्य में हैं, अर्थात् उसके पुत्र यीशु मसीह में। वही सच्चा परमेश्वर और अनंत जीवन है।
संसार पर जय पानेवाला कौन है? केवल वह जो यह विश्वास करता है कि यीशु ही परमेश्वर का पुत्र है।
इसलिए जब मैं आऊँगा, तो जो कार्य वह करता है, अर्थात् हमारे विषय में बुरी-बुरी बातें बकना, उनका स्मरण दिलाऊँगा। उसे इससे भी संतोष नहीं, वह भाइयों को स्वीकार नहीं करता, और जो करना भी चाहते हैं उन्हें रोकता है और कलीसिया से निकाल देता है।