जैसे सिंह झाड़ी में घात लगाए रहता है, वैसे ही वह छिपकर असहाय को पकड़ने के लिए घात लगाए रहता है; और जब असहाय मनुष्य उसके जाल में फँस जाता है, तो वह उसे पकड़ लेता है।
भजन संहिता 38:12 - नवीन हिंदी बाइबल मेरे प्राण के खोजी मेरे लिए जाल बिछाते हैं, और मेरी हानि चाहनेवालों ने मुझे नष्ट करने की धमकी दी है। वे दिन भर दुष्टता की युक्तियाँ रचते हैं। पवित्र बाइबल मेरे शत्रु मेरी निन्दा करते हैं। वे झूठी बातों और प्रतिवादों को फैलाते रहते हैं। मेरे ही विषय में वे हरदम बात चीत करते रहते हैं। Hindi Holy Bible मेरे प्राण के ग्राहक मेरे लिये जाल बिछाते हैं, और मेरी हानि के यत्न करने वाले दुष्टता की बातें बोलते, और दिन भर छल की युक्ति सोचते हैं। पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) मेरे प्राण के खोजी जाल फैलाते हैं; मुझे हानि पहुंचानेवाले मेरे विनाश की चर्चा करते हैं; वे दिन भर छल-कपट की बातें सोचते हैं। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) मेरे प्राण के ग्राहक मेरे लिये जाल बिछाते हैं, और मेरी हानि का यत्न करनेवाले दुष्टता की बातें बोलते, और दिन भर छल की युक्ति सोचते हैं। सरल हिन्दी बाइबल मेरे प्राणों के प्यासे लोगों ने मेरे लिए जाल बिछाया है, जिन्हें मेरी दुर्गति की कामना है; मेरे विनाश की योजना बना रहे हैं, वे सारे दिन छल की बुरी युक्ति रचते रहते हैं. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 मेरे प्राण के ग्राहक मेरे लिये जाल बिछाते हैं, और मेरी हानि का यत्न करनेवाले दुष्टता की बातें बोलते, और दिन भर छल की युक्ति सोचते हैं। |
जैसे सिंह झाड़ी में घात लगाए रहता है, वैसे ही वह छिपकर असहाय को पकड़ने के लिए घात लगाए रहता है; और जब असहाय मनुष्य उसके जाल में फँस जाता है, तो वह उसे पकड़ लेता है।
घमंडियों ने मेरे लिए फंदा और रस्से लगाए हैं, और मार्ग के किनारे जाल बिछाया है; उन्होंने मेरे लिए फंदे लगा रखे हैं। सेला।
क्योंकि वे मेल की बातें नहीं करते, बल्कि जो देश में शांति से रहते हैं उनके विरुद्ध वे छल की योजनाएँ बनाते हैं।
जो मेरे प्राण के खोजी हैं वे लज्जित और अपमानित हों! जो मेरी हानि की योजना बनाते हैं वे पीछे खदेड़े जाएँ और लज्जित हों!
क्योंकि परदेशी मेरे विरुद्ध उठ खड़े हुए हैं, और निर्दयी मनुष्य मेरे प्राण के पीछे पड़े हैं। वे परमेश्वर को अपने सम्मुख नहीं रखते। सेला।
क्योंकि तेरे भवन की धुन ने मुझे भस्म कर दिया है। जो निंदा वे तेरी करते हैं, वही मुझे सहनी पड़ी है।
दुःख भोगते-भोगते मेरी आँखें धुँधला गई हैं। हे यहोवा, मैंने तुझे प्रतिदिन पुकारा है; मैंने अपने हाथ तेरी ओर फैलाए हैं।
जब निर्धन मनुष्य के सब भाई उससे घृणा करते हैं तो अवश्य ही उसके मित्र भी उससे दूर होंगे! वह उन्हें बातों से मनाना तो चाहता है, पर वे नहीं मानते।