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भजन संहिता 119:1 - नवीन हिंदी बाइबल

क्या ही धन्य हैं वे जो चाल के खरे हैं, और यहोवा की व्यवस्था पर चलते हैं।

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पवित्र बाइबल

जो लोग पवित्र जीवन जीते हैं, वे प्रसन्न रहते हैं। ऐसे लोग यहोवा की शिक्षाओं पर चलते हैं।

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Hindi Holy Bible

क्या ही धन्य हैं वे जो चाल के खरे हैं, और यहोवा की व्यवस्था पर चलते हैं!

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

धन्‍य हैं वे जिनका आचरण निर्दोष है, जो प्रभु की व्‍यवस्‍था पर चलते हैं,

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

क्या ही धन्य हैं वे जो चाल के खरे हैं, और यहोवा की व्यवस्था पर चलते हैं!

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सरल हिन्दी बाइबल

कैसे धन्य हैं वे, जिनका आचार-व्यवहार निर्दोष है, जिनका आचरण याहवेह की शिक्षाओं के अनुरूप है.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

क्या ही धन्य हैं वे जो चाल के खरे हैं, और यहोवा की व्यवस्था पर चलते हैं!

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भजन संहिता 119:1
27 क्रॉस रेफरेंस  

मैं बुद्धिमानी से सिद्ध मार्ग पर चलूँगा। तू कब मेरे पास आएगा? मैं अपने घर में मन की खराई के साथ आचरण करूँगा।


मेरी आँखें देश के विश्‍वासयोग्य लोगों पर लगी रहेंगी कि वे मेरे साथ रहें; जो सिद्ध मार्ग पर चलता है वही मेरा सेवक होगा।


याह की स्तुति करो! क्या ही धन्य है वह मनुष्य जो यहोवा का भय मानता है, और उसकी आज्ञाओं से अति प्रसन्‍न रहता है।


क्या ही धन्य है वह जो यहोवा का भय मानता है, और उसके मार्गों पर चलता है!


जिनके हृदय कुटिल हैं उनसे यहोवा घृणा करता है, परंतु खरी चाल चलनेवालों से वह प्रसन्‍न‍ होता है।


धार्मिकता, खराई से चलनेवाले व्यक्‍ति की रक्षा करती है; परंतु दुष्‍टता के कारण पापी का नाश हो जाता है।


दर्शन के अभाव में लोग निरंकुश हो जाते हैं, पर जो व्यवस्था का पालन करता है वह धन्य होता है।


वे दोनों परमेश्‍वर की दृष्‍टि में धर्मी थे, और प्रभु की सारी आज्ञाओं और नियमों का पालन करने में निर्दोष थे।


उसने कहा,“हाँ, बल्कि अधिक धन्य वे हैं जो परमेश्‍वर का वचन सुनते और उसका पालन करते हैं।”


यीशु ने नतनएल को अपनी ओर आते हुए देखा और उसके विषय में कहा,“देखो, यह सचमुच इस्राएली है, इसमें छल कपट नहीं।”


यदि तुम इन बातों को जानते हो और यदि इनका पालन करते हो, तो तुम धन्य हो।


इस कारण मैं भी स्वयं परमेश्‍वर और मनुष्यों के सामने अपने विवेक को निर्दोष रखने का सदा प्रयत्‍न करता हूँ।


यह हमारा गर्व अर्थात् हमारे विवेक की साक्षी है कि हमने इस संसार में, विशेषकर तुम्हारे प्रति, शारीरिक ज्ञान के अनुसार नहीं बल्कि परमेश्‍वर के अनुग्रह के अनुसार, भक्‍तिपूर्ण खराई और सच्‍चाई से आचरण किया है।


परंतु जो स्वतंत्रता की सिद्ध व्यवस्था पर ध्यान देता और उस पर बना रहता है, वह सुनकर भूलनेवाला नहीं बल्कि उसका पालन करनेवाला होता है; और वह अपने कार्य के कारण आशिष पाएगा।


“धन्य हैं वे जो अपने वस्‍त्र धोते हैं , ताकि वे जीवन के वृक्ष के अधिकारी हों, और वे फाटकों से नगर में प्रवेश कर सकें।