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नीतिवचन 29:18 - नवीन हिंदी बाइबल

18 दर्शन के अभाव में लोग निरंकुश हो जाते हैं, पर जो व्यवस्था का पालन करता है वह धन्य होता है।

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पवित्र बाइबल

18 यदि कोई देश परमेश्वर की राह पर नहीं चलता तो उसे देश में शांति नहीं होगी। वह देश जो परमेश्वर की व्यवस्था पर चलता, आनन्दित रहेगा।

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Hindi Holy Bible

18 जहां दर्शन की बात नहीं होती, वहां लोग निरंकुश हो जाते हैं, और जो व्यवस्था को मानता है वह धन्य होता है।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

18 नबियों के दर्शन के अभाव में लोगों में प्रभु का डर नहीं रह जाता; किन्‍तु धन्‍य है वह मनुष्‍य जो व्‍यवस्‍था का पालन करता है।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

18 जहाँ दर्शन की बात नहीं होती, वहाँ लोग निरंकुश हो जाते हैं, और जो व्यवस्था को मानता है, वह धन्य होता है।

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सरल हिन्दी बाइबल

18 भविष्य के दर्शन के अभाव में लोग प्रतिबन्ध तोड़ फेंकते हैं; किंतु धन्य होता है वह, जो नियमों का पालन करता है.

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नीतिवचन 29:18
21 क्रॉस रेफरेंस  

क्या ही धन्य हैं वे जो न्याय पर चलते हैं, और हर समय धार्मिकता के कार्य करते हैं!


क्या ही धन्य हैं वे जो चाल के खरे हैं, और यहोवा की व्यवस्था पर चलते हैं।


क्या ही धन्य हैं वे जो उसकी नीतियों को मानते हैं, और संपूर्ण मन से उसे खोजते हैं।


उन्हीं से तेरा दास चिताया जाता है; उनका पालन करने से बड़ा प्रतिफल प्राप्‍त होता है।


हमें अपने चिह्‍न दिखाई नहीं देते; अब कोई भविष्यवक्‍ता नहीं रहा, और न हमारे बीच कोई जानता है कि यह दशा कब तक रहेगी।


जब मूसा ने देखा कि लोग निरंकुश हो गए हैं, (क्योंकि हारून ने लोगों को नियंत्रित नहीं रखा था और उसके कारण वे अपने शत्रुओं के बीच उपहास का पात्र बन गए थे)


जो आज्ञा का पालन करता है, वह अपने प्राण की रक्षा करता है; परंतु जो अपने चाल-चलन पर ध्यान नहीं देता, वह मर जाएगा।


दास को केवल बातों के द्वारा सुधारा नहीं जा सकता, क्योंकि समझने पर भी वह नहीं मानता।


“इसलिए अब हे मेरे पुत्रो, मेरी सुनो; क्या ही धन्य हैं वे जो मेरे मार्गों पर चलते हैं।


जब यीशु ने भीड़ को देखा तो उसे लोगों पर तरस आया क्योंकि वे बिना चरवाहे की भेड़ों के समान व्याकुल और भटके हुए थे।


उसने कहा,“हाँ, बल्कि अधिक धन्य वे हैं जो परमेश्‍वर का वचन सुनते और उसका पालन करते हैं।”


यदि तुम इन बातों को जानते हो और यदि इनका पालन करते हो, तो तुम धन्य हो।


परंतु जो स्वतंत्रता की सिद्ध व्यवस्था पर ध्यान देता और उस पर बना रहता है, वह सुनकर भूलनेवाला नहीं बल्कि उसका पालन करनेवाला होता है; और वह अपने कार्य के कारण आशिष पाएगा।


“धन्य हैं वे जो अपने वस्‍त्र धोते हैं , ताकि वे जीवन के वृक्ष के अधिकारी हों, और वे फाटकों से नगर में प्रवेश कर सकें।


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