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मत्ती 7:2 - सत्यवेदः। Sanskrit NT in Devanagari

यतो यादृशेन दोषेण यूयं परान् दोषिणः कुरुथ, तादृशेन दोषेण यूयमपि दोषीकृता भविष्यथ, अन्यञ्च येन परिमाणेन युष्माभिः परिमीयते, तेनैव परिमाणेन युष्मत्कृते परिमायिष्यते।

अध्यायं द्रष्टव्यम्

अधिकानि संस्करणानि

সত্যৱেদঃ। Sanskrit Bible (NT) in Assamese Script

যতো যাদৃশেন দোষেণ যূযং পৰান্ দোষিণঃ কুৰুথ, তাদৃশেন দোষেণ যূযমপি দোষীকৃতা ভৱিষ্যথ, অন্যঞ্চ যেন পৰিমাণেন যুষ্মাভিঃ পৰিমীযতে, তেনৈৱ পৰিমাণেন যুষ্মৎকৃতে পৰিমাযিষ্যতে|

अध्यायं द्रष्टव्यम्

সত্যবেদঃ। Sanskrit Bible (NT) in Bengali Script

যতো যাদৃশেন দোষেণ যূযং পরান্ দোষিণঃ কুরুথ, তাদৃশেন দোষেণ যূযমপি দোষীকৃতা ভৱিষ্যথ, অন্যঞ্চ যেন পরিমাণেন যুষ্মাভিঃ পরিমীযতে, তেনৈৱ পরিমাণেন যুষ্মৎকৃতে পরিমাযিষ্যতে|

अध्यायं द्रष्टव्यम्

သတျဝေဒး၊ Sanskrit Bible (NT) in Burmese Script

ယတော ယာဒၖၑေန ဒေါၐေဏ ယူယံ ပရာန် ဒေါၐိဏး ကုရုထ, တာဒၖၑေန ဒေါၐေဏ ယူယမပိ ဒေါၐီကၖတာ ဘဝိၐျထ, အနျဉ္စ ယေန ပရိမာဏေန ယုၐ္မာဘိး ပရိမီယတေ, တေနဲဝ ပရိမာဏေန ယုၐ္မတ္ကၖတေ ပရိမာယိၐျတေ၊

अध्यायं द्रष्टव्यम्

satyavEdaH| Sanskrit Bible (NT) in Cologne Script

yatO yAdRzEna dOSENa yUyaM parAn dOSiNaH kurutha, tAdRzEna dOSENa yUyamapi dOSIkRtA bhaviSyatha, anyanjca yEna parimANEna yuSmAbhiH parimIyatE, tEnaiva parimANEna yuSmatkRtE parimAyiSyatE|

अध्यायं द्रष्टव्यम्

સત્યવેદઃ। Sanskrit Bible (NT) in Gujarati Script

યતો યાદૃશેન દોષેણ યૂયં પરાન્ દોષિણઃ કુરુથ, તાદૃશેન દોષેણ યૂયમપિ દોષીકૃતા ભવિષ્યથ, અન્યઞ્ચ યેન પરિમાણેન યુષ્માભિઃ પરિમીયતે, તેનૈવ પરિમાણેન યુષ્મત્કૃતે પરિમાયિષ્યતે|

अध्यायं द्रष्टव्यम्

satyavedaH| Sanskrit Bible (NT) in Harvard-Kyoto Script

yato yAdRzena doSeNa yUyaM parAn doSiNaH kurutha, tAdRzena doSeNa yUyamapi doSIkRtA bhaviSyatha, anyaJca yena parimANena yuSmAbhiH parimIyate, tenaiva parimANena yuSmatkRte parimAyiSyate|

अध्यायं द्रष्टव्यम्
अन्ये अनुवादाः



मत्ती 7:2
19 अन्तरसन्दर्भाः  

यदि यूयम् अन्येषाम् अपराधान् क्षमध्वे तर्हि युष्माकं स्वर्गस्थपितापि युष्मान् क्षमिष्यते;


अपरमपि कथितवान् यूयं यद् यद् वाक्यं शृणुथ तत्र सावधाना भवत, यतो यूयं येन परिमाणेन परिमाथ तेनैव परिमाणेन युष्मदर्थमपि परिमास्यते; श्रोतारो यूयं युष्मभ्यमधिकं दास्यते।


दानानिदत्त तस्माद् यूयं दानानि प्राप्स्यथ, वरञ्च लोकाः परिमाणपात्रं प्रदलय्य सञ्चाल्य प्रोञ्चाल्य परिपूर्य्य युष्माकं क्रोडेषु समर्पयिष्यन्ति; यूयं येन परिमाणेन परिमाथ तेनैव परिमाणेन युष्मत्कृते परिमास्यते।


अपरमपि व्याहरामि केनचित् क्षुद्रभावेन बीजेषूप्तेषु स्वल्पानि शस्यानि कर्त्तिष्यन्ते, किञ्च केनचिद् बहुदभवेन बीजेषूप्तेषु बहूनि शस्यानि कर्त्तिष्यन्ते।


यो दयां नाचरति तस्य विचारो निर्द्दयेन कारिष्यते, किन्तु दया विचारम् अभिभविष्यति।


परान् प्रति तया यद्वद् व्यवहृतं तद्वत् तां प्रति व्यवहरत, तस्याः कर्म्मणां द्विगुणफलानि तस्यै दत्त, यस्मिन् कंसे सा परान् मद्यम् अपाययत् तमेव तस्याः पानार्थं द्विगुणमद्येन पूरयत।