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मत्ती 7:3 - सत्यवेदः। Sanskrit NT in Devanagari

3 अपरञ्च निजनयने या नासा विद्यते, ताम् अनालोच्य तव सहजस्य लोचने यत् तृणम् आस्ते, तदेव कुतो वीक्षसे?

अध्यायं द्रष्टव्यम् प्रतिलिपि


अधिकानि संस्करणानि

সত্যৱেদঃ। Sanskrit Bible (NT) in Assamese Script

3 অপৰঞ্চ নিজনযনে যা নাসা ৱিদ্যতে, তাম্ অনালোচ্য তৱ সহজস্য লোচনে যৎ তৃণম্ আস্তে, তদেৱ কুতো ৱীক্ষসে?

अध्यायं द्रष्टव्यम् प्रतिलिपि

সত্যবেদঃ। Sanskrit Bible (NT) in Bengali Script

3 অপরঞ্চ নিজনযনে যা নাসা ৱিদ্যতে, তাম্ অনালোচ্য তৱ সহজস্য লোচনে যৎ তৃণম্ আস্তে, তদেৱ কুতো ৱীক্ষসে?

अध्यायं द्रष्टव्यम् प्रतिलिपि

သတျဝေဒး၊ Sanskrit Bible (NT) in Burmese Script

3 အပရဉ္စ နိဇနယနေ ယာ နာသာ ဝိဒျတေ, တာမ် အနာလောစျ တဝ သဟဇသျ လောစနေ ယတ် တၖဏမ် အာသ္တေ, တဒေဝ ကုတော ဝီက္ၐသေ?

अध्यायं द्रष्टव्यम् प्रतिलिपि

satyavEdaH| Sanskrit Bible (NT) in Cologne Script

3 aparanjca nijanayanE yA nAsA vidyatE, tAm anAlOcya tava sahajasya lOcanE yat tRNam AstE, tadEva kutO vIkSasE?

अध्यायं द्रष्टव्यम् प्रतिलिपि

સત્યવેદઃ। Sanskrit Bible (NT) in Gujarati Script

3 અપરઞ્ચ નિજનયને યા નાસા વિદ્યતે, તામ્ અનાલોચ્ય તવ સહજસ્ય લોચને યત્ તૃણમ્ આસ્તે, તદેવ કુતો વીક્ષસે?

अध्यायं द्रष्टव्यम् प्रतिलिपि

satyavedaH| Sanskrit Bible (NT) in Harvard-Kyoto Script

3 aparaJca nijanayane yA nAsA vidyate, tAm anAlocya tava sahajasya locane yat tRNam Aste, tadeva kuto vIkSase?

अध्यायं द्रष्टव्यम् प्रतिलिपि




मत्ती 7:3
10 अन्तरसन्दर्भाः  

तव निजलोचने नासायां विद्यमानायां, हे भ्रातः, तव नयनात् तृणं बहिष्यर्तुं अनुजानीहि, कथामेतां निजसहजाय कथं कथयितुं शक्नोषि?


हे कपटिन्, आदौ निजनयनात् नासां बहिष्कुरु ततो निजदृष्टौ सुप्रसन्नायां तव भ्रातृ र्लोचनात् तृणं बहिष्कर्तुं शक्ष्यसि।


ततोऽसौ फिरूश्येकपार्श्वे तिष्ठन् हे ईश्वर अहमन्यलोकवत् लोठयितान्यायी पारदारिकश्च न भवामि अस्य करसञ्चायिनस्तुल्यश्च न, तस्मात्त्वां धन्यं वदामि।


हे परदूषक मनुष्य यः कश्चन त्वं भवसि तवोत्तरदानाय पन्था नास्ति यतो यस्मात् कर्म्मणः परस्त्वया दूष्यते तस्मात् त्वमपि दूष्यसे, यतस्तं दूषयन्नपि त्वं तद्वद् आचरसि।


हे भ्रातरः, युष्माकं कश्चिद् यदि कस्मिंश्चित् पापे पतति तर्ह्यात्मिकभावयुक्तै र्युष्माभिस्तितिक्षाभावं विधाय स पुनरुत्थाप्यतां यूयमपि यथा तादृक्परीक्षायां न पतथ तथा सावधाना भवत।


अस्मान् अनुसरणं कुर्वन्तु : १.

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