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लूका 11:26 - सत्यवेदः। Sanskrit NT in Devanagari

26 तत्क्षणम् अपगत्य स्वस्मादपि दुर्म्मतीन् अपरान् सप्तभूतान् सहानयति ते च तद्गृहं पविश्य निवसन्ति। तस्मात् तस्य मनुष्यस्य प्रथमदशातः शेषदशा दुःखतरा भवति।

अध्यायं द्रष्टव्यम् प्रतिलिपि


अधिकानि संस्करणानि

সত্যৱেদঃ। Sanskrit Bible (NT) in Assamese Script

26 তৎক্ষণম্ অপগত্য স্ৱস্মাদপি দুৰ্ম্মতীন্ অপৰান্ সপ্তভূতান্ সহানযতি তে চ তদ্গৃহং পৱিশ্য নিৱসন্তি| তস্মাৎ তস্য মনুষ্যস্য প্ৰথমদশাতঃ শেষদশা দুঃখতৰা ভৱতি|

अध्यायं द्रष्टव्यम् प्रतिलिपि

সত্যবেদঃ। Sanskrit Bible (NT) in Bengali Script

26 তৎক্ষণম্ অপগত্য স্ৱস্মাদপি দুর্ম্মতীন্ অপরান্ সপ্তভূতান্ সহানযতি তে চ তদ্গৃহং পৱিশ্য নিৱসন্তি| তস্মাৎ তস্য মনুষ্যস্য প্রথমদশাতঃ শেষদশা দুঃখতরা ভৱতি|

अध्यायं द्रष्टव्यम् प्रतिलिपि

သတျဝေဒး၊ Sanskrit Bible (NT) in Burmese Script

26 တတ္က္ၐဏမ် အပဂတျ သွသ္မာဒပိ ဒုရ္မ္မတီန် အပရာန် သပ္တဘူတာန် သဟာနယတိ တေ စ တဒ္ဂၖဟံ ပဝိၑျ နိဝသန္တိ၊ တသ္မာတ် တသျ မနုၐျသျ ပြထမဒၑာတး ၑေၐဒၑာ ဒုးခတရာ ဘဝတိ၊

अध्यायं द्रष्टव्यम् प्रतिलिपि

satyavEdaH| Sanskrit Bible (NT) in Cologne Script

26 tatkSaNam apagatya svasmAdapi durmmatIn aparAn saptabhUtAn sahAnayati tE ca tadgRhaM pavizya nivasanti| tasmAt tasya manuSyasya prathamadazAtaH zESadazA duHkhatarA bhavati|

अध्यायं द्रष्टव्यम् प्रतिलिपि

સત્યવેદઃ। Sanskrit Bible (NT) in Gujarati Script

26 તત્ક્ષણમ્ અપગત્ય સ્વસ્માદપિ દુર્મ્મતીન્ અપરાન્ સપ્તભૂતાન્ સહાનયતિ તે ચ તદ્ગૃહં પવિશ્ય નિવસન્તિ| તસ્માત્ તસ્ય મનુષ્યસ્ય પ્રથમદશાતઃ શેષદશા દુઃખતરા ભવતિ|

अध्यायं द्रष्टव्यम् प्रतिलिपि

satyavedaH| Sanskrit Bible (NT) in Harvard-Kyoto Script

26 tatkSaNam apagatya svasmAdapi durmmatIn aparAn saptabhUtAn sahAnayati te ca tadgRhaM pavizya nivasanti| tasmAt tasya manuSyasya prathamadazAtaH zeSadazA duHkhatarA bhavati|

अध्यायं द्रष्टव्यम् प्रतिलिपि




लूका 11:26
11 अन्तरसन्दर्भाः  

ततस्ते तत् स्थानं प्रविश्य निवसन्ति, तेन तस्य मनुजस्य शेषदशा पूर्व्वदशातोतीवाशुभा भवति, एतेषां दुष्टवंश्यानामपि तथैव घटिष्यते।


कञ्चन प्राप्य स्वतो द्विगुणनरकभाजनं तं कुरुथ।


ततो गत्वा तद् गृहं मार्जितं शोभितञ्च दृष्ट्वा


अस्याः कथायाः कथनकाले जनतामध्यस्था काचिन्नारी तमुच्चैःस्वरं प्रोवाच, या योषित् त्वां गर्ब्भेऽधारयत् स्तन्यमपाययच्च सैव धन्या।


ततः परं येशु र्मन्दिरे तं नरं साक्षात्प्राप्याकथयत् पश्येदानीम् अनामयो जातोसि यथाधिका दुर्दशा न घटते तद्धेतोः पापं कर्म्म पुनर्माकार्षीः।


कश्चिद् यदि स्वभ्रातरम् अमृत्युजनकं पापं कुर्व्वन्तं पश्यति तर्हि स प्रार्थनां करोतु तेनेश्वरस्तस्मै जीवनं दास्यति, अर्थतो मृत्युजनकं पापं येन नाकारितस्मै। किन्तु मृत्युजनकम् एकं पापम् आस्ते तदधि तेन प्रार्थना क्रियतामित्यहं न वदामि।


अस्मान् अनुसरणं कुर्वन्तु : १.

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