तब मनहेम ने तप्पूह नगर पर आक्रमण किया। उसने नगर को तथा नगर निवासियों को नष्ट कर दिया। उसने तिर्साह नगर से तप्पूह नगर की सीमाओं तक समस्त क्षेत्र को उजाड़ दिया। लोगों ने तप्पूह नगर का प्रवेश-द्वार उसके लिए नहीं खोला था। इसलिए उसने उसको नष्ट कर दिया। उसने नगर की गर्भवती स्त्रियों के पेट चीर दिए।
‘जैसे निर्धारित पर्व-दिवस पर चारों ओर से लोग एकत्र होते हैं, वैसे ही तूने मुझको आतंकित करनेवालों को सब ओर से बुलाया। प्रभु के प्रकोप-दिवस पर एक भी बचकर भाग न सका, कोई भी जीवित न रहा। जिनको मैंने गोद में लिया था, जिनका मैंने लालन-पालन किया था, उनको मेरे शत्रु ने खत्म कर दिया।’
और उस से कह : ओ सोर, तू समुद्र के प्रवेश-द्वार पर स्थित है। समुद्रतटीय देशों से तेरा व्यापारिक सम्बन्ध है। स्वामी-प्रभु तुझसे यों कहता है : ‘ओ सोर, तूने यह कहा है, कि तू सर्वांग सुन्दर है।
अब तुम्हारे नगरों में युद्ध का स्वर उठेगा; तुम्हारे किले खण्डहर हो जाएंगे, जैसे शल्मान ने युद्ध के दिन बेत-अर्वेल को नष्ट किया था, मांएं अपने बच्चों के साथ मौत के घाट उतारी गई थीं।
सामरी राज्य ने अपने परमेश्वर से विद्रोह किया था, अत: उसे अपने कुकर्म क फल भुगतना पड़ेगा। सामरी राज्य के निवासी तलवार से मौत के घाट उतारे जाएंगे, शत्रु उनके बच्चों को भूमि पर पटकेंगे, वे गर्भवती स्त्रियों का पेट चीरेंगे।
जैसे रीछनी अपना बच्चा छिनने पर शिकारी पर टूटती है, वैसे ही मैं तुम पर टूट पड़ूंगा और तुम्हारा कलेजा फाड़ डालूंगा। मैं सिंह के समान तुम्हें खा जाऊंगा, जंगली जानवर के सदृश तुम्हें चीर-फाड़ दूंगा।
एफ्रइम का वृक्ष कट गया, उसकी जड़ें सूख गईं। अब उसमें फल नहीं लगेगा। यदि एफ्रइम सन्तान उत्पन्न करेगा भी तो मैं उसके गर्भ के प्रिय फलों का नाश कर दूंगा।
अत: प्रभु यों कहता है: तेरी पत्नी इस नगर में वेश्या बनेगी। तेरे पुत्रों और पुत्रियों का तलवार से वध किया जाएगा। तेरी भूमि को डोरी से नापकर आपस में बांट लिया जाएगा। तू स्वयं अपवित्र देश में मरेगा। इस्राएली निस्सन्देह अपने देश से निष्कासित होंगे।” ’