Biblia Todo Logo
ऑनलाइन बाइबिल
- विज्ञापनों -




लूका 14:13 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

13 पर जब तुम भोज दो, तो गरीबों, लूलों, लंगड़ों और अन्‍धों को बुलाओ।

अध्याय देखें प्रतिलिपि

पवित्र बाइबल

13 बल्कि जब तू कोई भोज दे तो दीन दुखियों, अपाहिजों, लँगड़ों और अंधों को बुला।

अध्याय देखें प्रतिलिपि

Hindi Holy Bible

13 परन्तु जब तू भोज करे, तो कंगालों, टुण्डों, लंगड़ों और अन्धों को बुला।

अध्याय देखें प्रतिलिपि

पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

13 परन्तु जब तू भोज करे तो कंगालों, टुण्डों, लंगड़ों और अन्धों को बुला।

अध्याय देखें प्रतिलिपि

नवीन हिंदी बाइबल

13 बल्कि जब तू भोज दे तो कंगालों, अपंगों, लंगड़ों और अंधों को आमंत्रित कर;

अध्याय देखें प्रतिलिपि

सरल हिन्दी बाइबल

13 किंतु जब तुम भोज का आयोजन करो तो निर्धनों, अपंगों, लंगड़ों तथा अंधों को आमंत्रित करो.

अध्याय देखें प्रतिलिपि




लूका 14:13
34 क्रॉस रेफरेंस  

उसने सब लोगों को, इस्राएली समाज के हर पुरुष और स्‍त्री को एक रोटी, खजूर और किशमिश की रोटी बांटी। तब सब लोग अपने-अपने घर चले गए।


यहूदा प्रदेश के राजा हिजकियाह ने बलि चढ़ाने के लिए धर्मसभा को एक हजार बछड़े और सात हजार भेड़ें दी थीं। उसके उच्‍चाधिकारियों ने धर्मसभा को एक हजार बछड़े और दस हजार भेड़ें दी थीं। बहुत बड़ी संख्‍या में पुरोहितों ने स्‍वयं को शुद्ध किया।


फिर उसने उनसे कहा, ‘अब जाओ, अच्‍छे से अच्‍छा भोजन खाओ, और मधु तथा मीठा रस पीओ। उन गरीबों को भोजन खिलाओ, जिनके घर में चूल्‍हा भी नहीं जलता है, क्‍योंकि आज का दिन हमारे प्रभु के लिए पवित्र है। उदास मत हो; क्‍योंकि प्रभु का आनन्‍द तुम्‍हारी शक्‍ति है।’


अत: लोग घर लौट गए। उन्‍होंने खाया-पीया, और गरीब लोगों को भोजन खिलाया। यों उन्‍होंने बड़ा आनन्‍द मनाया; क्‍योंकि जो बात उनसे कही गई थी, उसको उन्‍होंने समझ लिया था।


मरणासन्न व्यक्‍ति का आशीर्वाद मुझे मिलता था, निराश्रित विधवा का हृदय मेरी सहायता पाकर आनन्‍द से गाता था।


जो मनुष्‍य गरीब पर अत्‍याचार करता है, वह उसके सृजक का अपमान करता है; किन्‍तु दीन-दरिद्र पर दया करनेवाला उसके रचयिता का आदर करता है।


जिसकी आंखों में उदारता झलकती है, उसको प्रभु आशिष देता है, क्‍योंकि वह अपने हिस्‍से की रोटी गरीब को खिलाता है।


यदि भूखे व्यक्‍ति के लिए अपना भण्‍डार-गृह खोल दे, पीड़ित मनुष्‍य के प्राण को सन्‍तुष्‍ट करे, तो तेरे आनन्‍द का प्रकाश अंधकार में चमकेगा, और तेरे दु:ख का अंधकार दोपहर के सुखद प्रकाश में परिणत हो जाएगा।


अपना भोजन भूखों को खिलाना, बेघर गरीब को अपने घर में जगह देना, किसी को नंगे देखकर उसे कपड़े पहिनाना, अपने जरूरतमन्‍द भाई-बहिन से मुंह न छिपाना।


भीड़-की-भीड़ उनके पास आने लगी। वे लंगड़े, अन्‍धे, लूले, गूँगे और बहुत-से दूसरे रोगियों को अपने साथ लाये थे। उन्‍होंने उनको येशु के चरणों में रख दिया और येशु ने उन्‍हें स्‍वस्‍थ कर दिया।


सेवक सड़कों पर गये और भले-बुरे जो भी मिले, सब को एकत्र कर ले आए और विवाह-मण्‍डप अतिथियों से भर गया।


जो भीतर है, उसमें से दान कर दो, और देखो, सब कुछ तुम्‍हारे लिए शुद्ध हो जाएगा।


फिर येशु ने अपने निमन्‍त्रण देने वाले से कहा, “जब तुम दोपहर या रात का भोज दो, तब न तो अपने मित्रों को बुलाओ और न अपने भाइयों को, न अपने कुटुम्‍बियों को और न धनी पड़ोसियों को। कहीं ऐसा न हो कि वे भी तुम्‍हें निमन्‍त्रण दे कर बदला चुका दें।


तब तुम धन्‍य होगे; क्‍योंकि बदला चुकाने के लिए उनके पास कुछ नहीं होता और तुम्‍हें धार्मिकों के पुनरुत्‍थान के समय बदला चुका दिया जाएगा।”


सेवक ने लौट कर यह सब अपने स्‍वामी को बताया। तब घर के स्‍वामी ने क्रुद्ध होकर अपने सेवक से कहा, ‘शीघ्र ही नगर के बाजारों और गलियों में जा कर गरीबों, लूलों, अन्‍धों और लंगड़ों को यहाँ ले आओ।’


अत: पतरस उसी समय उनके साथ चल दिये। जब वह याफा पहुँचे, तो लोग उन्‍हें अटारी पर ले गये। वहां सब विधवाएं रोती हुई उनके चारों ओर आ खड़ी हुईं और वे कुरते और कपड़े उन्‍हें दिखाने लगीं, जिन्‍हें दोरकास ने उनके साथ रहते समय बनाए थे।


तब लेवीय जन, क्‍योंकि तेरे साथ उसका कोई अंश अथवा पैतृक सम्‍पत्ति नहीं है, तथा प्रवासी, पितृहीन और विधवा, जो तेरे नगर के भीतर रहते हैं, आएंगे और उसको खाकर तृप्‍त होंगे। तेरे इस कार्य के करण तेरा प्रभु परमेश्‍वर तेरे सब काम-धन्‍धों पर आशिष देगा।


तू अपने पुत्र-पुत्रियों, सेवक-सेविकाओं, तथा तेरे नगर में रहने वाले लेवीय जन, तेरे मध्‍य में रहने वाले प्रवासियों, पितृहीनों, और विधवाओं के साथ, अपने प्रभु परमेश्‍वर के सम्‍मुख उस स्‍थान में आनन्‍द मनाना, जिसको तेरा प्रभु परमेश्‍वर स्‍वयं चुनेगा और अपने नाम को वहां प्रतिष्‍ठित करेगा।


तू अपने पुत्र-पुत्रियों, सेवक-सेविकाओं, तथा तेरे नगर में रहने वाले लेवीय जन, प्रवासियों, पितृहीनों और विधवाओं के साथ पर्व में आनन्‍द मनाना।


धर्माध्‍यक्ष को चाहिए कि वह अनिन्‍दनीय, पत्‍नीव्रती, संयमी, समझदार, भद्र, अतिथिप्रेमी और कुशल शिक्षक हो।


और अपने भले कामों के कारण नेकनाम हो, जिसने अपने बच्‍चों का अच्‍छा पालन-पोषण किया हो, अतिथियों की सेवा की हो, सन्‍तों के पैर धोये हों, दीन-दुखियों की सहायता की हो, अर्थात् हर प्रकार के परोपकार में लगी रही हो।


वह अतिथि-प्रेमी, हितैषी, समझदार, न्‍यायी, प्रभुभक्‍त और संयमी हो।


भाई! मुझे यह जान कर बड़ा आनन्‍द हुआ और सान्‍त्‍वना मिली कि तुमने अपने भ्रातृप्रेम द्वारा संतों का हृदय हरा कर दिया है।


आप लोग आतिथ्‍य-सत्‍कार भूलें नहीं, क्‍योंकि इसी के कारण कुछ लोगों ने अनजाने ही अपने यहाँ स्‍वर्गदूतों का सत्‍कार किया है।


हमारे पर का पालन करें:

विज्ञापनों


विज्ञापनों