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रोमियों 6:21 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

21 उस समय आप को उन कर्मों से क्‍या लाभ हुआ? अब उनके कारण आप को लज्‍जा होती है; क्‍योंकि उनका परिणाम मृत्‍यु है।

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पवित्र बाइबल

21 और देखो उस समय तुम्हें कैसा फल मिला? जिसके लिए आज तुम शर्मिन्दा हो, जिसका अंतिम परिणाम मृत्यु है।

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Hindi Holy Bible

21 सो जिन बातों से अब तुम लज्ज़ित होते हो, उन से उस समय तुम क्या फल पाते थे?

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

21 अत: जिन बातों से अब तुम लज्जित होते हो, उनसे उस समय तुम क्या फल पाते थे? क्योंकि उनका अन्त तो मृत्यु है।

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नवीन हिंदी बाइबल

21 इसलिए जिन बातों से अब तुम लज्‍जित होते हो, उनसे तुम्हें उस समय क्या फल मिला? क्योंकि उन बातों का अंत तो मृत्यु है।

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सरल हिन्दी बाइबल

21 इसलिये जिनके लिए तुम आज लज्जित हो, उन सारे कामों से तुम्हें कौन सा लाभांश उपलब्ध हुआ? क्योंकि उनका अंत तो मृत्यु है.

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रोमियों 6:21
46 क्रॉस रेफरेंस  

राजा ने पुरोहित एबयातर से कहा, ‘तुम अनातोत नगर में अपनी जागीर को चले जाओ। तुम मृत्‍यु-दण्‍ड के योग्‍य हो! किन्‍तु मैं इस समय तुम्‍हें मृत्‍यु-दण्‍ड नहीं दूंगा, क्‍योंकि तुम मेरे पिता दाऊद के सामने प्रभु परमेश्‍वर की मंजूषा उठाकर चलते थे। तुमने मेरे पिता के साथ उनकी दु:ख-तकलीफों को भोगा है।’


‘हे मेरे परमेश्‍वर, मैं तेरी ओर अपनी आंखें नहीं उठा सकता, मैं लज्‍जित हूं; हमारे अपराधों का ढेर लग गया है, हमारे दुष्‍कर्म आकाश को छूने लगे हैं।


मनुष्‍य लोगों के सम्‍मुख गीत गाता है, और यह कहता है, “मैंने पाप किया था, मैंने उचित कार्य को अनुचित बना दिया था, तो भी मुझे इस अधर्म का दण्‍ड नहीं दिया गया।


‘प्रभु, मैं एक तुच्‍छ मनुष्‍य हूँ, मैं तुझे क्‍या उत्तर दे सकता हूँ? मैंने अपने ओंठ सिल लिये हैं।


अत: मुझे अपने ऊपर ग्‍लानि होती है; मैं धूलि और राख में लेट कर पश्‍चात्ताप करता हूँ।’


किन्‍तु जब मैं परमेश्‍वर के पवित्र स्‍थान में गया, तब मैंने दुर्जनों का अन्‍त समझ लिया।


अत: तुम अपनी करनी का फल स्‍वयं भोगोगे; जो काम तुमने अपनी इच्‍छा से किए हैं, उनके फल से तुम अघा जाओगे।


एक ऐसा भी मार्ग है, जो मनुष्‍य को उचित प्रतीत होता है; किन्‍तु वह पथिक को मृत्‍यु के द्वार पर पहुंचाता है।


एक ऐसा भी मार्ग है जो मनुष्‍य को उचित प्रतीत होता है; किन्‍तु वह पथिक को मृत्‍यु के द्वार पर पहुंचाता है।


धार्मिक व्यक्‍तियों से यह कहो, ‘चिन्‍ता मत करो, तुम्‍हारा भला होगा, तुम अपने परिश्रम का फल खाओगे।’


उन्‍होंने बोया था गेहूं, पर काटे कांटे। उन्‍होंने खून-पसीना बहाया, किन्‍तु हाथ कुछ न आया। मुझ-प्रभु की क्रोधाग्‍नि के कारण वे अपनी फसल के लिए लज्‍जित होंगे।’


केवल मैं हृदय की जांच करता हूँ; मैं प्रभु, मनुष्‍य के मन को परखता हूँ, और हर एक मनुष्‍य को उसके आचरण के अनुकूल उसके कर्मों के फल के अनुसार पुरस्‍कार देता हूं।


अत: मैंने वर्षा रोक दी, वसंत ऋतु में होनेवाली वर्षा इस वर्ष नहीं हुई। फिर भी तुझे पाप की ग्‍लानि नहीं हुई। तेरी आंखों में व्‍यभिचार झलकता रहा!


तुझ से विमुख हो जाने के बाद मैं पछताया; जब मैं दुष्‍कर्म के अधीन हो गया तब मैंने छाती पीट कर विलाप किया। मैं अपनी जवानी के पापों का स्‍मरण कर लज्‍जित हो जाता हूं, शर्म से मेरा सिर झुक जाता है।”


जब वे घृणित कार्य करते हैं, तब क्‍या वे लज्‍जित होते हैं? नहीं, उनकी आंखों में शर्म-लज्‍जा का पानी मर गया है। दुष्‍कर्म करते समय पश्‍चात्ताप की भावना उनमें उभरती ही नहीं। इसलिए विनाश होनेवालों में वे भी नष्‍ट होंगे। जब मैं यरूशलेम के निवासियों को दण्‍ड दूंगा, तब नबी और पुरोहित भी ठोकर खाकर गिर जाएंगे।’ प्रभु की यह वाणी है।


यदि वे अपने कार्यों के लिए लज्‍जित होंगे, तब तू उनके सामने मेरे मन्‍दिर का सम्‍पूर्ण चित्र अंकित करना: मन्‍दिर की योजना, बाहर-भीतर आने-जाने के मार्ग, उसका सम्‍पूर्ण आकार। उन्‍हें मन्‍दिर के रीति-रिवाज, और नियम-विधियां भी बताना। तू इन सब बातों को उनके सामने ही लिख लेना जिससे वे मन्‍दिर के समस्‍त नियम-कानूनों तथा धर्म-विधियों को स्‍मरण रखें, और आराधना में उनका पालन करें।


जो भूमि के नीचे कबर में सोए हुए हैं, उनमें से अनेक जाग उठेंगे : कुछ को शाश्‍वत जीवन प्राप्‍त होगा, कुछ को अपमान और स्‍थायी घृणा का पात्र बनना होगा।


वे परमेश्‍वर का यह निर्णय जानते हैं कि ऐसे कुकर्म करने वालों का उचित दण्‍ड मृत्‍यु है। फिर भी वे न केवल स्‍वयं ये ही कार्य करते हैं, बल्‍कि ऐसे कुकर्म करने वालों की प्रशंसा भी करते हैं।


यह बात विचारणीय है कि एक ही मनुष्‍य द्वारा संसार में पाप का प्रवेश हुआ और पाप द्वारा मृत्‍यु का। इस प्रकार मृत्‍यु सब मनुष्‍यों में फैल गयी, क्‍योंकि सब पापी हैं।


क्‍या आप यह नहीं समझते कि आप अपने को आज्ञाकारी दास के रूप में जिसके प्रति अर्पित करते हैं और जिसकी आज्ञा का पालन करते हैं, आप उसी के दास बन जाते हैं? यह दासता चाहे पाप की हो, जिसका परिणाम मृत्‍यु है; चाहे परमेश्‍वर की हो, जिसके आज्ञापालन का परिणाम धार्मिकता है।


क्‍योंकि पाप का वेतन मृत्‍यु है, किन्‍तु परमेश्‍वर का वरदान है हमारे प्रभु येशु मसीह में शाश्‍वत जीवन।


जब हम अपने शारीरिक स्‍वाभाव के अधीन थे, तो व्‍यवस्‍था से बल पाकर पापमय वासनाएँ हमारे अंगों में क्रियाशील थीं और मृत्‍यु के फल उत्‍पन्न करती थीं।


यदि आप शारीरिक स्‍वभाव के अनुसार ही जीवन बितायेंगे, तो अवश्‍य मर जायेंगे। लेकिन यदि आप आत्‍मा की प्रेरणा से शरीर की प्रवृत्तियों का दमन करेंगे, तो आप को जीवन प्राप्‍त होगा।


हम लोक-लज्‍जावश कुछ बातें छिपाना नहीं चाहते। हम न तो छल-कपट करते और न परमेश्‍वर का वचन विकृत करते हैं। हम प्रकट रूप से सत्‍य का प्रचार करते हैं। यही उन सब मनुष्‍यों के पास हमारी सिफारिश है, जो परमेश्‍वर के सामने हमारे विषय में निर्णय करना चाहते हैं।


आप देखते हैं कि आपने जो दु:ख परमेश्‍वर की इच्‍छानुसार स्‍वीकार किया, उससे आप में कितनी निष्‍ठा उत्‍पन्न हुई, अपनी सफाई देने की कितनी तत्‍परता, कितना रोष, कितनी आशंका, कितनी अभिलाषा, कितना उत्‍साह और न्‍याय चुकाने की कितनी इच्‍छा! इस प्रकार आपने इस मामले में हर तरह से निर्दोष होने का प्रमाण दिया है।


‘जिस व्यक्‍ति पर मृत्‍यु-दण्‍ड का आरोप है, उसे दो अथवा तीन व्यक्‍तियों की गवाही के आधार पर मृत्‍यु-दण्‍ड दिया जाएगा। एक गवाह की गवाही के आधार पर किसी को मृत्‍यु-दण्‍ड नहीं दिया जाएगा।


‘यदि किसी मनुष्‍य ने ऐसा पाप किया है, जो न्‍याय की दृष्‍टि से मृत्‍यु-दण्‍ड के योग्‍य है, और उस मनुष्‍य को मृत्‍यु-दण्‍ड दिया गया है, उसको वृक्ष से लटका दिया गया है,


उन लोगों का अन्‍त सर्वनाश है। वे भोजन को अपना ईश्‍वर बना लेते हैं और ऐसी बातों पर गर्व करते हैं, जिन पर लज्‍जा करनी चाहिए। उनका मन संसार की वस्‍तुओं में लगा हुआ है।


तो आप लोग विचार करें कि जो व्यक्‍ति परमेश्‍वर के पुत्र का तिरस्‍कार करता है, विधान के उस रक्‍त को तुच्‍छ समझता है जिस के द्वारा वह पवित्र किया गया था, और अनुग्रह के आत्‍मा का अपमान करता है, तो ऐसा व्यक्‍ति कितने घोर दण्‍ड के योग्‍य समझा जायेगा;


किन्‍तु यदि वह काँटे और ऊंटकटारे उगाती है, तो वह बेकार है। उस पर अभिशाप पड़ने वाला है और अन्‍त में उसे जलाया जायेगा।


वासना के गर्भ से पाप का जन्‍म होता है और पाप विकसित हो कर मृत्‍यु को जन्‍म देता है।


तो यह समझिए कि जो किसी पापी को कुमार्ग से वापस ले आता है, वह उसकी आत्‍मा को मृत्‍यु से बचाता है और बहुत-से पाप ढांप देता है।


क्‍योंकि न्‍याय का समय प्रारम्‍भ हो गया है और यह स्‍वयं परमेश्‍वर के परिवार से प्रारम्‍भ हो रहा है। यदि वह इस प्रकार हम से प्रारम्‍भ हो रहा है, तो अन्‍त में उन लोगों का क्‍या होगा, जो परमेश्‍वर के शुभ समाचार में विश्‍वास करना नहीं चाहते?


बच्‍चो! अब तुम उन में बने रहो, जिससे जब वह प्रकट हों, तो हमें पूरा भरोसा हो और उनके आगमन पर उनके सामने हमें लज्‍जित न होना पड़े।


क्‍योंकि उन्‍होंने सन्‍तों और नबियों का रक्‍त बहाया और तूने उन्‍हें रक्‍त पिलाया। वे अपनी करनी का फल भोग रहे हैं।”


इसके बाद मृत्‍यु और अधोलोक, दोनों को अग्‍निकुण्‍ड में डाल दिया गया। यह अग्‍निकुण्‍ड द्वितीय मृत्‍यु है।


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