तब राजा सुलैमान ने याजक एब्यातार से कहा, “मुझे तुमको मार डालना चाहिये, किन्तु मैं तुम्हें अपने घर अनातोत में लौट जाने देता हूँ। मैं तुम्हें अभी मारूँगा नहीं क्योंकि मेरे पिता दाऊद के साथ चलते समय तुमने पवित्र सन्दूक को ले चलने में सहायता की थी जब तुम मेरे पिता दाऊद के साथ थे और मैं जानता हूँ कि उन सभी विपत्तियों के समय में मेरे पिता के समान तुमने भी हाथ बटाया।”
तब मैंने यह प्रार्थना की: “हे मेरे परमेश्वर मैं इतना लज्जित और संकोच में हूँ कि तेरी ओर मेरी आँखें नहीं उठतीं, हे मेरे परमेश्वर! मैं लाज्जित हूँ क्योंकि हमारे पाप हमारे सिर से ऊपर चले गये हैं। हमारे अपराधों की ढेरी इतनी ऊँची हो गई है कि वह आकाश तक पहुँच चुकी है।
लोग गेहूँ बोएंगे, किन्तु वे केवल काँटे ही काटेंगे। वे अत्याधिक थकने तक काम करेंगे, किन्तु वे अपने सारे कामों के बदले कुछ भी नहीं पाएंगे। वे अपनी फसल पर लज्जित होंगे। यहोवा के क्रोध ने यह सब कुछ किया।”
किन्तु मैं यहोवा हूँ और मैं व्यक्ति के हृदय को जान सकता हूँ। मैं व्यक्ति के दिमाग की जाँच कर सकता हूँ। अत: मैं निर्णय कर सकता हूँ कि हर एक व्यक्ति को क्या मिलना चाहिये मैं हर एक व्यक्ति को उसके लिये ठीक भुगतान कर सकता हूँ जो वह करता है।
हे यहोवा, मैं तुझसे भटक गया था। किन्तु मैंने जो बुरा किया उससे शिक्षा ली। अत: मैंने अपने हृदय और जीवन को बदल डाला। जो मैंने युवाकाल में मूर्खतापूर्ण काम किये उनके लिये मैं परेशान और लज्जित हूँ।’”
उन लोगों को अपने किये बुरे कामों के लिये लज्जित होना चाहिये। किन्तु वे बिल्कुल लज्जित नहीं। उन्हें इतना भी ज्ञान नहीं कि उन्हें अपने पापों के लिये ग्लानि हो सके अत: वे अन्य सभी के साथ दण्ड पायेंगे। मैं उन्हें दण्ड दूँगा और जमीन पर फेंक दूँगा।’” ये बातें यहोवा ने कहीं।
वे उन बुरे कामों के लिये लज्जित होंगे जो उन्होंने किये हैं। उन्हें मन्दिर की आकृति समझने दो। उन्हें यह सीखने दो कि वह कैसे बनेगा, उसका प्रवेश—द्वार, निकास—द्वार और इस पर की सारी रूपाकृतियाँ कहाँ होंगी। उन्हें इसके सभी नियमों और विधियों के बारे में सिखाओं और इन्हें लिखो जिससे वे सभी इन्हें देख सकें। तब वे मन्दिर के सभी नियमों और विधियों का पालन करेंगे। तब वे यह सब कुछ कर सकते हैं।
धरती के वे असंख्य लोग जो मर चुके हैं और जिन्हें दफ़नाया जा चुका है, उठ खड़े होंगे और उनमें से कुछ अन्नत जीवन जीने के लिए उठ जायेंगे। किन्तु कुछ इसलिये जागेंगे कि उन्हें कभी नहीं समाप्त होने वाली लज्जा और घृणा प्राप्त होगी।
चाहे वे परमेश्वर की धर्मपूर्ण विधि को जानते हैं जो बताती है कि जो ऐसी बातें करते हैं, वे मौत के योग्य हैं, फिर भी वे न केवल उन कामों को करते है, बल्कि वैसा करनेवालों का समर्थन भी करते हैं।
क्या तुम नहीं जानते कि जब तुम किसी की आज्ञा मानने के लिए अपने आप को दास के रूप में उसे सौंपते हो तो तुम दास हो। फिर चाहे तुम पाप के दास बनो, जो तुम्हें मार डालेगा और चाहे आज्ञाकारिता के, जो तुम्हें धार्मिकता की तरफ ले जायेगी।
क्योंकि जब हम मानव स्वभाव के अनुसार जी रहे थे, हमारी पापपूर्ण वासनाएँ जो व्यवस्था के द्वारा आयी थीं, हमारे अंगों पर हावी थीं। ताकि हम कर्मों की ऐसी खेती करें जिसका अंत मौत में होता है।
हमने तो लज्जापूर्ण गुप्त कार्यों को छोड़ दिया है। हम कपट नहीं करते और न ही हम परमेश्वर के वचन में मिलावट करते हैं, बल्कि सत्य को सरल रूप में प्रकट करके लोगों की चेतना में परमेश्वर के सामने अपने आप को प्रशंसा के योग्य ठहराते हैं।
देखो। यह दुःख जिसे परमेश्वर ने दिया है, उसने तुममें कितना उत्साह जगा दिया है, अपने भोलेपन की कितनी प्रतिरक्षा, कितना आक्रोश, कितनी आकुलता, हमसे मिलने की कितनी बेचैनी, कितना साहस, पापी के प्रति न्याय चुकाने की कैसी भावना पैदा कर दी है। तुमने हर बात में यह दिखा दिया है कि इस बारे में तुम कितने निर्दोष थे।
किन्तु यदि एक ही गवाह यह कहता है कि उसने बुरा काम किया है तो उसे मृत्यु दण्ड नहीं दिया जाएगा। किन्तु यदि दो या तीन गवाह यह कहते हैं की यह सत्य है तो उस व्यक्ति को मार डालना चाहिए।
सोचो, वह मनुष्य कितने अधिक कड़े दण्ड का पात्र है, जिसने अपने पैरों तले परमेश्वर के पुत्र को कुचला, जिसने वाचा के उस लहू को, जिसने उसेपवित्र किया था, एक अपवित्र वस्तु माना और जिसने अनुग्रह की आत्मा का अपमान किया।
क्योंकि परमेश्वर के अपने परिवार से ही आरम्भ होकर न्याय प्रारम्भ करने का समय आ पहुँचा है। और यदि यह हमसे ही प्रारम्भ होता है तो जिन्होंने परमेश्वर के सुसमाचार का पालन नहीं किया है, उनका परिणाम क्या होगा?