‘तुम लोग जाओ, और मेरी ओर से तथा जनता की ओर से एवं समस्त यहूदा प्रदेश की ओर से इस धर्मपुस्तक के वचनों का अर्थ प्रभु से ज्ञात करो। प्रभु की महाक्रोधाग्नि हमारे प्रति भड़क उठी है; क्योंकि हमारे पूर्वजों ने इस धर्म-पुस्तक के आदेशों का पालन नहीं किया। उन्होंने हमारे निमित्त लिखे गए प्रभु के आदेशों के अनुसार कार्य नहीं किया।’
‘जैसे निर्धारित पर्व-दिवस पर चारों ओर से लोग एकत्र होते हैं, वैसे ही तूने मुझको आतंकित करनेवालों को सब ओर से बुलाया। प्रभु के प्रकोप-दिवस पर एक भी बचकर भाग न सका, कोई भी जीवित न रहा। जिनको मैंने गोद में लिया था, जिनका मैंने लालन-पालन किया था, उनको मेरे शत्रु ने खत्म कर दिया।’
उन्होंने सड़कों पर अपनी चांदी की मूर्तियां फेंक दी हैं। उनकी सोने की मूर्तियां अशुद्ध वस्तुएं हो गई हैं। ये सोना-चांदी की मूर्तियाँ उनके प्रभु के कोप-दिवस पर उनको संकट से नहीं बचा सकीं। वे उनकी भूख को तृप्त नहीं कर सकीं और न उनका पेट भर सकीं। वास्तव में ये मूर्तियां ही तो उनके अधर्म का कारण हैं।
प्रभु के प्रकोप-दिवस पर न उनका सोना, और न चांदी उन्हें प्रभु के प्रकोप से मुक्त कर सकेगी। प्रभु की ईष्र्या-अग्नि से सम्पूर्ण पृथ्वी भस्म हो जाएगी। वह पृथ्वी के समस्त निवासियों को अचानक पूर्णत: नष्ट कर देगा।
जो पुत्र में विश्वास करता है, उसे शाश्वत जीवन प्राप्त है। परन्तु जो पुत्र में विश्वास करने से इन्कार करता है, वह जीवन का दर्शन नहीं करेगा, परन्तु परमेश्वर का क्रोध उस पर बना रहता है।
शुभ समाचार में परमेश्वर की धार्मिकता, जो आदि से अन्त तक विश्वास पर आधारित है, प्रकट हो रही है, जैसा कि धर्मग्रन्थ में लिखा है : “धार्मिक मनुष्य विश्वास के द्वारा जीवन प्राप्त करेगा”
परन्तु जो व्यवस्था के कर्मकाण्ड पर निर्भर रहते हैं, वे शाप के अधीन हैं; क्योंकि लिखा है: “जो व्यक्ति व्यवस्था-ग्रन्थ में लिखी हुई सभी बातों का पालन नहीं करता रहता है, वह शापित है।”
तब व्यवस्था का प्रयोजन क्या है? जिस वंशज को प्रतिज्ञा दी गयी थी, उसके आने के समय तक व्यवस्था अपराधों के कारण जोड़ दी गयी थी। वह स्वर्गदूतों द्वारा मध्यस्थ के माध्यम से घोषित की गयी है।
राष्ट्रों को मारने के लिए उसके मुख से एक तेज तलवार निकल रही है। वह लोह-दण्ड से उन पर शासन करेगा और सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कोप-रूपी दाखरस का कुण्ड रौंदेगा।