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रोमियों 4:15 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

15 क्‍योंकि व्‍यवस्‍था का परिणाम परमेश्‍वर का प्रकोप है, जब कि व्‍यवस्‍था के अभाव में किसी आज्ञा का उल्‍लंघन नहीं होता।

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पवित्र बाइबल

15 लोगों द्वारा व्यवस्था का पालन नहीं किये जाने से परमेश्वर का क्रोध उपजता है किन्तु जहाँ व्यवस्था ही नहीं है वहाँ व्यवस्था का तोड़ना ही क्या?

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Hindi Holy Bible

15 व्यवस्था तो क्रोध उपजाती है और जहां व्यवस्था नहीं वहां उसका टालना भी नहीं।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

15 व्यवस्था तो क्रोध उपजाती है, और जहाँ व्यवस्था नहीं वहाँ उसका उल्‍लंघन भी नहीं।

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नवीन हिंदी बाइबल

15 क्योंकि व्यवस्था तो प्रकोप उत्पन्‍न‍ करती है, परंतु जहाँ व्यवस्था नहीं, वहाँ उसका उल्‍लंघन भी नहीं होता।

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सरल हिन्दी बाइबल

15 व्यवस्था क्रोध का पिता है किंतु जहां व्यवस्था है ही नहीं, वहां व्यवस्था का उल्लंघन भी संभव नहीं!

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रोमियों 4:15
26 क्रॉस रेफरेंस  

‘तुम लोग जाओ, और मेरी ओर से तथा जनता की ओर से एवं समस्‍त यहूदा प्रदेश की ओर से इस धर्मपुस्‍तक के वचनों का अर्थ प्रभु से ज्ञात करो। प्रभु की महाक्रोधाग्‍नि हमारे प्रति भड़क उठी है; क्‍योंकि हमारे पूर्वजों ने इस धर्म-पुस्‍तक के आदेशों का पालन नहीं किया। उन्‍होंने हमारे निमित्त लिखे गए प्रभु के आदेशों के अनुसार कार्य नहीं किया।’


अत: पश्‍चात्ताप प्रकट करने के लिए टाट के वस्‍त्र पहनो; शोक मनाओ, और रोओ। मुझ-प्रभु की क्रोधाग्‍नि तुम से अभी दूर नहीं हुई है।’


‘जैसे निर्धारित पर्व-दिवस पर चारों ओर से लोग एकत्र होते हैं, वैसे ही तूने मुझको आतंकित करनेवालों को सब ओर से बुलाया। प्रभु के प्रकोप-दिवस पर एक भी बचकर भाग न सका, कोई भी जीवित न रहा। जिनको मैंने गोद में लिया था, जिनका मैंने लालन-पालन किया था, उनको मेरे शत्रु ने खत्‍म कर दिया।’


उन्‍होंने सड़कों पर अपनी चांदी की मूर्तियां फेंक दी हैं। उनकी सोने की मूर्तियां अशुद्ध वस्‍तुएं हो गई हैं। ये सोना-चांदी की मूर्तियाँ उनके प्रभु के कोप-दिवस पर उनको संकट से नहीं बचा सकीं। वे उनकी भूख को तृप्‍त नहीं कर सकीं और न उनका पेट भर सकीं। वास्‍तव में ये मूर्तियां ही तो उनके अधर्म का कारण हैं।


प्रभु के प्रकोप-दिवस पर न उनका सोना, और न चांदी उन्‍हें प्रभु के प्रकोप से मुक्‍त कर सकेगी। प्रभु की ईष्‍र्या-अग्‍नि से सम्‍पूर्ण पृथ्‍वी भस्‍म हो जाएगी। वह पृथ्‍वी के समस्‍त निवासियों को अचानक पूर्णत: नष्‍ट कर देगा।


अब तुम, जो पापियों की सन्‍तान हो, इस्राएल के प्रति प्रभु का क्रोध और अधिक भड़काने के लिए अपने बाप-दादा के स्‍थान पर उठ खड़े हुए हो।


“यदि मैं नहीं आता और उन्‍हें शिक्षा नहीं देता, तो उन्‍हें पाप नहीं लगाता, परन्‍तु अब तो उनके पास अपने पाप का कोई बहाना नहीं।


जो पुत्र में विश्‍वास करता है, उसे शाश्‍वत जीवन प्राप्‍त है। परन्‍तु जो पुत्र में विश्‍वास करने से इन्‍कार करता है, वह जीवन का दर्शन नहीं करेगा, परन्‍तु परमेश्‍वर का क्रोध उस पर बना रहता है।


शुभ समाचार में परमेश्‍वर की धार्मिकता, जो आदि से अन्‍त तक विश्‍वास पर आधारित है, प्रकट हो रही है, जैसा कि धर्मग्रन्‍थ में लिखा है : “धार्मिक मनुष्‍य विश्‍वास के द्वारा जीवन प्राप्‍त करेगा”


मूसा की व्‍यवस्‍था से पहले संसार में पाप था; किन्‍तु व्‍यवस्‍था के अभाव में पाप का लेखा नहीं रखा जाता है।


मृत्‍यु का डंक तो पाप है और पाप को व्‍यवस्‍था से बल मिलता है।


परन्‍तु जो व्‍यवस्‍था के कर्मकाण्‍ड पर निर्भर रहते हैं, वे शाप के अधीन हैं; क्‍योंकि लिखा है: “जो व्यक्‍ति व्‍यवस्‍था-ग्रन्‍थ में लिखी हुई सभी बातों का पालन नहीं करता रहता है, वह शापित है।”


तब व्‍यवस्‍था का प्रयोजन क्‍या है? जिस वंशज को प्रतिज्ञा दी गयी थी, उसके आने के समय तक व्‍यवस्‍था अपराधों के कारण जोड़ दी गयी थी। वह स्‍वर्गदूतों द्वारा मध्‍यस्‍थ के माध्‍यम से घोषित की गयी है।


कोई निरर्थक तर्कों से आप लोगों को धोखा न दे। इन बातों के कारण परमेश्‍वर का क्रोध विद्रोही लोगों पर आ पड़ता है।


इन बातों के कारण अवज्ञा की संतान पर परमेश्‍वर का कोप आ पड़ता है।


जो व्यक्‍ति पाप करता है, वह अधर्म का कार्य करता है; क्‍योंकि पाप का अर्थ है अधर्म का साथ देना।


राष्‍ट्रों को मारने के लिए उसके मुख से एक तेज तलवार निकल रही है। वह लोह-दण्‍ड से उन पर शासन करेगा और सर्वशक्‍तिमान परमेश्‍वर के कोप-रूपी दाखरस का कुण्‍ड रौंदेगा।


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