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रोमियों 2:29 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

29 किन्‍तु यहूदी वह है, जो अपने अभ्‍यन्‍तर में यहूदी है और खतना वह है, जो हृदय का है और लिखित व्‍यवस्‍था के अनुसार नहीं, बल्‍कि आत्‍मा के अनुसार है। ऐसे व्यक्‍ति को मनुष्‍यों की नहीं, बल्‍कि परमेश्‍वर की प्रशंसा प्राप्‍त है।

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पवित्र बाइबल

29 सच्चा यहूदी वही है जो भीतर से यहूदी है। सच्चा ख़तना आत्मा द्वारा मन का ख़तना है, न कि लिखित व्यवस्था का। ऐसे व्यक्ति की प्रशंसा मनुष्य नहीं बल्कि परमेश्वर की ओर से की जाती है।

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Hindi Holy Bible

29 पर यहूदी वही है, जो मन में है; और खतना वही है, जो हृदय का और आत्मा में है; न कि लेख का: ऐसे की प्रशंसा मनुष्यों की ओर से नहीं, परन्तु परमेश्वर की ओर से होती है॥

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

29 पर यहूदी वही है जो मन में है; और खतना वही है जो हृदय का और आत्मा में है, न कि लेख का : ऐसे की प्रशंसा मनुष्यों की ओर से नहीं, परन्तु परमेश्‍वर की ओर से होती है।

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नवीन हिंदी बाइबल

29 परंतु यहूदी वही है जो मन से यहूदी है, और ख़तना वही है जो आत्मा के द्वारा हृदय का है न कि लेख का। ऐसे व्यक्‍ति की प्रशंसा मनुष्यों की ओर से नहीं बल्कि परमेश्‍वर की ओर से होती है।

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सरल हिन्दी बाइबल

29 यहूदी वह है, जो अपने मन में यहूदी है तथा ख़तना वह है, जो पवित्र आत्मा के द्वारा हृदय का किया जाता है, न कि वह, जो मात्र व्यवस्था के अंतर्गत किया जाता है. इस प्रकार के व्यक्ति की प्रशंसा मनुष्यों द्वारा नहीं, परंतु परमेश्वर द्वारा की जाती है.

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रोमियों 2:29
27 क्रॉस रेफरेंस  

हे मेरे परमेश्‍वर! मैं जानता हूं, तू हृदय को परखता है। तू निष्‍कपट हृदय के व्यक्‍ति से प्रसन्न होता है। मैं निष्‍कपट हृदय से यह सब भेंट स्‍वेच्‍छापूर्वक तुझे अर्पित करता हूँ। अब मैंने तेरे निज लोगों को भी देखा जिन्‍होंने आनन्‍दपूर्वक स्‍वेच्‍छा से तुझे भेंट चढ़ाई।


राजकन्‍या ने अंत:पुर में सोलह सिंगार किया है− उनके वस्‍त्रों पर सोने की कढ़ाई है;


ओ यरूशलेम, अपने हृदय से दुष्‍कर्म की इच्‍छा निकाल दे, और हृदय को धो ले। तब ही तू बच सकती है। कब तक तेरे अन्‍त: करण में बुरे विचार घर किए रहेंगे?


ओ यहूदा प्रदेश की जनता, ओ यरूशलेम के निवासियो, मुझे प्रसन्न करने के लिए शारीरिक खतना नहीं, वरन् मन का खतना करो। अन्‍यथा तुम्‍हारे दुष्‍कर्म देखकर मेरा क्रोध अग्‍नि के सदृश भड़क उठेगा, और वह कभी शान्‍त नहीं होगा।’


प्रभु यों कहता है, ‘देखो, वे दिन आ रहे हैं जब मैं उन कौमों को दण्‍ड दूंगा, जिनका शारीरिक खतना तो हुआ है पर हृदय से खतना-रहित हैं।


प्रभु ने उससे कहा, “तुम फरीसी लोग कटोरों और थालियों को बाहर से तो माँजते हो, परन्‍तु तुम्‍हारे भीतर लालच और दुष्‍टता भरी है।


लोग यह नहीं कह सकेंगे, ‘देखो, वह यहाँ है’ अथवा ‘वह वहाँ है’; क्‍योंकि परमेश्‍वर का राज्‍य तुम्‍हारे मध्‍य में है।”


उन्‍हें परमेश्‍वर के सम्‍मान की अपेक्षा मनुष्‍य का सम्‍मान अधिक प्रिय था।


परन्‍तु वह समय आ रहा है, वरन् आ ही गया है, जब सच्‍चे आराधक आत्‍मा और सत्‍य में पिता की आराधना करेंगे। पिता ऐसे ही आराधकों को चाहता है।


तुम लोग एक-दूसरे से सम्‍मान चाहते हो और उस सम्‍मान की खोज नहीं करते, जो एकमात्र परमेश्‍वर से प्राप्‍त होता है। तब तुम कैसे विश्‍वास कर सकते हो?


क्‍योंकि परमेश्‍वर का राज्‍य खाने-पीने का नहीं, बल्‍कि वह धार्मिकता, शान्‍ति और आनन्‍द का विषय है, जो पवित्र आत्‍मा से प्राप्‍त होते हैं।


जो शरीर का खतना कराये बिना व्‍यवस्‍था का पूर्ण पालन करता है, वह तुम्‍हारा न्‍याय करेगा; क्‍योंकि तुम लिखित व्‍यवस्‍था और खतने से सम्‍पन्न होते हुए भी व्‍यवस्‍था का उल्‍लंघन करते हो।


तो दूसरों की अपेक्षा यहूदी को अधिक क्‍या मिला? और खतने से क्‍या लाभ?


किन्‍तु अब हम उन बातों के लिए मर गये हैं, जो हमें बन्‍धन में जकड़ती थीं, इसलिए हम व्‍यवस्‍था से मुक्‍त हो गये हैं। इस प्रकार हम पुरानी लिखित व्‍यवस्‍था के अनुसार नहीं, बल्‍कि आत्‍मा की नवीन पद्धति के अनुसार परमेश्‍वर की सेवा करते हैं।


इसलिए समय से पूर्व, प्रभु के आने तक, आप किसी बात का न्‍याय मत कीजिए। वही अन्‍धकार में छिपी हुई बातों को प्रकाश में लायेंगे और मनुष्‍यों के हृदय के गुप्‍त अभिप्राय प्रकट करेंगे। उस समय हर एक को परमेश्‍वर की ओर से यथायोग्‍य श्रेय दिया जायेगा।


न तो ख़तने का कोई महत्व है और न उसके अभाव का। महत्व परमेश्‍वर की आज्ञाओं के पालन का है।


इसलिए जो अपनी सिफ़ारिश करता है, वह नहीं, बल्‍कि जिसे प्रभु की सिफ़ारिश प्राप्‍त है, वही सुयोग्‍य है।


उसने हमें एक नये विधान के सेवक होने के योग्‍य बनाया है और यह विधान अक्षरों में लिखी हुई व्‍यवस्‍था का नहीं, बल्‍कि आत्‍मा का है; क्‍योंकि अक्षर तो मृत्‍यु-जनक है, किन्‍तु आत्‍मा जीवनदायक है।


अत: अपने हृदय को विनम्र बनाओ, और हठीले न बने रहो


प्रभु परमेश्‍वर तेरे लोगों का और उनके वंशजों का हृदय विनम्र बनाएगा कि वे अपने प्रभु परमेश्‍वर को सम्‍पूर्ण हृदय से, सम्‍पूर्ण प्राण से प्रेम कर सकें और जीवित रहें।


सच पूछिए तो “खतने वाले” हम हैं; हम परमेश्‍वर के आत्‍मा से प्रेरित हो कर उपासना करते हैं और बाह्य प्रथाओं पर नहीं, बल्‍कि येशु मसीह पर गर्व करते हैं-


परमेश्‍वर ने हमें योग्‍य समझ कर शुभ समाचार सौंपा है। इसलिए हम मनुष्‍यों को नहीं, बल्‍कि हमारा हृदय परखनेवाले परमेश्‍वर को प्रसन्न करने के लिए उपदेश देते हैं।


वह हृदय के अभ्‍यन्‍तर का शृंगार हो, अर्थात् विनम्र तथा शान्‍त स्‍वभाव का अनश्‍वर अलंकरण, जो परमेश्‍वर की दृष्‍टि में बहुत मूल्‍यवान् है।


परन्‍तु प्रभु ने शमूएल से कहा, ‘तू उसके बाहरी रूप-रंग और ऊंचे कद पर ध्‍यान मत दे। मैंने उसे अस्‍वीकार किया है। जिस दृष्‍टि से मनुष्‍य देखता है, उस दृष्‍टि से मैं नहीं देखता। मनुष्‍य व्यक्‍ति के बाहरी रूप-रंग को देखता है, पर मैं उसके हृदय को देखता हूँ।’


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