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रोमियों 14:18 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

18 जो इन बातों द्वारा मसीह की सेवा करता है, वह परमेश्‍वर को प्रिय और मनुष्‍यों द्वारा सम्‍मानित है।

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पवित्र बाइबल

18 जो मसीह की इस तरह सेवा करता है, उससे परमेश्वर प्रसन्न रहता है और लोग उसे सम्मान देते हैं।

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Hindi Holy Bible

18 जो पवित्र आत्मा से होता है और जो कोई इस रीति से मसीह की सेवा करता है, वह परमेश्वर को भाता है और मनुष्यों में ग्रहण योग्य ठहरता है।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

18 जो कोई इस रीति से मसीह की सेवा करता है, वह परमेश्‍वर को भाता है और मनुष्यों में ग्रहणयोग्य ठहरता है।

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नवीन हिंदी बाइबल

18 जो इस प्रकार मसीह की सेवा करता है वह परमेश्‍वर को भावता है और मनुष्यों को ग्रहणयोग्य होता है।

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सरल हिन्दी बाइबल

18 जो कोई मसीह की सेवा इस भाव में करता है, वह परमेश्वर को ग्रहण योग्य तथा मनुष्यों द्वारा भाता है.

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रोमियों 14:18
29 क्रॉस रेफरेंस  

यदि तू भलाई करे तो क्‍या मैं तुझे ग्रहण न करूंगा? किन्‍तु यदि तू भलाई न करे तो देख, तेरे द्वार पर पाप खड़ा है। वह तेरी कामना कर रहा है। तू उसको अपने वश में कर।’


अपने घर जाओ, आनन्‍द से रोटी खाओ, और हृदय की उमंग से अंगूर-रस पीओ, क्‍योंकि जो तुम करते हो, उसको परमेश्‍वर पहले से अपनी स्‍वीकृति दे चुका है।


यह कुछ ऐसा है, जैसे कोई मनुष्‍य अपना घर छोड़कर विदेश चला गया हो। उसने अपने घर का भार अपने सेवकों को सौंप दिया हो, हर एक को उसका काम बता दिया हो और द्वारपाल को जागते रहने का आदेश दिया हो।


यदि कोई मेरी सेवा करना चाहता है, तो वह मेरा अनुसरण करे। जहाँ मैं हूँ, वहीं मेरा सेवक भी होगा। यदि कोई मेरी सेवा करे, तो पिता उसका सम्‍मान करेगा।


मनुष्‍य किसी भी जाति का क्‍यों न हो, यदि वह परमेश्‍वर की भक्‍ति करता और धर्माचरण करता है, तो वह परमेश्‍वर का कृपापात्र बन जाता है।


आप लोग प्रयत्‍न करने में आलसी न हों, आध्‍यात्‍मिक उत्‍साह से पूर्ण रहें और प्रभु की सेवा करें।


दूसरे के सेवक पर दोष लगाने वाले तुम कौन हो? उसका दृढ़ बना रहना या पतित हो जाना उसके अपने स्‍वामी से सम्‍बन्‍ध रखता है और वह अवश्‍य दृढ़ बना रहेगा; क्‍योंकि उसका प्रभु उसे दृढ़ बनाये रखने में समर्थ है।


वे हमारे प्रभु मसीह की सेवा नहीं, बल्‍कि अपने पेट की पूजा करते हैं। वे चिकनी-चुपड़ी और खुशामद-भरी बातों से भोले-भाले लोगों को भुलावे में डालते हैं।


किन्‍तु अब पाप से मुक्‍त हो कर आप परमेश्‍वर के दास बन गये और पवित्रता का फल उत्‍पन्न कर रहे हैं, जिसका परिणाम है शाश्‍वत जीवन;


क्‍योंकि प्रभु द्वारा बुलाये जाने के समय जो दास था, वह प्रभु द्वारा दास्‍यमुक्‍त है और उसी प्रकार प्रभु द्वारा बुलाये जाने के समय जो स्‍वतन्‍त्र था, वह मसीह का दास है।


हम लोक-लज्‍जावश कुछ बातें छिपाना नहीं चाहते। हम न तो छल-कपट करते और न परमेश्‍वर का वचन विकृत करते हैं। हम प्रकट रूप से सत्‍य का प्रचार करते हैं। यही उन सब मनुष्‍यों के पास हमारी सिफारिश है, जो परमेश्‍वर के सामने हमारे विषय में निर्णय करना चाहते हैं।


इस कारण प्रभु का भय हम में बना रहता है। हम मनुष्‍यों को समझाने का प्रयत्‍न करते रहते हैं। हमारा सारा जीवन परमेश्‍वर के लिए प्रकट है और मैं आशा करता हूँ कि वह आप लोगों के अन्‍त:करण के लिए भी प्रकट होगा।


इसलिए हम चाहे घर में हों चाहे परदेश में, हमारी एकमात्र अभिलाषा यह है कि हम प्रभु को अच्‍छे लगें,


किन्‍तु हम हर परिस्‍थिति में स्‍वयं को परमेश्‍वर के योग्‍य सेवक प्रमाणित करते हैं : हम कष्‍ट, अभाव और संकट को बड़े धीरज से सहन करते हैं।


क्‍योंकि न केवल प्रभु की दृष्‍टि में, बल्‍कि मनुष्‍यों की दृष्‍टि में भी हम अच्‍छा आचरण करने का ध्‍यान रखते हैं।


अब मुझे पूर्ण राशि प्राप्‍त हो गई है; मैं सम्‍पन्न हूँ। इपफ्रोदितुस से आपकी भेजी हुई वस्‍तुएँ पा कर मैं समृद्ध हो गया हूँ। आप लोगों की यह भेंट एक मधुर सुगन्‍ध है, एक सुग्राह्य बलि है, जो परमेश्‍वर को प्रिय है।


भाइयो और बहिनो! अन्‍त में यह : जो कुछ सच है, आदरणीय है; जो कुछ न्‍यायसंगत है, निर्दोष है; जो कुछ प्रीतिकर है, मनोहर है, जो कुछ भी उत्तम है, प्रशंसनीय है : ऐसी बातों का मनन किया करें।


क्‍योंकि आप जानते हैं कि प्रभु पुरस्‍कार के रूप में आप को विरासत प्रदान करेगा। आप स्‍वामी अर्थात् मसीह के दास हैं।


यह उचित भी है और हमारे उद्धारकर्ता परमेश्‍वर को प्रिय भी है,


यदि किसी विधवा के अपने पुत्र-पुत्रियाँ अथवा पौत्र-पौत्रियाँ हों, तो वे यह समझें कि उन्‍हें सब से पहले अपने निजी परिवार के प्रति धर्म निभाना और अपने माता-पिता के उपकारों को थोड़ा-बहुत लौटाना चाहिए, क्‍योंकि यह परमेश्‍वर को प्रिय है।


अन्‍यधर्मियों के बीच आप लोगों का आचरण निर्दोष हो। इस प्रकार जो अब आप को कुकर्मी कहकर आपकी निन्‍दा करते हैं, वे आपके सत्‍कर्मों को देख कर कृपा-दिवस पर परमेश्‍वर की स्‍तुति करेंगे।


यदि आप अपनी भूल-चूक के कारण मार खाते और धैर्य रखते हों, तो इसमें क्‍या बड़ी बात हुई? किंतु सत्‍कर्म करने के बाद भी यदि आप को दु:ख भोगना पड़ता है और आप उसे धैर्य से सहते हैं, तो यह परमेश्‍वर की दृष्‍टि में पुण्‍य की बात है।


और जीवन्‍त पत्‍थरों के समान आत्‍मिक भवन में निर्मित हो जाएं। इस प्रकार आप पवित्र पुरोहित-वर्ग बन कर ऐसी आत्‍मिक बलि चढ़ा सकेंगे, जो येशु मसीह द्वारा परमेश्‍वर को स्‍वीकार हो।


हमारे पर का पालन करें:

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