7 हो सकता है कि वे प्रभु के ये वचन सुनकर अपना दुराचरण छोड़ दें, वे पश्चात्ताप करें और प्रभु से विनती करें। संभव है कि प्रभु उनकी विनती सुने। प्रभु ने चेतावनी दी है कि वह उन लोगों से बहुत क्रुद्ध है। उनके विरुद्ध उसकी क्रोधाग्नि भड़क उठी है।’
7 शायद वे लोग यहोवा से सहायता की याचना करें। कदाचित् हर एक व्यक्ति बुरा काम करना छोड़ दे। यहोवा ने यह घोषित कर दिया है कि वह उन लोगों पर बहुत क्रोधित है।”
7 क्या जाने वे यहोवा से गिड़गिड़ा कर प्रार्थना करें और अपनी अपनी बुरी चाल से फिरें; क्योंकि जो क्रोध और जलजलाहट यहोवा ने अपनी इस प्रजा पर भड़काने को कहा है, वह बड़ी है।
7 क्या जाने वे यहोवा से गिड़गिड़ाकर प्रार्थना करें और अपनी अपनी बुरी चाल से फिरें; क्योंकि जो क्रोध और जलजलाहट यहोवा ने अपनी इस प्रजा पर भड़काने को कहा है, वह बड़ी है।”
7 संभव है उनकी बिनती याहवेह के समक्ष प्रस्तुत की जाए, हर एक व्यक्ति अपने अधर्म से विमुख हो जाए, क्योंकि प्रचंड है याहवेह का क्रोध एवं प्रकोप, जिसकी वाणी इन लोगों के विरुद्ध की जा चुकी है.”
7 क्या जाने वे यहोवा से गिड़गिड़ाकर प्रार्थना करें और अपनी-अपनी बुरी चाल से फिरें; क्योंकि जो क्रोध और जलजलाहट यहोवा ने अपनी इस प्रजा पर भड़काने को कहा है, वह बड़ी है।”
‘तुम लोग जाओ, और मेरी ओर से तथा जनता की ओर से एवं समस्त यहूदा प्रदेश की ओर से इस धर्मपुस्तक के वचनों का अर्थ प्रभु से ज्ञात करो। प्रभु की महाक्रोधाग्नि हमारे प्रति भड़क उठी है; क्योंकि हमारे पूर्वजों ने इस धर्म-पुस्तक के आदेशों का पालन नहीं किया। उन्होंने हमारे निमित्त लिखे गए प्रभु के आदेशों के अनुसार कार्य नहीं किया।’
इन लोगों ने मुझे त्याग दिया है, और अन्य जातियों के देवताओं की मूर्तियों के सम्मुख सुगन्धित धूप-द्रव्य जलाया है। इन्होंने अपने हाथों से देवताओं की मूर्तियां बनाकर मेरे क्रोध को भड़काया है। अत: मेरी क्रोधाग्नि इस स्थान के प्रति भड़केगी, और वह कभी नहीं बुझेगी।
‘तुम लोग जाओ, और मेरी ओर से, इस्राएल और यहूदा प्रदेशों के बचे हुए लोगों की ओर से, इस धर्म-पुस्तक के वचनों का अर्थ प्रभु से ज्ञात करो। प्रभु की महा-क्रोधाग्नि हमारे प्रति भड़क उठी है; क्योंकि हमारे पूर्वजों ने प्रभु का वचन नहीं माना। उन्होंने धर्म-पुस्तक में लिखे गए प्रभु के आदेशों के अनुसार कार्य नहीं किया।’
राजा योशियाह के पश्चात् उसके पुत्र यहोयाकीम के राज्य-काल में भी प्रभु का सन्देश यिर्मयाह को मिला। राजा योशियाह के पुत्र सिदकियाह के राज्य-काल के ग्यारहवें वर्ष के अन्त तक प्रभु का सन्देश यिर्मयाह को मिलता रहा। इसी वर्ष के पांचवें महीने में यरूशलेम के निवासी गुलाम बनकर यहूदा प्रदेश से निष्कासित हुए।
‘यिर्मयाह, जब तू इन लोगों से ये बातें कहेगा, और वे तुझसे यह पूछेंगे, “प्रभु ने हमारे ऊपर यह महा विपत्ति ढाहने को क्यों कहा है? क्या हमने कोई अधर्म किया है? हम ने अपने प्रभु परमेश्वर के प्रति कौन-सा पाप किया है?”
‘इस्राएल का परमेश्वर, स्वर्गिक सेनाओं का प्रभु यों कहता है: जिस विपत्ति की घोषणा मैंने तुम्हारे हठ और दुराचरण के कारण की है, वह मैं इस नगर और यहूदा प्रदेश के सब नगरों पर ला रहा हूं; क्योंकि तुमने अपना हृदय कठोर बना लिया है, और मेरे वचनों को सुनने से इन्कार कर दिया है।’
ओ सिदकियाह, मैं स्वयं तेरे विरुद्ध लड़ूंगा और क्रोध, आक्रोश और क्रोधाग्नि में धधकता हुआ, तेरे विनाश के लिए अपनी बाहें फैलाऊंगा और तुझ पर अपना भुजबल प्रकट करूंगा।
प्रभु कहता रहा, “तुम में से प्रत्येक मनुष्य पश्चात्ताप करे, अपने बुरे मार्ग से लौटे, अपने दुष्कर्मों को छोड़े, और लौट कर उस देश पर निवास करे जो तुम्हारे प्रभु ने तुम्हें और तुम्हारे पूर्वजों को प्राचीन काल में सदा के लिए दिया था।
हो सकता है, वे मेरे इन वचनों को सुन कर अपने कुमार्ग से लौटें, और उनके दुष्कर्मों के कारण जो मैंने उनका अनिष्ट करने का निश्चय किया है, उससे मैं पछताऊं।
जब मेरे ये वचन पढ़े जाएंगे और यहुदा प्रदेश की जनता सुनेगी कि मैं उनका क्या अनिष्ट करनेवाला हूं, तो हो सकता है कि यहूदा प्रदेश का प्रत्येक व्यक्ति अपने दुराचरण को छोड़ दे और पश्चात्ताप करे, और मैं उसके अधर्म और पाप को क्षमा कर दूं।’
ओ यहूदा प्रदेश की जनता, ओ यरूशलेम के निवासियो, मुझे प्रसन्न करने के लिए शारीरिक खतना नहीं, वरन् मन का खतना करो। अन्यथा तुम्हारे दुष्कर्म देखकर मेरा क्रोध अग्नि के सदृश भड़क उठेगा, और वह कभी शान्त नहीं होगा।’
नबी यिर्मयाह के पास आए, और उन से यह निवेदन किया, ‘कृपया, हमारा निवेदन स्वीकार कीजिए, और हम-सब बचे हुए लोगों के लिए अपने प्रभु परमेश्वर से प्रार्थना कीजिए (आप स्वयं अपनी आंखों से देख रहे हैं, कि पहले हम संख्या में कितने अधिक थे, और अब कितने थोड़े रह गए हैं।),
इसलिए ओ मानव, तू निष्कासन का सामान तैयार कर, और दिन के समय उनकी आंखों के सामने नगर से निष्कासित हो। तू निष्कासित व्यक्ति के समान उनकी आंखों के सामने अपने निवास-स्थान से दूसरे स्थान को चले जाना। यद्यपि इस्राएली लोग विद्रोही हैं, परन्तु हो सकता है, वे तुझ पर ध्यान दें।
इसलिए स्वामी-प्रभु यों कहता है : मैं क्रोध से प्रचण्ड आंधी बहाऊंगा। मेरे प्रकोप के कारण मूसलाधार वर्षा होगी। मैं गुस्से में बड़े-बड़े ओले गिराऊंगा, और उसको नष्ट कर दूंगा।
‘ओ इस्राएल के वंशजो, मैं, स्वामी-प्रभु कहता हूँ : मेरे जीवन की सौगन्ध! मैं अपने बाहुबल से, अपना हाथ बढ़ाकर और तुम्हें गुलाम बनानेवाले राष्ट्रों पर अपना क्रोध उण्डेल कर तुम्हारा उद्धार करूंगा, और मैं स्वयं तुम्हारा राजा हूंगा।
जैसे सुनार चाँदी, पीतल, लोहा, रांगा और सीसे का मैल साफ करने के लिए उनको भट्टी में डालता है; धातु पिघलाने के लिए वह धोंकनी से आग धधकाता है, उसी प्रकार मैं अपनी क्रोधाग्नि तुम पर भड़काऊंगा, और तुम्हें एकत्र करूंगा। मैं तुम्हें भट्टी में झोंक दूंगा, और तुम्हें गला दूंगा।
‘इस प्रकार मेरा क्रोध शान्त होगा। जब तक मेरी क्रोधाग्नि उन पर पूरी तरह न भड़क उठेगी, तब तक वह शांत न होगी, और न मुझे चैन मिलेगा। और तब उनको मालूम होगा कि मैं-प्रभु ने ही ईष्र्या की अग्नि में धधक कर यह कहा है। उस समय ही उनके प्रति मेरा क्रोध ठण्डा होगा।
अत: मैं उनसे क्रोधपूर्ण व्यवहार करूंगा। मैं उन पर दयादृष्टि नहीं करूंगा। मेरी आंखों से छिप कर वे भाग नहीं सकेंगे। वे ऊंचे स्वर से मुझे पुकारेंगे तो भी मैं उनकी दुहाई नहीं सुनूंगा।’
मूसा की व्यवस्था में लिखित समस्त विपत्तियाँ हम पर पड़ीं, तो भी हमने अपने प्रभु परमेश्वर की कृपा-दृष्टि प्राप्त करने का प्रयत्न नहीं किया और न हम अपने अधर्ममय आचरण को छोड़कर तेरे सत्य वचन सुनने को तत्पर हुए।
हे मेरे परमेश्वर, मेरी प्रार्थना की ओर अपना कान लगा और उसको सुन। अपनी आंखों को खोल और हमारे विनाश पर दृष्टि कर। जो नगर तेरे नाम से पुकारा जाता है, उसको देख। प्रभु, अपनी धार्मिकता के कारण नहीं बल्कि तेरी महान दया पर भरोसा रखकर हम यह प्रार्थना, यह विनती तेरे सम्मुख प्रस्तुत कर रहे हैं।
मैं जा रहा हूं, मैं अपने स्थान को लौट रहा हूं, जब तक वे अपना अपराध स्वीकार न करेंगे और मेरा दर्शन पाने का प्रयत्न न करेंगे; जब तक अपने संकट में मुझे नहीं ढूंढ़ेंगे, मैं उनसे विमुख रहूंगा।
अपने वस्त्र नहीं, वरन् अपना हृदय विदीर्ण करो।’ ओ यहूदा देश, अपने प्रभु परमेश्वर की ओर लौट। वह कृपालु और दयालु है। वह विलम्ब क्रोधी और महा करुणा सागर है। वह दु:ख देकर पछताता है।
हर एक मनुष्य और पशु अपने शरीर पर टाट के वस्त्र लपेटेगा। मनुष्य छाती पीट-पीटकर परमेश्वर की दुहाई देंगे। प्रत्येक मनुष्य अपने दुराचरण को त्याग दे, और दुष्कर्मों को छोड़ दे।
अपने पूर्वजों के सदृश मत बनो। प्राचीन काल के नबियों ने उनसे कहा था, “स्वर्गिक सेनाओं का प्रभु यों कहता है: अपने बुरे मार्ग से लौटो, अपने दुष्कर्मों को छोड़ दो।” पर उन्होंने मुझ-प्रभु की बात नहीं सुनी, मेरी ओर ध्यान नहीं दिया। मुझ-प्रभु की यह वाणी है।
प्रभु ने मूसा से कहा, ‘देख, तू शीघ्र अपने मृत पूर्वजों में जाकर सो जाएगा। पर ये इस्राएली लोग उस देश के, जहाँ ये जा रहे हैं, अजनबी देवताओं का अनुगमन करने लगेंगे और मेरे साथ वेश्या के सदृश विश्वासघात करेंगे। वे मुझे त्याग देंगे। वे मेरे विधान को, जो मैंने उनके साथ स्थापित किया है, तोड़ देंगे।
तब उस दिन मेरा क्रोध उनके विरुद्ध भड़क उठेगा। मैं उनको त्याग दूंगा, और उनसे विमुख हो जाऊंगा। उन पर विपत्तियों और कष्टों का पहाड़ टूट पड़ेगा, जिसके कारण वे उस दिन यह कहेंगे, “क्या यह सच नहीं है कि ये विपत्तियां हम पर इसलिए आ पड़ी हैं, कि हमारा परमेश्वर हमारे मध्य नहीं है?”