‘प्रभु के वचन के अनुसार मेरा चचेरा भाई हनमएल मेरे पास आया। वह मुझ से राजमहल के अंगरक्षकों के आंगन में मिला। उस ने मुझ से कहा, “आप बिन्यामिन कुल-क्षेत्र के नगर अनातोत के मेरे खेत को खरीद लीजिए; क्योंकि उस को मोल ले कर सम्पत्ति को छुड़ाने का अधिकार केवल आप का है। आप मेरे खेत को अपने लिए खरीद लीजिए।” तब मुझे निश्चय हो गया कि यह प्रभु का ही सन्देश था।
प्रभु के वचनों को लिखवाने के पश्चात् यिर्मयाह ने बारूक को आदेश दिया। उन्होंने कहा, ‘मैं प्रभु के भवन में स्वयं नहीं जा सकता। मेरे लिए वहां प्रवेश करना मना है।
अत: राजा सिदकियाह ने आदेश दिया, और सिपाहियों ने यिर्मयाह को राजमहल के पहरे के आंगन में रख दिया। जब तक नगर में रोटी उपलब्ध रही, यिर्मयाह को रोटी वालों की गली से प्रति दिन एक रोटी मिलती रही। इस प्रकार यिर्मयाह राजमहल के पहरे के आंगन में रहने लगे।